हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: प्रारंभिक धाराएं

Himanshu Mishra

5 July 2025 5:05 PM IST

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: प्रारंभिक धाराएं

    हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की शुरुआत इसकी प्रारंभिक धाराओं (Preliminary Sections) से होती है, जो अधिनियम के नाम, उसके विस्तार (Extent) और उन व्यक्तियों (Persons) पर लागू होने (Application) का निर्धारण करती हैं जिन पर यह कानून प्रभावी होगा। ये धाराएँ अधिनियम की नींव (Foundation) रखती हैं और यह स्पष्ट करती हैं कि कौन इसके दायरे (Ambit) में आता है।

    1. संक्षिप्त नाम और विस्तार (Short Title and Extent)

    (1) इस अधिनियम को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 कहा जा सकता है। (This Act may be called the Hindu Marriage Act, 1955.)

    यह उप-धारा (Sub-section) अधिनियम का आधिकारिक नाम (Official Name) बताती है, जिससे इसकी पहचान (Identification) स्पष्ट होती है।

    (2) यह जम्मू और कश्मीर राज्य (State of Jammu and Kashmir) को छोड़कर पूरे भारत (Whole of India) पर लागू होता है, और उन हिंदुओं पर भी लागू होता है जो उन क्षेत्रों में अधिवासित (Domiciled) हैं जहाँ यह अधिनियम लागू होता है और जो उक्त क्षेत्रों के बाहर हैं। (It extends to the whole of India except the State of Jammu and Kashmir, and applies also to Hindus domiciled in the territories to which this Act extends who are outside the said territories.)

    यह खंड (Clause) अधिनियम के भौगोलिक विस्तार (Geographical Extent) को परिभाषित करता है। मूल रूप से, यह जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर (Except) पूरे भारत में लागू होता था। हालांकि, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019) के बाद, यह अधिनियम अब जम्मू और कश्मीर सहित पूरे भारत पर लागू होता है।

    यह उन हिंदुओं पर भी लागू होता है जो भारत के उन क्षेत्रों में अधिवासित (Domiciled - स्थायी रूप से रहते हैं) हैं जहाँ यह अधिनियम लागू होता है, भले ही वे विवाह के समय उन क्षेत्रों के बाहर (Outside the said territories) हों। इसका मतलब है कि भारतीय नागरिक (Indian Citizens) जो विदेश में रहते हैं, लेकिन भारत में अधिवासित हैं, उन पर भी यह अधिनियम लागू होगा।

    2. अधिनियम का लागू होना (Application of Act)

    (1) यह अधिनियम लागू होता है (This Act applies )

    यह उप-धारा (Sub-section) उन विशिष्ट श्रेणियों (Specific Categories) के व्यक्तियों को सूचीबद्ध (Lists) करती है जिन पर हिंदू विवाह अधिनियम लागू होता है:

    (a) किसी भी व्यक्ति पर जो धर्म से हिंदू (Hindu by religion) है, उसके किसी भी रूप (Forms) या विकास (Developments) में, जिसमें वीरशैव (Virashaiva), लिंगायत (Lingayat) या ब्रह्म (Brahmo), प्रार्थना (Prarthana) या आर्य समाज (Arya Samaj) का अनुयायी (Follower) शामिल है, (to any person who is a Hindu by religion in any of its forms or developments, including a Virashaiva, a Lingayat or a follower of the Brahmo, Prarthana or Arya Samaj,)

    यह खंड स्पष्ट करता है कि अधिनियम केवल "हिंदू" धर्म के अनुयायियों (Followers) पर ही नहीं, बल्कि इसकी विभिन्न शाखाओं (Various Branches) और सुधारवादी आंदोलनों (Reformist Movements) पर भी लागू होता है। इसमें वीरशैव, लिंगायत, और ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज जैसे समूह शामिल हैं, जो हिंदू धर्म के व्यापक दायरे (Broader Ambit) में आते हैं।

    (b) किसी भी व्यक्ति पर जो धर्म से बौद्ध (Buddhist), जैन (Jaina) या सिख (Sikh) है, और (to any person who is a Buddhist, Jaina or Sikh by religion, and)

    यह खंड हिंदू विवाह अधिनियम के दायरे को बौद्ध, जैन और सिख धर्म के अनुयायियों तक बढ़ाता है। यह ऐतिहासिक रूप से भारत में इन धर्मों की उत्पत्ति (Origin) और उनके हिंदू धर्म से सांस्कृतिक जुड़ाव (Cultural Affinity) को दर्शाता है। ये धर्म, हालांकि अलग पहचान रखते हैं, व्यक्तिगत कानून के मामलों में हिंदू कानून के तहत शासित (Governed) होते रहे हैं जब तक कि उनके अपने विशिष्ट कानून न हों।

