आतंकवादी अपराधों की परिभाषा, सजा और कानूनी प्रक्रियाओं में अंतर : UAPA और BNS के बीच अंतर
Himanshu Mishra
11 Feb 2025 11:49 AM

भारत में आतंकवाद (Terrorism) से निपटने के लिए Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 (UAPA) और Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 (BNS) दो महत्वपूर्ण कानून हैं। हालांकि दोनों का उद्देश्य आतंकवाद को रोकना और दंडित करना है, लेकिन इनकी संरचना (Structure), क्षेत्र (Scope), प्रक्रियाएं (Procedures) और कानूनी प्रभाव (Legal Implications) अलग-अलग हैं।
UAPA एक विशेष कानून (Special Law) है, जो आतंकवाद को रोकने और उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए बनाया गया था। दूसरी ओर, BNS, जो अब भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की जगह ले चुका है, आतंकवाद से जुड़े अपराधों को सामान्य आपराधिक कानून (General Criminal Law) का हिस्सा बनाता है। इस लेख में हम इन दोनों कानूनों के बीच मुख्य अंतर को विस्तार से समझेंगे।
1. विधायी ढांचा और दायरा (Legislative Framework and Scope)
UAPA और BNS के बीच सबसे बड़ा अंतर उनके विधायी ढांचे (Legislative Framework) में है। UAPA एक विशेष कानून (Special Law) है, जो विशेष रूप से आतंकवाद, देशद्रोही गतिविधियों (Unlawful Activities), और भारत की संप्रभुता (Sovereignty) को खतरे में डालने वाले कार्यों को रोकने के लिए बनाया गया था।
यह न केवल आतंकवाद की परिभाषा (Definition) देता है बल्कि आतंकवादी संगठनों (Terrorist Organizations) पर प्रतिबंध लगाने, संदिग्धों की वित्तीय गतिविधियों (Financial Activities) पर निगरानी रखने और कठोर दंड लागू करने की शक्ति भी प्रदान करता है।
वहीं, BNS एक सामान्य आपराधिक कानून (General Criminal Law) है, जिसमें आतंकवाद को अन्य गंभीर अपराधों के साथ शामिल किया गया है।
इसका मतलब यह है कि अब आतंकवाद से जुड़े अपराध भारतीय दंड संहिता (IPC) के पुराने प्रावधानों के बजाय एक नए, समग्र (Integrated) दृष्टिकोण से देखे जाएंगे। हालांकि, यह केवल आतंकवादी कृत्यों को दंडित करने तक सीमित है और इसमें UAPA जैसी निवारक (Preventive) प्रावधान नहीं हैं।
2. आतंकवादी कृत्य की परिभाषा (Definition of a Terrorist Act)
UAPA और BNS दोनों में आतंकवादी कृत्य (Terrorist Act) की परिभाषा काफी हद तक समान है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।
UAPA की धारा 15 (Section 15) के तहत, आतंकवादी कृत्य ऐसा कोई भी कार्य होता है जो भारत की एकता (Unity), अखंडता (Integrity), संप्रभुता (Sovereignty) और सुरक्षा (Security) को खतरे में डालता हो या जनता के बीच आतंक (Terror) फैलाने के उद्देश्य से किया गया हो।
इसमें विस्फोटक (Explosives), आग्नेयास्त्र (Firearms), जैविक (Biological), रेडियोधर्मी (Radioactive) या परमाणु (Nuclear) पदार्थों का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, नकली भारतीय मुद्रा (Counterfeit Currency) के उत्पादन या प्रसार को भी आतंकवादी कृत्य माना गया है।
BNS की धारा 113 (Section 113) में लगभग यही परिभाषा दी गई है लेकिन कुछ बदलाव किए गए हैं। उदाहरण के लिए, BNS में "सार्वजनिक पदाधिकारी" (Public Functionary) की स्पष्ट परिभाषा दी गई है, जिसमें संवैधानिक अधिकारी (Constitutional Authorities) और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित (Notified) अन्य अधिकारी शामिल हैं।
इसके अलावा, नकली मुद्रा को लेकर यह स्पष्ट किया गया है कि इसे केवल तभी "आतंकवादी कृत्य" माना जाएगा जब यह फॉरेंसिक (Forensic) जांच में भारतीय मुद्रा की प्रमुख सुरक्षा विशेषताओं (Key Security Features) की नकल करता पाया जाए।
3. आतंकवाद के लिए दंड (Punishment for Terrorist Acts)
