ट्रायल कोर्ट को चेक अनादर मामलों में विवादित हैंडराइटिंग की तुलना करने का अधिकार: केरल हाईकोर्ट

Amir Ahmad

3 Aug 2024 11:45 AM IST

  • ट्रायल कोर्ट को चेक अनादर मामलों में विवादित हैंडराइटिंग की तुलना करने का अधिकार: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट विवादित हैंडराइटिंग की तुलना कर सकता है। ऐसे मामले में किसी व्यक्ति के हैंडराइटिंग को साबित कर सकता है, जहां आरोपी ने चेक अनादर मामले में पहले ही अपने हस्ताक्षर स्वीकार कर लिए हों।

    वर्तमान मामले में अभियुक्त पर परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की धारा 138 के तहत आरोप लगाया गया। उसने दावा किया कि आपत्तिजनक चेक पर हस्ताक्षर तो उसके थे लेकिन चेक पर लिखी सामग्री उसके द्वारा नहीं भरी गई।

    जस्टिस के. बाबू ने साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) की धारा 73 के तहत ट्रायल कोर्ट की शक्ति का इस्तेमाल किया और कहा,

    “यदि अभियुक्त अपने स्वीकार किए गए या सिद्ध किए गए राइटिंग की तुलना विवादित राइटिंग से करने का अनुरोध करता है तो ट्रायल कोर्ट साक्ष्य अधिनियम की धारा 73 का इस्तेमाल करेगा।”

    यह याचिका ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई, जिसमें अभियुक्त को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए अपनी लिखावट भेजने की अनुमति दी गई। उस पर परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable Instruments Act)की धारा 138 के तहत अपराध करने का आरोप लगाया गया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स बनाम प्रबोध कुमार तिवारी (2022) में जहां विवादित चेक को विशेषज्ञ विश्लेषण के लिए फोरेंसिक लैब में भेजने के बारे में विचार किया जा रहा था, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यदि कोई आहर्ता चेक पर हस्ताक्षर करता है और उसे आदाता को सौंप देता है तो आहर्ता को तब तक उत्तरदायी माना जाता है, जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि चेक किसी लोन के भुगतान या दायित्व के निर्वहन के लिए जारी नहीं किया गया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि फोरेंसिक सांइस लैब के समक्ष लंबित मामलों को देखते हुए रिपोर्ट प्राप्त करने में वर्षों लग सकते हैं। इससे कार्यवाही में अनावश्यक रूप से देरी होगी।

    न्यायालय ने याचिकाकर्ता के तर्क को स्वीकार कर लिया, क्योंकि अभियुक्त ने याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब भी नहीं दिया।

    इस प्रकार हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया। हालांकि यह माना गया कि यदि अभियुक्त ऐसा कोई आवेदन करता है तो ट्रायल कोर्ट स्वीकार की गई लिखावट और चेक में लिखी गई लिखावट की तुलना कर सकता है।

    केस टाइटल- टॉमी टी. जे. बनाम केरल राज्य और अन्य

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