    (c) किसी भी अन्य व्यक्ति पर जो उन क्षेत्रों में अधिवासित है जहाँ यह अधिनियम लागू होता है और जो धर्म से मुस्लिम (Muslim), ईसाई (Christian), पारसी (Parsi) या यहूदी (Jew) नहीं है, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि ऐसा कोई भी व्यक्ति इस अधिनियम के पारित होने पर हिंदू कानून या उस कानून के हिस्से के रूप में किसी भी रीति-रिवाज या उपयोग द्वारा शासित नहीं होता यदि यह अधिनियम पारित नहीं किया गया होता। (to any other person domiciled in the territories to which this Act extends who is not a Muslim, Christian, Parsi or Jew by religion, unless it is proved that any such person would not have been governed by the Hindu law or by any custom or usage as part of that law in respect of any of the matters dealt with herein if this Act had not been passed.)

    यह खंड एक अवशिष्ट श्रेणी (Residual Category) को कवर करता है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति भारत में अधिवासित है और वह मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी नहीं है, तो उस पर भी यह अधिनियम लागू होगा, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि वह व्यक्ति इस अधिनियम के बिना भी हिंदू कानून या उसके किसी रीति-रिवाज या उपयोग से शासित नहीं होता। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी व्यक्तिगत कानून के दायरे से बाहर न रहे।

    स्पष्टीकरण (Explanation) मामले के अनुसार, निम्नलिखित व्यक्ति धर्म से हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं: (The following persons are Hindus, Buddhists, Jainas or Sikhs by religion, as the case may be: )

    यह स्पष्टीकरण (Explanation) उन विशिष्ट स्थितियों को स्पष्ट करता है जिनमें एक व्यक्ति को हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख माना जाएगा:

    (a) कोई भी बच्चा, वैध (Legitimate) या अवैध (Illegitimate), जिसके माता-पिता (Parents) दोनों धर्म से हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं; (any child, legitimate or illegitimate, both of whose parents are Hindus, Buddhists, Jainas or Sikhs by religion;)

    यह बताता है कि यदि माता-पिता दोनों हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं, तो उनके बच्चे, चाहे वे वैध विवाह से हों या नहीं, को भी उसी धर्म का माना जाएगा।

    (b) कोई भी बच्चा, वैध या अवैध, जिसके माता-पिता में से एक (One of whose parents) धर्म से हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख है और जिसे उस जनजाति (Tribe), समुदाय (Community), समूह (Group) या परिवार (Family) के सदस्य के रूप में पाला गया है जिससे वह माता-पिता संबंधित है या संबंधित था; और (any child, legitimate or illegitimate, one of whose parents is a Hindu, Buddhist, Jaina or Sikh by religion and who is brought up as a member of the tribe, community, group or family to which such parent belongs or belonged; and)

    यह खंड उन बच्चों को शामिल करता है जिनके केवल एक माता-पिता हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे बच्चे को उस माता-पिता के जनजाति, समुदाय, समूह या परिवार के सदस्य के रूप में पाला गया हो। यह परवरिश (Upbringing) के महत्व पर जोर देता है।

    (c) कोई भी व्यक्ति जो हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख धर्म में धर्मांतरित (Convert) या पुनः धर्मांतरित (Re-convert) हुआ है। (any person who is a convert or re-convert to the Hindu, Buddhist, Jaina or Sikh religion.)

    यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि जो व्यक्ति किसी अन्य धर्म से हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख धर्म में परिवर्तित (Converted) होते हैं, या जो पहले इन धर्मों में थे और फिर से इनमें लौटते हैं (Re-converted), उन पर भी यह अधिनियम लागू होगा।

    (2) उप-धारा (1) में किसी भी बात के होते हुए भी (Notwithstanding anything contained in sub-section (1)), इस अधिनियम में निहित कोई भी बात संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 366 (Article 366) के खंड (Clause) (25) के अर्थ के भीतर किसी भी अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के सदस्यों पर लागू नहीं होगी, जब तक कि केंद्र सरकार (Central Government), राजपत्र (Official Gazette) में अधिसूचना (Notification) द्वारा, अन्यथा निर्देश (Otherwise directs) न दे। (Notwithstanding anything contained in sub-section (1), nothing contained in this Act shall apply to the members of any Scheduled tribe within the meaning of clause (25) of article 366 of the Constitution unless the Central Government, by notification in the Official Gazette, otherwise directs.)

