भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत Kidnapping और Abduction: धारा 137 और 138

Himanshu Mishra

17 Aug 2024 1:45 PM GMT

  • भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत Kidnapping और Abduction: धारा 137 और 138

    भारतीय न्याय संहिता 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है और जिसने Indian Penal Code की जगह ली है, इसमें Kidnapping और Abduction से संबंधित प्रावधानों को धारा 137 और 138 के तहत शामिल किया गया है। इन धाराओं में इन अपराधों की परिभाषा, सज़ा और कानूनी भिन्नताओं को स्पष्ट किया गया है। इस लेख में, हम इन प्रावधानों को विस्तार से समझेंगे, उदाहरण देंगे, और सरल शब्दों में Kidnapping और Abduction के बीच का अंतर समझाएंगे।

    भारतीय न्याय संहिता 2023 में Kidnapping और Abduction के बीच स्पष्ट भेद किया गया है, और प्रत्येक अपराध के गंभीर कानूनी परिणाम होते हैं। Kidnapping में वैध अभिरक्षा से कमजोर व्यक्तियों को अवैध रूप से हटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जबकि Abduction में बल या धोखे का उपयोग करके किसी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की बात कही गई है। इन भेदों को समझना न केवल कानूनी पेशेवरों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इन अपराधों की गंभीरता और कानून के तहत व्यक्तियों को दिए गए सुरक्षा उपायों को पहचानने में मदद करता है।

    धारा 137: Kidnapping

    भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत Kidnapping को दो प्रकारों में बाँटा गया है: भारत से Kidnapping और वैध अभिरक्षा (lawful guardianship) से Kidnapping। प्रत्येक प्रकार की अपनी अलग परिभाषा और कानूनी परिणाम होते हैं।

    भारत से Kidnapping (धारा 137(1)(a))

    भारत से Kidnapping तब होती है जब किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना या उस व्यक्ति के लिए कानूनी रूप से अधिकृत किसी व्यक्ति की सहमति के बिना भारत की सीमाओं के बाहर ले जाया जाता है। यहां मुख्य तत्व यह है कि बिना उचित सहमति के किसी व्यक्ति को देश से बाहर ले जाया जाता है।

    उदाहरण: मान लीजिए कि एक नाबालिग बच्चे को उसके माता-पिता या वैध अभिभावक की सहमति के बिना किसी विदेशी देश में ले जाया जाता है। जिसने भी बच्चे को ले जाया है, वह भारत से Kidnapping का दोषी होगा क्योंकि बच्चे को कानूनी सहमति के बिना देश की सीमाओं से बाहर ले जाया गया है।

    वैध अभिरक्षा से Kidnapping (धारा 137(1)(b))

    वैध अभिरक्षा से Kidnapping का मतलब है कि किसी बच्चे या अस्वस्थ मस्तिष्क (unsound mind) वाले व्यक्ति को उनके वैध अभिरक्षक (lawful guardian) की अनुमति के बिना उनकी अभिरक्षा से बाहर ले जाना या उन्हें लुभाना। इसमें मुख्य ध्यान उस कमजोर व्यक्ति को बिना अनुमति के उसके अभिरक्षक से दूर करने पर होता है।

    उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति किसी 10 साल के बच्चे को स्कूल के मैदान से उसके माता-पिता या अभिभावकों की अनुमति के बिना लुभा कर ले जाता है, तो वह वैध अभिरक्षा से Kidnapping का दोषी होगा। बच्चे को उसके अभिरक्षक की अनुमति के बिना वैध देखभाल (lawful care) से दूर ले जाया गया है।

    स्पष्टीकरण और अपवाद (Explanation and Exception)

    "वैध अभिरक्षक" शब्द में कोई भी व्यक्ति शामिल है जो कानूनी रूप से बच्चे या अस्वस्थ मस्तिष्क वाले व्यक्ति की देखभाल या अभिरक्षा के लिए अधिकृत (entrusted) है। इसका मतलब है कि न केवल माता-पिता, बल्कि कोई भी व्यक्ति जिसे कानूनी रूप से बच्चे या व्यक्ति की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसे वैध अभिरक्षक माना जाएगा।

