चार्ज में अपराध से जुड़े समय, स्थान और व्यक्ति का विवरण : BNSS, 2023 की धारा 235
Himanshu Mishra
25 Oct 2024 6:25 PM IST
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) जो 1 जुलाई, 2024 को लागू हुई और जिसने Criminal Procedure Code की जगह ली है, इस संहिता ने Criminal Justice System में कई नए और महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।
इस संहिता की धारा 235 का उद्देश्य अदालत में चार्ज (Charge) प्रस्तुत करते समय अपराध की स्थिति और उससे जुड़े पहलुओं को विशेष रूप से स्पष्ट करना है। इससे आरोपी को मामले की पूरी जानकारी मिलती है जिससे वे अपनी रक्षा के लिए तैयारी कर सकें। धारा 234, जो चार्ज के सामान्य स्वरूप पर केंद्रित है, संदर्भ के लिए संक्षेप में यहाँ दी गई है, ताकि धारा 235 का पूरा महत्व समझा जा सके।
संदर्भ के लिए धारा 234: चार्ज की संरचना और रूपरेखा
धारा 235 के विस्तृत अध्ययन से पहले, यह समझना आवश्यक है कि धारा 234 में चार्ज का सामान्य स्वरूप कैसा होना चाहिए। धारा 234 के अनुसार, चार्ज में अपराध का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए, जिसमें किसी भी विशिष्ट शब्द या विशेष नाम का प्रयोग किया जाना चाहिए जो उस अपराध को परिभाषित करता हो।
साथ ही, चार्ज में उस अपराध की सही धारा का उल्लेख करना भी आवश्यक है, ताकि आरोपी को पता चल सके कि उन्हें किस आधार पर आरोपी ठहराया गया है।
धारा 235: अपराध के समय, स्थान और व्यक्ति का विस्तृत विवरण
धारा 235 यह सुनिश्चित करती है कि चार्ज में अपराध से जुड़े समय (Time), स्थान (Place), और व्यक्ति (Person) का सही-सही उल्लेख हो। इन प्रावधानों का उद्देश्य है कि आरोपी को अपराध के बारे में पूरी जानकारी मिले जिससे वे अपने पक्ष में साक्ष्य और तथ्यों की तैयारी कर सकें। आइए, विस्तार से समझते हैं कि धारा 235 के ये प्रावधान कैसे काम करते हैं:
1. अपराध के समय और स्थान का विवरण (Section 235(1))
धारा 235(1) के अनुसार, हर चार्ज में अपराध का समय और स्थान स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिए। यह आवश्यक है क्योंकि इससे आरोपी को सही समय और स्थान के बारे में जानकारी मिलती है ताकि वे अपने गवाहों और अलिबाइ (Alibi - अनुपस्थिति का प्रमाण) के माध्यम से अपनी रक्षा तैयार कर सकें।
उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति पर 5 मई, 2024 को दिल्ली में चोरी का आरोप है, तो चार्ज में इस तारीख और स्थान का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। इससे आरोपी अपनी अनुपस्थिति का प्रमाण देने में सक्षम होंगे, यदि वे उस स्थान पर मौजूद नहीं थे।
2. विशेष व्यक्ति या वस्तु का समावेश (Section 235(1))
धारा 235(1) के अनुसार, यदि अपराध किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु के खिलाफ किया गया है, तो चार्ज में उस व्यक्ति या वस्तु का भी उल्लेख होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आरोपी को अपराध के संदर्भ में पूरी जानकारी मिलती है और वे यह समझ पाते हैं कि मामला किसके बारे में है।
उदाहरण: अगर किसी पर किसी विशेष व्यक्ति, जैसे "श्रीमती शर्मा की ज्वेलरी" चोरी करने का आरोप है, तो चार्ज में श्रीमती शर्मा का नाम स्पष्ट रूप से दिया जाना चाहिए। इससे आरोपी को पता चलता है कि उन पर किस प्रकार के आरोप लगे हैं और वे उसी आधार पर अपनी बचाव की रणनीति तैयार कर सकते हैं।
3. विशेष मामले: विश्वासघात और गबन (Section 235(2))
विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) और धन या अन्य चल संपत्ति के बेईमानी से गबन (Dishonest Misappropriation) से जुड़े मामलों में, धारा 235(2) में यह नियम है कि हर छोटे-मोटे विवरण को स्पष्ट करना आवश्यक नहीं है। बल्कि, इसमें सिर्फ संपत्ति की कुल राशि या उसका संक्षिप्त विवरण और अपराध के समय की सामान्य अवधि का उल्लेख करना ही पर्याप्त है। लेकिन, यह अवधि एक वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
यह प्रावधान उन मामलों में सहायक होता है जहाँ विश्वासघात या गबन के मामले समय के साथ होते रहते हैं। इससे चार्ज को अनावश्यक रूप से जटिल बनाए बिना, अपराध के मुख्य बिंदुओं को सम्मिलित करना आसान हो जाता है।
उदाहरण: यदि किसी कर्मचारी पर जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक धन का गबन करने का आरोप है, तो चार्ज में इस समय अवधि और कुल राशि का उल्लेख किया जा सकता है। इससे आरोपी को अपराध के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलती है लेकिन उन्हें बहुत अधिक विवरणों के कारण उलझन का सामना नहीं करना पड़ता।
धारा 235 का कानूनी कार्यवाही में महत्व
धारा 235 का उद्देश्य आरोपी के अधिकारों की रक्षा करना है, ताकि उन्हें अपराध के बारे में संपूर्ण जानकारी मिले। यदि आरोपी को समय, स्थान, और व्यक्ति या वस्तु का पूरा विवरण न मिले, तो वे अपने पक्ष में प्रमाण या तथ्यों को प्रस्तुत करने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
विशेष रूप से विश्वासघात और गबन के मामलों में, यह प्रावधान न्यायालय के लिए मामलों को सरल बनाता है और आरोपी को भी समझने योग्य विवरण उपलब्ध कराता है। इससे अदालत के लिए निष्पक्ष सुनवाई का रास्ता आसान हो जाता है और आरोपी के पास अपने पक्ष में पर्याप्त जानकारी होती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, की धारा 234 और 235, आपराधिक मामलों में चार्ज का एक स्पष्ट और संपूर्ण प्रारूप तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जहाँ धारा 234 चार्ज के सामान्य रूपरेखा को समझाती है, वहीं धारा 235 अपराध के समय, स्थान, और व्यक्ति का स्पष्ट विवरण उपलब्ध कराती है।
यह दो स्तर की चार्ज फ्रेमिंग प्रणाली न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करती है, जिससे आरोपी को आरोप के बारे में पूरी जानकारी मिलती है और वे अपनी रक्षा सही ढंग से कर सकते हैं।