UAPA और BNS दोनों में आतंकवादी कृत्य के लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
UAPA की धारा 16 (Section 16) के अनुसार, यदि किसी आतंकवादी कृत्य के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो दोषी को मृत्युदंड (Death Penalty) या आजीवन कारावास (Life Imprisonment) के साथ-साथ जुर्माने (Fine) की सजा दी जा सकती है। अन्य मामलों में, कम से कम पांच साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
BNS की धारा 113(2) (Section 113(2)) भी इसी तरह का दंड निर्धारित करती है। हालांकि, BNS में एक नया प्रावधान धारा 113(3) (Section 113(3)) जोड़ा गया है, जिसमें आतंकवादी कृत्य की साजिश (Conspiracy), उकसाने (Incitement), सहयोग (Facilitation) या किसी भी प्रकार की सहायता (Assistance) को भी दंडनीय अपराध माना गया है। UAPA में भी षड्यंत्र (Conspiracy) और उकसावे के लिए प्रावधान हैं, लेकिन BNS में इसे विशेष रूप से एक अलग धारा में शामिल किया गया है।
4. प्रक्रिया और निवारक उपाय (Procedural Aspects and Preventive Measures)
UAPA और BNS के बीच सबसे बड़ा अंतर उनकी प्रक्रियात्मक शक्तियों (Procedural Powers) में है।
UAPA न केवल आतंकवाद को दंडित करता है, बल्कि इसे रोकने के लिए कठोर प्रावधान भी करता है। सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी व्यक्ति को "आतंकवादी" घोषित कर सकती है और किसी संगठन को "प्रतिबंधित संगठन" (Banned Organization) घोषित कर सकती है।
इसके अलावा, जांच एजेंसियों (Investigative Agencies) को अधिक समय तक हिरासत (Detention) में रखने और जमानत (Bail) देने पर कड़े नियम लागू करने की शक्ति दी गई है।
BNS में इस प्रकार की कोई विशेष शक्ति नहीं है। BNS केवल आतंकवादी कृत्य को अपराध मानता है और उसे दंडित करता है, लेकिन संदिग्ध संगठनों (Suspected Organizations) पर प्रतिबंध लगाने या संदिग्ध व्यक्तियों (Suspected Individuals) को लंबे समय तक हिरासत में रखने जैसे विशेष अधिकार इसमें शामिल नहीं हैं। इस वजह से, UAPA अभी भी भारत का प्रमुख आतंकवाद विरोधी कानून बना रहेगा।
5. संगठन और व्यक्तियों पर प्रभाव (Application to Organizations and Individuals)
UAPA की धारा 35 (Section 35) के तहत, सरकार को किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा, 2019 के संशोधन (Amendment) के बाद, UAPA के तहत व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।
BNS में इस तरह की कोई शक्ति नहीं दी गई है। चूंकि BNS एक सामान्य दंड कानून (General Penal Law) है, यह केवल व्यक्तिगत अपराधों को दंडित करता है और आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने जैसी शक्तियां इसमें शामिल नहीं हैं।
हालांकि UAPA और BNS दोनों में आतंकवाद से निपटने के प्रावधान हैं, लेकिन इनकी कानूनी संरचना और उद्देश्य अलग-अलग हैं। UAPA एक विशेष कानून (Special Law) है, जो आतंकवाद को रोकने और उस पर नियंत्रण पाने के लिए कठोर प्रावधान प्रदान करता है। दूसरी ओर, BNS आतंकवादी कृत्यों को सामान्य आपराधिक कानून में शामिल करता है और इसे अन्य अपराधों की तरह दंडित करने का प्रयास करता है।
UAPA में सरकार को व्यापक शक्तियां (Broad Powers) प्राप्त हैं, जिससे वह आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित कर सकती है और संदिग्धों की गतिविधियों को नियंत्रित कर सकती है।
वहीं, BNS केवल अपराधियों को सजा देने पर केंद्रित है और इसमें निवारक उपाय (Preventive Measures) नहीं हैं। इस प्रकार, भविष्य में भारत की आतंकवाद विरोधी नीति (Anti-Terrorism Policy) में इन दोनों कानूनों का समन्वय (Coordination) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।