    यह उप-धारा एक महत्वपूर्ण अपवाद (Important Exception) प्रदान करती है। यह कहती है कि हिंदू विवाह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) के सदस्यों पर लागू नहीं होगा, जब तक कि केंद्र सरकार विशेष रूप से राजपत्र में अधिसूचना जारी करके ऐसा निर्देश न दे। यह प्रावधान जनजातीय समुदायों (Tribal Communities) की अपनी विशिष्ट रीति-रिवाजों (Specific Customs) और परंपराओं (Traditions) को बनाए रखने की स्वायत्तता (Autonomy) को मान्यता देता है।

    (3) इस अधिनियम के किसी भी हिस्से में "हिंदू" अभिव्यक्ति (Expression) का अर्थ इस प्रकार लगाया जाएगा (Shall be construed) जैसे कि इसमें वह व्यक्ति भी शामिल है जो, हालांकि धर्म से हिंदू नहीं है, फिर भी एक ऐसा व्यक्ति है जिस पर इस धारा में निहित प्रावधानों (Provisions) के आधार पर (By virtue of) यह अधिनियम लागू होता है। (The expression “Hindu” in any portion of this Act shall be construed as if it included a person who, though not a Hindu by religion, is, nevertheless, a person to whom this Act applies by virtue of the provisions contained in this section.)

    यह अंतिम उप-धारा स्पष्ट करती है कि अधिनियम में कहीं भी "हिंदू" शब्द का उपयोग किया गया है, तो उसे केवल धर्म से हिंदू व्यक्ति तक ही सीमित नहीं माना जाएगा, बल्कि इसमें वे सभी व्यक्ति भी शामिल होंगे जिन पर धारा 2 के अन्य प्रावधानों (Other Provisions) के कारण यह अधिनियम लागू होता है (जैसे बौद्ध, जैन, सिख और अन्य अवशिष्ट श्रेणी के व्यक्ति)। यह अधिनियम के व्यापक दायरे (Broad Scope) को सुनिश्चित करता है।

    महत्वपूर्ण मामले (Landmark Cases)

    धारा 2 की व्याख्या (Interpretation) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय (Judicial Decisions) हैं जिन्होंने "हिंदू" की परिभाषा और अधिनियम के लागू होने को स्पष्ट किया है:

    1. पेरुमल नादर (मृत) बनाम पोन्नुस्वामी (Perumal Nadar (Dead) By L.Rs. v. Ponnuswami), 1971:

    o मामला (Case): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म में धर्मांतरण (Conversion to Hinduism) के लिए किसी औपचारिक समारोह (Formal Ceremony) की आवश्यकता नहीं होती है। यदि कोई व्यक्ति हिंदू धर्म में परिवर्तित होने का इरादा (Intention) रखता है और हिंदू समुदाय द्वारा उसे स्वीकार (Accepted) कर लिया जाता है, तो उसे हिंदू माना जा सकता है।

    o महत्व (Significance): यह निर्णय धारा 2(1)(c) और स्पष्टीकरण के खंड (c) के तहत धर्मांतरण के प्रावधानों (Provisions of Conversion) को समझने में मदद करता है, यह दर्शाता है कि धर्मांतरण का सार (Essence) इरादे और सामुदायिक स्वीकृति (Community Acceptance) में निहित है।

    2. लिली थॉमस बनाम भारत संघ (Lily Thomas v. Union of India), 2000:

    o मामला (Case): हालांकि यह मामला मुख्य रूप से बहुविवाह (Bigamy) और भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 494 (Section 494) से संबंधित था, इसने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत "हिंदू" की परिभाषा को भी छुआ। न्यायालय ने माना कि एक हिंदू पुरुष, जो अपनी पहली शादी के दौरान मुस्लिम धर्म में परिवर्तित (Converted to Islam) हो जाता है और दूसरी शादी करता है, वह अभी भी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अपनी पहली पत्नी के प्रति जवाबदेह (Accountable) होगा, क्योंकि उसका धर्मांतरण केवल दूसरी शादी करने के लिए किया गया था और वह वास्तविक धर्मांतरण (Bona Fide Conversion) नहीं था।

    o महत्व (Significance): यह मामला धारा 2 के तहत धर्मांतरण के दुरुपयोग (Misuse of Conversion) को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि अधिनियम का उद्देश्य (Purpose) बना रहे, खासकर एकविवाह (Monogamy) के सिद्धांत (Principle) के संबंध में।

    3. एस.पी. मित्तल बनाम भारत संघ (S.P. Mittal v. Union of India), 1983:

    o मामला (Case): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने "हिंदू धर्म" की अवधारणा (Concept of "Hindu Religion") और धर्मनिरपेक्षता (Secularism) के संदर्भ में आर्य समाज (Arya Samaj) की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। न्यायालय ने माना कि आर्य समाज हिंदू धर्म के भीतर एक सुधारवादी आंदोलन है, और इसके अनुयायी हिंदू विवाह अधिनियम के दायरे में आते हैं।

    o महत्व (Significance): यह निर्णय धारा 2(1)(a) में उल्लिखित "हिंदू धर्म के रूपों या विकास" (Forms or Developments of Hindu Religion) की व्याख्या को मजबूत करता है और अधिनियम के समावेशी (Inclusive) चरित्र को रेखांकित करता है।

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