क्या संविधान पीठ के 2023 के फैसले के बाद दिल्ली सरकार को 'Services' पर नियंत्रण प्राप्त है?
Himanshu Mishra
14 Jun 2025 5:27 PM

दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारों का संवैधानिक विवाद
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने Government of NCT of Delhi बनाम Union of India (2023) मामले में यह तय किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCTD) में प्रशासनिक सेवाओं (Services) का नियंत्रण किसके पास होगा केंद्र सरकार के पास या चुनी हुई दिल्ली सरकार के पास।
इस फैसले में संविधान के Article 239AA की व्याख्या की गई, खासकर उस वाक्यांश की, जिसमें कहा गया है "insofar as any such matter is applicable to Union Territories"। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार को Services से जुड़े मामलों में कानून बनाने और उसे लागू करने का अधिकार है, बशर्ते वे Police, Public Order और Land जैसे विषयों से जुड़े न हों।
Article 239AA और विधायी-कार्यकारी संतुलन (Legislative-Executive Balance)
Article 239AA को 1991 के संविधान (उनहत्तरवां संशोधन) अधिनियम के माध्यम से जोड़ा गया था। इसके तहत दिल्ली को एक विशेष दर्जा मिला, जिसमें एक निर्वाचित विधानसभा (Legislative Assembly) और मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) का गठन अनिवार्य किया गया।
इस अनुच्छेद की धारा 3(a) में दिल्ली विधानसभा को State List और Concurrent List के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दिया गया, परंतु तीन विषय — Public Order (सार्वजनिक व्यवस्था), Police (पुलिस), और Land (भूमि) को इससे बाहर रखा गया। Services (सेवाएं) का विषय State List की Entry 41 में आता है और यह स्पष्ट नहीं था कि यह दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि Services, Delhi Government के नियंत्रण में आती हैं।
कार्यपालिका शक्ति का दायरा (Scope of Executive Power)
कोर्ट ने अपने पहले के 2018 के संविधान पीठ के फैसले के सिद्धांत को दोहराया कि किसी सरकार की कार्यकारी शक्ति (Executive Power) उसकी विधायी शक्ति (Legislative Power) के समानांतर होती है। यानी जिस विषय पर विधानसभा कानून बना सकती है, उस पर कार्यपालिका उसे लागू भी कर सकती है।
इसलिए यदि दिल्ली विधानसभा को Services पर कानून बनाने का अधिकार है, तो Delhi Government को उसे लागू करने की कार्यकारी शक्ति भी होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो मंत्रियों की सामूहिक जिम्मेदारी (Collective Responsibility) और जनप्रतिनिधि शासन का सिद्धांत कमजोर हो जाएगा।
"Insofar as any such matter is applicable to Union Territories" की व्याख्या (Interpretation of the Phrase)
इस मामले में मुख्य कानूनी प्रश्न यह था कि क्या Article 239AA(3)(a) में प्रयुक्त यह वाक्यांश दिल्ली सरकार के अधिकारों को सीमित करता है। केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि इस वाक्यांश के कारण दिल्ली Services पर कानून नहीं बना सकती। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ की राय को स्वीकारते हुए कहा कि यह वाक्यांश सीमित करने वाला नहीं बल्कि विस्तारित करने वाला है। इसका उद्देश्य यह है कि Union Territories जैसे दिल्ली को भी उन विषयों पर कानून बनाने का अवसर मिले, जिनमें "State" शब्द प्रयुक्त है। यह केवल भाषा में अंतर को समाहित करने के लिए है, अधिकारों को छीनने के लिए नहीं।
दिल्ली की विशेष संवैधानिक स्थिति (Sui Generis Status of Delhi)
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली का दर्जा अन्य Union Territories से अलग और विशिष्ट (Sui Generis) है। जहां अन्य UTs को Article 239A के तहत चलाया जाता है, वहीं दिल्ली का शासन Article 239AA के तहत संविधान में सुनिश्चित किया गया है। यह एक संवैधानिक आदेश है, जो यह तय करता है कि दिल्ली में जनता के द्वारा चुनी गई सरकार होगी, जिसके पास प्रशासनिक अधिकार भी होंगे। इसे किसी कार्यपालिका आदेश (Executive Notification) के माध्यम से कम नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने NDMC v. State of Punjab (1997) और अन्य निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि दिल्ली का संवैधानिक ढांचा अन्य केंद्रशासित प्रदेशों से भिन्न है। Article 239AA संसद की यह मंशा दर्शाता है कि दिल्ली को वास्तविक प्रतिनिधित्व मिले।
