पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 21 और 22 के अनुसार संपत्ति के नक्शे, योजनाएँ और सरकारी सर्वेक्षणों का अनिवार्य उपयोग
Himanshu Mishra
24 July 2025 8:29 PM IST

21. संपत्ति का विवरण और नक्शे या योजनाएँ (Description of property and maps or plans)
यह धारा इस बात पर जोर देती है कि अचल संपत्ति (immovable property) से संबंधित दस्तावेजों में संपत्ति का स्पष्ट और पर्याप्त विवरण होना चाहिए ताकि उसे पहचाना जा सके। यह धोखाधड़ी को रोकने और भविष्य में संपत्ति के सीमा विवादों (boundary disputes) को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
उपधारा (1) स्पष्ट रूप से बताती है कि अचल संपत्ति से संबंधित कोई भी गैर-वसीयती दस्तावेज (non-testamentary document) पंजीकरण (registration) के लिए तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक उसमें ऐसी संपत्ति का पर्याप्त विवरण (description) न हो जो उसे पहचानने के लिए पर्याप्त हो। इसका मतलब है कि केवल 'एक घर' या 'एक प्लॉट' लिखने से काम नहीं चलेगा; पूरी पहचान होनी चाहिए।
उदाहरण: यदि आप किसी ज़मीन का पंजीकरण कराना चाहते हैं, तो दस्तावेज में केवल "अजमेर में एक ज़मीन" लिखने से काम नहीं चलेगा। उसमें उस ज़मीन की पूरी पहचान होनी चाहिए।
उपधारा (2) शहरों में स्थित घरों के विवरण के लिए विशिष्ट नियम प्रदान करती है। शहरी घरों का वर्णन करते समय, उन्हें सड़क या मार्ग (जिसका नाम बताया जाना चाहिए) के उत्तर या अन्य दिशा में स्थित बताया जाना चाहिए जिसके वे सामने हैं। इसके अलावा, उनकी वर्तमान और पिछली अधिभोग (occupancies) (यानी कौन रहता था/रहता है) और, यदि उस सड़क या मार्ग पर घरों को संख्याएँ दी गई हैं, तो उनके नंबर भी बताने होंगे।
उदाहरण: जयपुर के जौहरी बाज़ार में एक घर का विवरण देते समय, यह बताया जाना चाहिए कि "यह घर जौहरी बाज़ार में मुख्य सड़क के उत्तर दिशा में स्थित है, इसका नंबर 345 है, और वर्तमान में इसमें रामलाल का परिवार रहता है, जबकि पहले इसमें श्यामलाल का परिवार रहता था।"
उपधारा (3) अन्य घरों (शहरों के बाहर) और भूमियों के विवरण के लिए नियम बताती है। इन्हें उनके नाम (यदि कोई हो) से वर्णित किया जाना चाहिए, और उस क्षेत्रीय विभाजन (territorial division) के रूप में भी वर्णित किया जाना चाहिए जिसमें वे स्थित हैं। इसके साथ ही, उनकी सतही सामग्री (superficial contents) (क्षेत्रफल), जिन सड़कों और अन्य संपत्तियों से वे लगते हैं (abut), और उनकी वर्तमान अधिभोग भी बतानी होगी। और जब भी यह संभव हो, किसी सरकारी नक्शे या सर्वेक्षण (Government map or survey) का संदर्भ देकर भी उनका वर्णन किया जाना चाहिए।
उदाहरण: अजमेर के पास के किसी गाँव में एक खेत का विवरण देते समय, यह बताया जा सकता है कि "यह 'हरियाली' नामक खेत है, जो अजमेर जिले के किशनगढ़ तहसील के अंतर्गत आता है, इसका क्षेत्रफल 2 बीघा है, इसके पूर्व में मुख्य सड़क, पश्चिम में रमेश का खेत, उत्तर में नहर और दक्षिण में सुरेश का खेत है, और वर्तमान में इसमें फसल उगाई जा रही है। साथ ही, इसका उल्लेख गाँव के सर्वे नंबर 1234 के सरकारी नक्शे में भी किया गया है।"
