CrPc की धारा 116(2) के तहत जांच समन ट्रायल के समान तरीके से की जानी चाहिए: केरल हाईकोर्ट
Amir Ahmad
19 Sept 2024 1:24 PM IST
केरल हाईकोर्ट ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPc) की धारा 116(2) में प्रावधान है कि धारा 116 के तहत जांच में साक्ष्य की रिकॉर्डिंग और ट्रायल का संचालन जितना संभव हो सके समन ट्रायल के तरीके से किया जाएगा, इसका मतलब यह होगा कि ऐसी जांच में समन ट्रायल के अनिवार्य तत्वों का पालन किया जाना चाहिए।
जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा,
“धारा 116(2) में प्रावधान है कि CrPC की धारा 116 के तहत जांच, समन मामलों में सुनवाई करने और साक्ष्य दर्ज करने के लिए निर्धारित तरीके से यथासंभव की जाएगी। इस संदर्भ में जितना संभव हो सके पाठ को समझना होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि समन सुनवाई के आवश्यक तत्वों का पालन किया जाना चाहिए।”
संदर्भ के लिए धारा 116 के तहत जांच मजिस्ट्रेट द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी के लिए की जाती है, जिसे उसके अच्छे व्यवहार या शांति बनाए रखने के लिए बांड निष्पादित करने का निर्देश दिया जाता है। ऐसी जांच करने के बाद धारा 117 के तहत आदेश पारित किया जाता है।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि आदेश पारित करने से पहले उप मंडल मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 116 के तहत प्रक्रिया का ठीक से पालन नहीं किया गया था। उस आदेश के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने माना कि धारा 116 CrPC के तहत जांच में समन सुनवाई के सभी आवश्यक तत्वों का पालन किया जाना चाहिए।
समन ट्रायल की प्रक्रिया के अनुसार, यदि अभियुक्त दोषी नहीं है तो मजिस्ट्रेट को अभियुक्त की सुनवाई करनी होती है तथा उसके बचाव में प्रस्तुत सभी साक्ष्यों को लेना होता है। मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही के अभिलेखों की जांच करने पर हाईकोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष के गवाह की जांच के पश्चात याचिकाकर्ता का बयान लेने के लिए मामला पोस्ट किया गया।
याचिकाकर्ता का बयान लेने के पश्चात अगली पोस्टिंग तिथि निर्णय सुनाने के लिए थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि अभियुक्त को साक्ष्य प्रस्तुत करने या सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। न्यायालय ने पाया कि समन ट्रायल की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, इसलिए मामले को मजिस्ट्रेट के पास वापस भेज दिया।
मजिस्ट्रेट को आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करने के पश्चात कारणों सहित स्पीकिंग ऑर्डर पारित करने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल– टी. जी. अनूप बनाम केरल राज्य और अन्य