घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम : आवेदन प्रक्रिया और मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश

Himanshu Mishra

23 April 2024 8:04 PM IST

  • घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम : आवेदन प्रक्रिया और मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश

    घरेलू हिंसा से महिला की सुरक्षा अधिनियम, 2005, घरेलू हिंसा की स्थितियों में महिलाओं और उनके बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम महिलाओं को अपमानजनक स्थितियों से कानूनी उपचार और सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार देता है। अधिनियम का एक महत्वपूर्ण पहलू मजिस्ट्रेट के पास आवेदन प्रक्रिया है, जहां एक पीड़ित व्यक्ति राहत और सुरक्षा की मांग कर सकता है।

    घरेलू हिंसा से महिला की सुरक्षा अधिनियम, 2005, एक महत्वपूर्ण कानूनी उपकरण है जो घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए कई प्रकार के उपचार और सुरक्षा प्रदान करता है। मजिस्ट्रेट को आवेदन के माध्यम से, पीड़ित व्यक्ति अपनी और अपने बच्चों की भलाई की सुरक्षा के लिए मौद्रिक राहत, हिरासत आदेश, सुरक्षा आदेश और निवास आदेश मांग सकते हैं।

    त्वरित सुनवाई (Speedy Trial) और आवेदनों के शीघ्र निपटान (Speedy disposal of cases) पर अधिनियम का ध्यान यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ितों को समय पर राहत और सहायता मिले। कुल मिलाकर, यह कानून महिलाओं को अपमानजनक स्थितियों से बचने और न्याय पाने के लिए सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    मजिस्ट्रेट को आवेदन

    1. कौन आवेदन कर सकता है: मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन पीड़ित व्यक्ति (पीड़ित), उस क्षेत्र के संरक्षण अधिकारी या पीड़ित व्यक्ति की ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।

    2. आवेदन की सामग्री: आवेदन में अधिनियम द्वारा निर्धारित सभी आवश्यक विवरण, मांगी गई राहतों की रूपरेखा शामिल होनी चाहिए।

    3. समय पर सुनवाई: आवेदन प्राप्त होने पर, मजिस्ट्रेट को तीन दिनों के भीतर सुनवाई निर्धारित करने की आवश्यकता होती है। घरेलू हिंसा के मुद्दों को कुशलतापूर्वक संबोधित करने के लिए यह त्वरित कार्रवाई महत्वपूर्ण है।

    4. त्वरित निपटान: अधिनियम मजिस्ट्रेट को पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिनों के भीतर अधिनियम की धारा 12 के तहत किए गए सभी आवेदनों का निपटान करने का आदेश देता है।

    मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश

    यह अधिनियम मजिस्ट्रेट को पीड़ित व्यक्ति की सुरक्षा और समर्थन के लिए विभिन्न आदेश और राहत देने के लिए अधिकृत करता है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानें:

    मौद्रिक राहतें

    वित्तीय सहायता: मजिस्ट्रेट प्रतिवादी (आरोपी) को घरेलू हिंसा के कारण पीड़ित व्यक्ति और किसी भी बच्चे को हुए खर्च और नुकसान को कवर करने के लिए मौद्रिक राहत देने का आदेश दे सकता है। इसमें कमाई का नुकसान, चिकित्सा व्यय और संपत्ति को नुकसान शामिल हो सकता है।

    भरण-पोषण: मजिस्ट्रेट पीड़ित व्यक्ति के जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए उसे एकमुश्त या मासिक भरण-पोषण राशि देने का निर्देश दे सकता है।

    मुआवज़ा: अधिनियम मजिस्ट्रेट को प्रतिवादी को मानसिक और भावनात्मक संकट सहित क्षति या चोटों के लिए पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश देने की अनुमति देता है।

    प्रवर्तन: यदि प्रतिवादी मौद्रिक आदेशों का पालन करने में विफल रहता है, तो मजिस्ट्रेट नियोक्ता या प्रतिवादी के देनदार को पीड़ित को सीधे भुगतान करने या अदालत में धन जमा करने का निर्देश दे सकता है।

    हिरासत आदेश

    बच्चे की हिरासत: धारा 21 के तहत, मजिस्ट्रेट किसी भी बच्चे या बच्चों की हिरासत पीड़ित या पीड़ित की ओर से आवेदन करने वाले व्यक्ति को देने का निर्देश दे सकता है। इसमें शामिल बच्चों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए यह एक आवश्यक उपाय है।

    सुरक्षा आदेश

    आगे की हिंसा को रोकना: यदि मजिस्ट्रेट आश्वस्त है कि घरेलू हिंसा हुई है, तो वे पीड़ित व्यक्ति के पक्ष में सुरक्षा आदेश जारी कर सकते हैं। इस आदेश का उद्देश्य प्रतिवादी को घरेलू हिंसा के कृत्यों को करने या बढ़ावा देने से रोकना है।

    संपर्क प्रतिबंधित करना: सुरक्षा आदेश प्रतिवादी को पीड़ित व्यक्ति से संपर्क करने, उनके रोजगार के स्थान में प्रवेश करने, या उनके आश्रितों या रिश्तेदारों को नुकसान पहुंचाने से रोक सकता है।

    निवास आदेश

    अशांति पर रोक: धारा 19 के तहत, यदि मजिस्ट्रेट यह निर्धारित करता है कि घरेलू हिंसा हुई है, तो वे निवास आदेश जारी कर सकते हैं। यह आदेश प्रतिवादी को साझा घर में पीड़ित व्यक्ति के कब्जे में गड़बड़ी करने से रोक सकता है।

    निकासी और निषेध: मजिस्ट्रेट प्रतिवादी (Respondent) को 'Shared Household' से हटने का आदेश दे सकता है और प्रतिवादी को परिसर में प्रवेश करने या गड़बड़ी पैदा करने से रोक सकता है।

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