    हालाँकि, इस नियम में एक अपवाद (exception) है। यह कानून उस व्यक्ति पर लागू नहीं होता जो अच्छे विश्वास (good faith) में यह मानता है कि वह एक अवैध बच्चे (illegitimate child) का पिता है या वह इस बच्चे की वैध अभिरक्षा का हकदार है, बशर्ते कि यह कार्य किसी अनैतिक (immoral) या गैरकानूनी (unlawful) उद्देश्य के लिए न किया गया हो।

    उदाहरण: यदि एक आदमी, जो सच्चे मन से मानता है कि वह एक अवैध बच्चे का पिता है, उस बच्चे को उसकी मां की अभिरक्षा से बिना अनुमति के ले जाता है, तो उसे Kidnapping का दोषी नहीं माना जाएगा, बशर्ते कि उसके इरादे (intentions) ईमानदार हों और किसी अनैतिक या गैरकानूनी उद्देश्य के लिए न हों।

    Kidnapping की सजा (धारा 137(2))

    भारत से या वैध अभिरक्षा से Kidnapping के दोषी पाए गए व्यक्ति को सात साल तक की कैद (imprisonment) की सजा दी जा सकती है और वह जुर्माने (fine) के लिए भी उत्तरदायी हो सकता है।

    उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को उसकी वैध अभिरक्षा से Kidnapping करता है और उसे बिना सहमति के देश से बाहर ले जाता है, तो उसे सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है और उसे जुर्माना भी देना पड़ सकता है।

    धारा 138: Abduction

    Abduction को भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 138 में परिभाषित किया गया है, जिसमें किसी व्यक्ति को बल (force) द्वारा मजबूर करके या धोखे (deceitful means) से किसी स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की बात कही गई है। Kidnapping के विपरीत, जो आमतौर पर नाबालिगों या अस्वस्थ मस्तिष्क वाले व्यक्तियों से संबंधित होती है, Abduction में कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता है और यह बल या धोखे के उपयोग द्वारा परिभाषित किया जाता है।

    उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को बलपूर्वक (forcefully) खींचकर एक वाहन में डाल देता है और उसे उसकी इच्छा के खिलाफ किसी अन्य स्थान पर ले जाता है, तो यह Abduction कहलाता है। इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति किसी को धोखा देकर (misleading) एक सुरक्षित स्थान से बाहर निकालता है (जैसे कि झूठा यह कहकर कि उनके परिवार का कोई सदस्य खतरे में है), तो यह भी Abduction माना जाता है।

    Kidnapping और Abduction के बीच का अंतर

    Kidnapping और Abduction भले ही समान लगते हों, लेकिन भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत इनकी कानूनी परिभाषाएं और परिणाम भिन्न होते हैं।

    Kidnapping मुख्य रूप से नाबालिगों या अस्वस्थ मस्तिष्क वाले व्यक्तियों से संबंधित होती है और इसका मुख्य तत्व किसी व्यक्ति को उसके अभिरक्षक की सहमति के बिना अवैध रूप से ले जाना है। इसमें पीड़ित और उसके अभिरक्षक के बीच के संबंध पर जोर दिया जाता है और इस बात पर कि व्यक्ति को ले जाने में कानूनी सहमति की कमी थी।

    Abduction, इसके विपरीत, किसी भी व्यक्ति से संबंधित हो सकता है, चाहे उसकी उम्र या मानसिक स्थिति कुछ भी हो। Abduction का मुख्य तत्व बल या धोखे का उपयोग करके किसी व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए मजबूर करना है। इसमें अभिरक्षा या कानूनी संरक्षक (legal custodian) की सहमति की कमी की बात नहीं होती है।

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