लोकतंत्र और जवाबदेही की त्रि-स्तरीय शृंखला (Triple Chain of Accountability in Democracy)
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि दिल्ली सरकार के पास Services पर नियंत्रण नहीं होगा, तो "Triple Chain of Accountability" टूट जाएगी। इस श्रृंखला में पहले Civil Servants (नौकरशाह) मंत्रियों को उत्तरदायी होते हैं, फिर मंत्री विधानसभा को और अंत में विधानसभा जनता को। यदि Services दिल्ली सरकार के अधीन नहीं होंगी, तो जनता की इच्छा को लागू करना कठिन हो जाएगा और लोकतांत्रिक प्रशासन (Democratic Governance) कमजोर पड़ेगा।
राष्ट्रपति और उपराज्यपाल की भूमिका (Role of President and Lieutenant Governor)
केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि चूंकि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए Services का नियंत्रण राष्ट्रपति के माध्यम से उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) के पास रहना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने यह मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल केवल उन्हीं मामलों में विवेकाधीन शक्ति (Discretionary Power) का प्रयोग कर सकते हैं जो संविधान द्वारा स्पष्ट रूप से उन्हें दिए गए हों। बाकी सभी मामलों में उन्हें दिल्ली सरकार की मंत्रिपरिषद की सलाह से कार्य करना चाहिए।
Article 239AA(4) का Proviso उपराज्यपाल को यह अधिकार देता है कि वे किसी मतभेद की स्थिति में मामला राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह Proviso एक असाधारण स्थिति के लिए है, इसे रोज़मर्रा की प्रशासनिक प्रक्रिया में लागू नहीं किया जाना चाहिए।
संसद की अधिभावी शक्ति और संघीय संतुलन (Parliament's Overriding Power and Federal Balance)
Article 239AA(3)(b) और (c) के तहत संसद को यह शक्ति है कि वह दिल्ली विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून को रद्द कर सकती है या स्वयं किसी भी विषय पर कानून बना सकती है, चाहे वह State List का ही क्यों न हो। लेकिन जब तक संसद विशेष रूप से ऐसा कोई कानून नहीं बनाती जो Services को दिल्ली सरकार के अधिकार से बाहर कर दे, तब तक Services पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण बना रहेगा।
बाद में, केंद्र सरकार ने Government of NCT of Delhi (Amendment) Ordinance, 2023 और फिर GNCTD Amendment Act, 2023 के जरिए यह शक्ति अपने पास ले ली। लेकिन यह फैसला उस बदलाव से पहले का है और उसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि Services पर नियंत्रण दिल्ली सरकार के पास है।
महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख (Key Judgments Referred)
कोर्ट ने अपने निर्णय में कई महत्वपूर्ण मामलों का उल्लेख किया, जैसे:
1. NDMC v. State of Punjab (1997): इसमें दिल्ली की विशिष्ट स्थिति को मान्यता दी गई थी
2. Union of India v. Prem Kumar Jain (1976): इसमें Part XIV के प्रावधानों को Union Territories पर लागू होने योग्य माना गया
3. 2018 की संविधान पीठ का निर्णय: इसमें केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच शक्ति संतुलन को स्पष्ट किया गया था
इन सभी मामलों से यह स्पष्ट होता है कि Services पर दिल्ली सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्ति संविधान द्वारा समर्थित है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह स्पष्ट किया कि Delhi Government को Services पर नियंत्रण प्राप्त है, सिवाय उन विषयों के जो Public Order, Police और Land से संबंधित हों। उपराज्यपाल को इन मामलों में मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना होगा। यह फैसला न केवल Article 239AA की सही व्याख्या करता है, बल्कि लोकतंत्र और संघीय ढांचे (Federalism) को भी सुदृढ़ करता है।
यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि दिल्ली जैसी विशेष स्थिति वाली राजधानी में जनता द्वारा चुनी गई सरकार के पास वास्तविक प्रशासनिक शक्ति हो, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हो और प्रशासनिक जवाबदेही बनी रहे।