जब कॉरपोरेशन या पंजीकृत सोसाइटी किसी अपराध में आरोपी हो तो ट्रायल में कैसे पेश किया जाए : धारा 342, BNSS 2023
Himanshu Mishra
22 Jan 2025 5:45 PM IST

धारा 342, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita), 2023, यह प्रक्रिया स्पष्ट करती है कि जब कोई कॉरपोरेशन (Corporation) या पंजीकृत सोसाइटी (Registered Society) किसी अपराध में आरोपी हो, तो कानूनी जांच या ट्रायल (Trial) में उसे कैसे पेश किया जाए। यह धारा कॉरपोरेट संस्थाओं की कानूनी पहचान और न्याय के सिद्धांतों के बीच संतुलन स्थापित करती है।
कॉरपोरेशन की परिभाषा
धारा 342 के तहत, "कॉरपोरेशन" (Corporation) से आशय है एक Incorporated Company (पंजीकृत कंपनी) या अन्य बॉडी कॉरपोरेट। इसमें Societies Registration Act, 1860 के तहत पंजीकृत सोसाइटी भी शामिल है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या एक एनजीओ (NGO) पर किसी अपराध का आरोप हो, तो इस धारा के प्रावधान लागू होंगे।
प्रतिनिधि (Representative) की नियुक्ति
धारा 342 के अनुसार, यदि कोई कॉरपोरेशन आरोपी है, तो वह जांच या ट्रायल के लिए अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है। यह प्रावधान इस उद्देश्य से है कि कंपनी के निदेशकों या प्रबंधन को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने की आवश्यकता न हो।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह नियुक्ति कॉरपोरेशन की आधिकारिक सील (Seal) के तहत होने की आवश्यकता नहीं है। इससे प्रक्रिया सरल और तेज होती है।
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कंपनी पर पर्यावरण कानून का उल्लंघन करने का आरोप है, तो वह अपने लीगल ऑफिसर या किसी वरिष्ठ कार्यकारी को प्रतिनिधि नियुक्त कर सकती है।
प्रतिनिधि पर लागू होने वाली आवश्यकताएं
उपधारा (Sub-section) 3 यह निर्दिष्ट करती है कि जिस प्रक्रिया को आरोपी की उपस्थिति में पूरा किया जाना आवश्यक है, वह प्रक्रिया प्रतिनिधि की उपस्थिति में पूरी की जा सकती है।
यह प्रतिनिधि, ट्रायल के दौरान कंपनी की ओर से सभी आवश्यक कार्य करता है।
उदाहरण: यदि अदालत किसी अपराध पर आरोपी से स्पष्टीकरण मांगती है, तो यह स्पष्टीकरण कंपनी का प्रतिनिधि देगा।
प्रतिनिधि की अनुपस्थिति
यदि कॉरपोरेशन प्रतिनिधि नियुक्त नहीं करता या प्रतिनिधि अदालत में उपस्थित नहीं होता, तो उपधारा (4) के अनुसार, उपधारा (3) में उल्लिखित आवश्यकताएं लागू नहीं होंगी।
यह सुनिश्चित करता है कि प्रतिनिधि की अनुपस्थिति के कारण कानूनी कार्यवाही में अनावश्यक देरी न हो।
उदाहरण: यदि एक पंजीकृत सोसाइटी किसी सुनवाई में अपना प्रतिनिधि नहीं भेजती है, तो अदालत आवश्यकताओं को पूरा किए बिना ही कार्यवाही जारी रख सकती है।
नियुक्ति की वैधता का अनुमान
उपधारा (5) यह सुविधा प्रदान करती है कि यदि किसी कॉरपोरेशन का मैनेजिंग डायरेक्टर या अधिकृत व्यक्ति (Authorized Person) लिखित रूप में यह घोषणा करता है कि किसी व्यक्ति को प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है, तो अदालत इसे सही मानेगी, जब तक कि इसके विपरीत कोई प्रमाण न हो।
उदाहरण: यदि एक कंपनी अपने मैनेजिंग डायरेक्टर के हस्ताक्षरित पत्र के माध्यम से यह घोषणा करती है कि उसका लीगल ऑफिसर प्रतिनिधि है, तो अदालत इसे तब तक वैध मानेगी जब तक कोई अन्य सबूत प्रस्तुत न हो।
प्रतिनिधित्व से संबंधित विवादों का निपटारा
यदि किसी व्यक्ति के प्रतिनिधि होने पर विवाद उत्पन्न होता है, तो उपधारा (6) के अनुसार, अदालत इस विवाद का समाधान करेगी।
उदाहरण: यदि कोई पार्टी यह दावा करती है कि प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किया गया है, तो अदालत मामले की जांच करके यह तय करेगी कि वह व्यक्ति वैध प्रतिनिधि है या नहीं।
स्पष्टीकरण के लिए उदाहरण
1. प्रतिनिधि की नियुक्ति और उपस्थिति
XYZ प्राइवेट लिमिटेड पर श्रम कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप है। कंपनी अपने लीगल एडवाइजर को प्रतिनिधि नियुक्त करती है। अदालत में आरोप पढ़े जाते हैं और प्रमाणों की जांच की जाती है। यह प्रक्रिया उपधारा (3) के तहत कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करती है।
2. प्रतिनिधि की अनुपस्थिति
एक पंजीकृत सोसाइटी वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों में अदालत में उपस्थित नहीं होती। अदालत, उपधारा (4) के अनुसार, प्रतिनिधि की अनुपस्थिति में भी कार्यवाही को जारी रखती है।
3. नियुक्ति की वैधता का अनुमान
एक निर्माण कंपनी लिखित में घोषणा करती है कि उसका चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) प्रतिनिधि है। अदालत इसे सही मानती है, जब तक कि अन्यथा सिद्ध न हो।
4. प्रतिनिधित्व पर विवाद
एक पार्टी का दावा है कि अदालत में उपस्थित व्यक्ति कंपनी का वैध प्रतिनिधि नहीं है। अदालत मामले की जांच करती है और फैसला देती है।
अन्य प्रावधानों के साथ संबंध
धारा 342 को संहिता की अन्य प्रक्रियात्मक धाराओं के साथ पढ़ा जाना चाहिए। जैसे, इससे पहले की धाराएं आरोपी के अधिकारों और निष्पक्ष ट्रायल की गारंटी देती हैं। यह प्रावधान न्याय को सुनिश्चित करते हुए प्रक्रियात्मक दक्षता बनाए रखने में सहायक है।
महत्व
धारा 342 कानूनी प्रक्रियाओं में कॉरपोरेट संस्थाओं की अद्वितीय प्रकृति को पहचानती है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि न्यायिक कार्यवाही सुचारु रूप से हो और प्रक्रिया सरल बनी रहे।
धारा 342 यह स्पष्ट और व्यावहारिक रूप से बताती है कि जब कॉरपोरेशन या पंजीकृत सोसाइटी किसी मामले में आरोपी हो, तो क्या प्रक्रिया अपनाई जाए।
प्रतिनिधियों की नियुक्ति, वैधता की पुष्टि, और विवादों के समाधान के लिए दिशा-निर्देश इसे एक संतुलित प्रावधान बनाते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कानूनी प्रक्रिया प्रभावी और न्यायसंगत हो।