केरल हाईकोर्ट ने 28 वकीलों को 6 महीने तक कानूनी सहायता सेवाएं देने का आदेश दिया

Amir Ahmad

27 July 2024 9:43 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट ने 28 वकीलों को 6 महीने तक कानूनी सहायता सेवाएं देने का आदेश दिया

    केरल हाईकोर्ट ने कोट्टायम बार एसोसिएशन के 28 वकीलों को उनके खिलाफ अवमानना ​​के आरोपों को हटाने के लिए उनकी बिना शर्त माफ़ी स्वीकार करने पर 6 महीने की अवधि के लिए कानूनी सहायता सेवाएं देने का आदेश दिया।

    कोर्ट ने कोट्टायम में महिला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने और कथित रूप से अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए इन वकीलों के खिलाफ़ स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की थी।

    जस्टिस पी.बी. सुरेश कुमार और जस्टिस सी. प्रतीप कुमार की खंडपीठ ने कहा कि वकीलों को केवल माफ़ी मांगकर बच निकलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और उन्हें कानूनी सहायता सेवाएं देने का आदेश दिया।

    खंडपीठ ने कहा,

    “हम प्रतिवादी 2 से 29 द्वारा प्रस्तुत बिना शर्त माफ़ी को स्वीकार करना और उनके द्वारा की गई अवमानना ​​को इस आधार पर समाप्त करना उचित समझते हैं कि वे आज से छह महीने की अवधि के लिए गरीबों और ज़रूरतमंदों को मुफ़्त कानूनी सहायता के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कोट्टायम को अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे।”

    प्रारंभिक सुनवाई के बाद न्यायालय ने पाया कि वकीलों के खिलाफ़ न्यायालय के अंदर और बाहर सीजेएम पर अपमानजनक नारे लगाने अपमानजनक टिप्पणी करने और चल रही अदालती कार्यवाही को बाधित करने के लिए प्रथम दृष्टया आपराधिक अवमानना ​​का मामला बनता है। इसलिए न्यायालय ने वकीलों के खिलाफ़ नोटिस जारी किया और उन्होंने न्यायालय की अवमानना ​​(केरल हाईकोर्ट) नियम के नियम 14 (ए) के अनुसार बिना शर्त माफ़ी मांगी। न्यायालय ने कहा कि वकीलों के खिलाफ़ अवमानना ​​की कार्यवाही सिर्फ़ उनकी बिना शर्त माफ़ी के आधार पर बंद नहीं की जा सकती।

    उन्होंने कहा,

    “यह घटना न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने वाली और न्यायालय के अधिकार को कम करने वाली है। इन परिस्थितियों में यह न्यायालय प्रतिवादियों को केवल उनके द्वारा बिना शर्त माफ़ी मांगे जाने के आधार पर बरी करने में न्यायसंगत नहीं हो सकता है।”

    अदालत ने इस प्रकार वकीलों को कोट्टायम जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को कानूनी सहायता सेवाएं प्रदान करने का आदेश देना उचित समझा।

    अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को वकीलों को सौंपे गए मामलों का रिकॉर्ड रखने और अदालत के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।

    केस टाइटल- स्वप्रेरणा बनाम एडवोकेट सोजन पवनियोस

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