नकली सिक्कों, करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टैम्प से संबंधित अपराध: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 178, 179 और 180

Himanshu Mishra

6 Sept 2024 6:49 PM IST

  • नकली सिक्कों, करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टैम्प से संबंधित अपराध: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 178, 179 और 180

    1 जुलाई, 2024 से लागू हुई भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023), जो भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) का स्थान लेती है, ने नकली सिक्के, करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टैम्प से संबंधित अपराधों के बारे में सख्त प्रावधान बनाए हैं। अध्याय X में ऐसे अपराधों का विवरण दिया गया है, जो नकली (counterfeit) वस्तुओं के उपयोग और जालसाजी को रोकने के उद्देश्य से हैं। इस लेख में हम भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 178, 179 और 180 को सरल भाषा में समझेंगे।

    धारा 178: नकली सिक्के, स्टैम्प, करेंसी नोट और बैंक नोट बनाना (Counterfeiting Coins, Stamps, Currency Notes, and Bank Notes)

    धारा 178 के तहत, कोई भी व्यक्ति जो सिक्कों, स्टैम्पों, करेंसी नोटों या बैंक नोटों की नकली वस्तुएं बनाने (counterfeiting) या उस प्रक्रिया में हिस्सा लेने का दोषी है, उसे आजीवन कारावास (imprisonment for life) या 10 साल तक की सजा और साथ में जुर्माने (fine) का सामना करना पड़ सकता है।

    नकली वस्तुएं बनाना (counterfeiting) का मतलब है किसी वस्तु की ऐसी प्रतिलिपि (copy) बनाना जिसका उद्देश्य दूसरों को धोखा देना हो, ताकि वे उसे असली समझें। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति नकली ₹500 के नोट छापता है और उन्हें बाजार में असली के रूप में उपयोग करता है, तो वह इस धारा के तहत अपराध करेगा।

    इस धारा में कुछ विशेष शर्तों की व्याख्या (Explanation) दी गई है:

    • बैंक नोट (Bank Note): बैंक नोट का मतलब है किसी बैंकिंग संस्था द्वारा जारी किया गया प्रॉमिसरी नोट (promissory note) जो दुनिया के किसी भी हिस्से में पैसे के रूप में इस्तेमाल हो सकता है। जैसे कि भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) द्वारा जारी ₹500 का नोट एक बैंक नोट है।

    • सिक्का (Coin): Coinage Act, 2011 के अनुसार सिक्के का मतलब वह धातु है जिसे किसी राज्य (State) या सार्वभौमिक शक्ति (Sovereign Power) के तहत पैसे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए, भारत सरकार द्वारा जारी ₹1 का सिक्का इस धारा के तहत एक सिक्का है।

    • सरकारी स्टैम्प (Government Stamp) का नकली बनाना: अगर कोई व्यक्ति एक असली सरकारी स्टैम्प (stamp) को एक छोटे मूल्य के स्टैम्प से बड़ा मूल्य का दिखाने के लिए बदलता है, तो यह स्टैम्प को नकली बनाना (counterfeiting) कहलाता है। जैसे कि ₹10 के स्टैम्प को ₹50 के स्टैम्प जैसा दिखाना एक जालसाजी है।

    • सिक्के का नकली बनाना (Counterfeiting Coin): अगर कोई व्यक्ति एक असली सिक्के को धोखा देने के इरादे से बदलता है ताकि वह किसी और सिक्के की तरह लगे, तो वह अपराधी है। जैसे कि एक पुराना कम मूल्य का सिक्का लेकर उसे किसी अधिक मूल्य के सिक्के की तरह दिखाना।

    • वजन कम करना या संरचना बदलना (Diminishing Weight or Altering Composition): सिक्के का वजन कम करना या उसकी धातु की संरचना को बदलना (alteration) भी इस धारा के तहत अपराध है। यहां तक कि सिक्के की बाहरी बनावट (appearance) बदलकर भी धोखा देना अपराध है।

    धारा 179: नकली वस्तुओं का आयात, निर्यात या व्यापार (Importing, Exporting, or Trafficking Counterfeit Goods)

    धारा 179 उन व्यक्तियों से संबंधित है जो नकली सिक्के, स्टैम्प, करेंसी नोट या बैंक नोटों का व्यापार (trafficking) करते हैं। यदि कोई व्यक्ति नकली वस्तुओं का आयात (import), निर्यात (export), खरीद, बिक्री या उपयोग करता है और उसे पता है या उसे यह विश्वास है कि ये वस्तुएं नकली हैं, तो वह आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा और जुर्माने का भागी होगा।

    उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य देश से नकली करेंसी नोट खरीदकर भारत में बेचता है, और उसे पता है कि ये नकली हैं, तो यह इस धारा के तहत अपराध होगा। इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति भारत से नकली सरकारी स्टैम्प विदेश भेजने की कोशिश करता है, तो वह भी इसी धारा के तहत दोषी होगा।

    धारा 180: नकली वस्तुओं को रखने का अपराध (Possession of Counterfeit Items with Intent to Use)

    धारा 180 उन व्यक्तियों पर लागू होती है जिनके पास नकली सिक्के, स्टैम्प, करेंसी नोट या बैंक नोट होते हैं और वे यह जानते हैं कि ये नकली हैं, फिर भी वे इन्हें असली के रूप में इस्तेमाल करने का इरादा रखते हैं। इस अपराध के लिए सात साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    उदाहरण के लिए, अगर किसी को पता चलता है कि उनके पास रखा हुआ ₹2,000 का नोट नकली है और वे फिर भी उसका उपयोग खरीदारी के लिए करते हैं, तो यह धारा 180 के तहत अपराध होगा। हालांकि, अगर व्यक्ति यह साबित कर देता है कि उसने यह नकली नोट कानूनी स्रोत (lawful source) से प्राप्त किया है और उसे इसका उपयोग करने का कोई इरादा नहीं था, तो वह इस अपराध से बच सकता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति बैंक से गलती से नकली नोट प्राप्त करता है और इसे तुरंत अधिकारियों को सूचित करता है, तो उसे इस अपराध का दोषी नहीं ठहराया जाएगा।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अध्याय X के प्रावधान नकली सिक्के, करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टैम्प से संबंधित अपराधों को गंभीरता से लेते हैं। नकली वस्तुओं का निर्माण और व्यापार न केवल धोखाधड़ी है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा है।

    धारा 178 नकली बनाने की प्रक्रिया पर केंद्रित है, जबकि धारा 179 और 180 नकली वस्तुओं के व्यापार और उनके कब्जे से संबंधित हैं। इन धाराओं में दिए गए स्पष्टीकरण से यह सुनिश्चित होता है कि बैंक नोट, सिक्के, और स्टैम्प किसे कहा जाता है और धोखाधड़ी की विशेषताएँ क्या हैं।

    इन कानूनों के माध्यम से सरकार मुद्रा (currency) की अखंडता (integrity) और लोगों के विश्वास की रक्षा करना चाहती है। ऐसे अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान यह दर्शाता है कि नकली वस्तुओं के निर्माण और उनके व्यापार के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जो पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकते हैं।

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