Constitution में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की पात्रता

Shadab Salim

13 Dec 2024 1:49 PM IST

  • Constitution में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की पात्रता

    भारतीय संविधान में भारत में संसदीय सरकार की स्थापना की है, संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षतामक शासन व्यवस्था है। संसदीय सरकार में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया संविधान एक अध्यक्ष होता है लेकिन वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद में है जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है। मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है मंत्री परिषद के सदस्य जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं।

    आर्टिकल 53 द्वारा संघ की कार्यपालिका शक्ति प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया में निहित की गई है लेकिन आर्टिकल 74 में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि वह उसका प्रयोग मंत्री परिषद के परामर्श से ही कर सकता है। इसके विपरीत संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षतामक प्रणाली में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया वास्तविक कार्यपालिका का अधिकारी होता है उसका निर्वाचन सीधा जनता द्वारा होता है।

    आर्टिकल 52 यह उपबंधित करता है कि भारत का एक प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया होगा। क्षेत्रफल के अनुसार भारत के संघ की कार्यपालिका शक्ति भारत के प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया में निहित है और वह इसका प्रयोग संविधान के अनुसार या तो स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। आर्टिकल 74 केवल संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार का उल्लेख करता है जिसके अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार इन विषयों के संबंध में होगा जिन पर संसद को कानून बनाने की शक्ति है। इसका अर्थ यह है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति संसद की विधान बनाने की शक्ति की सह विस्तारी शक्ति है।

    कार्यपालिका शक्ति का उन राजकीय कार्यों से तात्पर्य है जो विधाई और न्यायिक कार्यों को निकालने के पश्चात शेष बचते हैं। एक मामले में यह कहा गया है कि कार्यपालिका शक्ति के अधीन राज्य को मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के लिए पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन मुद्रण और विक्रय की शक्ति प्राप्त है किंतु इस प्रकार के कार्यों से नागरिक के मूल अधिकारों का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।

    भारत की संसदीय सरकार पद्धति में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया केवल नाम मात्र का राष्ट्राध्यक्ष है असल सारी शक्तियां तो प्रधानमंत्री में ही है क्योंकि प्रधानमंत्री ही मंत्री परिषद का अध्यक्ष होता है।

    प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया होने के लिए पात्रता-

    भारत के संविधान का आर्टिकल 58 प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के पद के लिए पात्र होने वाले व्यक्ति को कुछ अर्हता आवश्यक करता है जिसके अनुसार ऐसा व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए और उसे 45 वर्ष की आयु का होना चाहिए और लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की अर्हता रखनी चाहिए अर्थात उसका नाम किसी संसदीय निर्वाचन मंडल में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए और उसे भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के अधीन नियंत्रित किसी स्थानीय या अन्य पदाधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण किए हुए नहीं होना चाहिए।

    प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया संसद के किसी सदन के किसी राज्य विधानमंडल के सदन का सदस्य नहीं होगा यदि वह निर्वाचन के समय उक्त सदनों में से किसी का सदस्य था तो प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के रूप में अपने पद ग्रहण के तारीख से उस सदन से उसकी सदस्यता स्वता समाप्त मानी जाएगी। प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं कर सकता।

    प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया अपने पद ग्रहण की तारीख से 5 वर्ष तक की अवधि तक पद धारण करता है। प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया अपने पद की समाप्ति के पश्चात भी अपने पद धारण करता रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी अपना प्रकरण नहीं कर लेता है। वह पद के पूर्ण निर्वाचन का पात्र है। वह इस पद के लिए अनेक बार निर्वाचित किया जा सकता है। भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को अनेकों बार प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के रूप में नियुक्त होने की इजाजत देता है। 5 साल के पहले भी प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया अपना पद त्याग सकता है।

    यह त्यागपत्र उपप्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को संबोधित किया जाएगा जो इसकी सूचना लोकसभा अध्यक्ष को देगा। उसे संविधान का अतिक्रमण करने पर आर्टिकल 61 में उपबंधित रीति से किए गए महाभियोग पद से हटाया जा सकता है। यहां ध्यान देना चाहिए कि प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया प्रीति का उल्लेख आर्टिकल 61 के अंतर्गत किया गया है।

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