उपधारा (4) उन गैर-वसीयती दस्तावेजों के लिए है जिनमें संपत्ति का कोई नक्शा या योजना (map or plan) शामिल है। ऐसे किसी भी दस्तावेज को पंजीकरण के लिए तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक उसके साथ नक्शे या योजना की एक सच्ची प्रतिलिपि (true copy) न हो। यदि ऐसी संपत्ति कई जिलों में स्थित है, तो नक्शे या योजना की उतनी ही सच्ची प्रतियाँ देनी होंगी जितनी जिलों की संख्या है। यह सुनिश्चित करता है कि भौतिक रिकॉर्ड में भी नक्शा या योजना उपलब्ध हो और यह विभिन्न संबंधित कार्यालयों में उपलब्ध हो।
उदाहरण: यदि किसी दस्तावेज में एक बड़े भूखंड का नक्शा है जिसे पंजीकृत किया जाना है, तो उस नक्शे की एक सही कॉपी दस्तावेज के साथ संलग्न करनी होगी। यदि वह भूखंड दो जिलों (जैसे जयपुर और अलवर) की सीमाओं पर है, तो नक्शे की दो सही कॉपियां देनी होंगी, एक जयपुर रजिस्ट्रार के लिए और एक अलवर रजिस्ट्रार के लिए।
22. सरकारी नक्शे या सर्वेक्षण के संदर्भ में घरों और भूमि का विवरण (Description of houses and land by reference to Government maps or surveys)
यह धारा राज्य सरकार (State Government) को यह शक्ति देती है कि वह यह अनिवार्य कर सके कि कुछ संपत्तियों का विवरण सरकारी नक्शे या सर्वेक्षण के संदर्भ में दिया जाए।
उपधारा (1) कहती है कि जहाँ राज्य सरकार (State Government) की राय में, शहरों में स्थित घरों को छोड़कर, अन्य घरों और भूमियों का विवरण सरकारी नक्शे या सर्वेक्षण (Government map or survey) के संदर्भ में देना व्यावहारिक (practicable) हो, वहाँ राज्य सरकार (State Government) इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों द्वारा यह अपेक्षा कर सकती है कि धारा 21 के प्रयोजनों के लिए ऐसे घरों और भूमियों का वर्णन उसी प्रकार से किया जाए। यह सरकारी रिकॉर्ड के उपयोग को बढ़ावा देता है ताकि संपत्ति की पहचान और भी सटीक हो सके।
उदाहरण: राज्य सरकार एक नियम बना सकती है कि राजस्थान के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि के पंजीकरण के लिए, दस्तावेज में उस भूमि का खसरा नंबर (Khasra Number) और पटवारी हलका (Patwari Halqa) का उल्लेख करना अनिवार्य होगा, जो सीधे सरकारी राजस्व रिकॉर्ड और नक्शों से संबंधित है।
उपधारा (2) एक महत्वपूर्ण छूट प्रदान करती है। उपधारा (1) के तहत बनाए गए किसी भी नियम द्वारा अन्यथा प्रदान किए गए को छोड़कर, धारा 21 की उपधारा (2) या उपधारा (3) के प्रावधानों का पालन न करने से भी किसी दस्तावेज को पंजीकृत होने से अयोग्य (disentitle) नहीं ठहराया जाएगा, यदि उससे संबंधित संपत्ति का विवरण उसे पहचानने के लिए पर्याप्त (sufficient) है। इसका मतलब है कि जबकि धारा 21 विशिष्ट विवरण की मांग करती है, यदि किसी दस्तावेज में तकनीकी रूप से सभी विवरण नहीं हैं, लेकिन संपत्ति को फिर भी स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है, तो केवल उस तकनीकी कमी के कारण पंजीकरण से इनकार नहीं किया जाएगा। कानून का उद्देश्य संपत्ति की पहचान सुनिश्चित करना है, न कि केवल औपचारिकताओं का पालन।
उदाहरण: यदि किसी गाँव के घर का वर्णन करते समय, दस्तावेज में उसका नाम और क्षेत्रफल है और यह स्पष्ट है कि वह कौन सा घर है, लेकिन उसमें उसके पिछले अधिभोग का उल्लेख नहीं है (जो धारा 21(3) में कहा गया है), तो भी इसे पंजीकृत किया जा सकता है क्योंकि संपत्ति की पहचान के लिए जानकारी पर्याप्त है।
ये धाराएँ मिलकर पंजीकरण प्रणाली की सटीकता, स्पष्टता और दक्षता सुनिश्चित करती हैं, जिससे संपत्ति के लेनदेन से जुड़े विवादों को कम किया जा सके।

