केरल हाईकोर्ट ने व्यापारी की ज़मानत याचिका की कार्यवाही की समाप्त, ED ने कहा- गिरफ्तारी का इरादा नहीं
Amir Ahmad
17 Jun 2025 1:18 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार (17 जून) को उस व्यापारी अनीश बाबू की ज़मानत याचिका की कार्यवाही समाप्त कर दी, जिसने प्रवर्तन निदेशालय (ED), एर्नाकुलम कार्यालय के सहायक निदेशक पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया।
याचिकाकर्ता को अपराध नंबर KCZO/14/2025 के संबंध में नई दिल्ली स्थित ED की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के सहायक निदेशक के समक्ष पेश होने के लिए समन भेजा गया। नोटिस के अनुसार, उसे सतर्कता मामले से संबंधित सभी दस्तावेज़ साथ लाने को कहा गया। इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि यदि वह पेश नहीं होता है और साक्ष्य नहीं देता है तो उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 और भारतीय दंड संहिता, 2023 (IPC) की अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।
आज जब मामला अदालत में आया तो ED की ओर से सरकारी वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता को इस मामले में सूचना देने वाले व्यक्ति (Informant) के रूप में बुलाया गया और उसे गिरफ़्तार करने का कोई इरादा नहीं है। अदालत ने इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए ज़मानत याचिका की कार्यवाही समाप्त कर दी।
इससे पहले हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को समन के अनुपालन में ED के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। निर्देश के अनुसार, याचिकाकर्ता ED के समक्ष पेश हुआ था। हाईकोर्ट ने तब तक के लिए याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता के खिलाफ 2020 और 2021 में कुछ मामले दर्ज किए गए, जब वझाविला काजू नामक कंपनी जो याचिकाकर्ता की मां के नाम पर रजिस्टर्ड है, कुछ लोगों के साथ किए गए आयातित काजू की आपूर्ति के अनुबंध को पूरा नहीं कर सकी। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह तब हुआ जब उसने तंज़ानिया की एक सोसायटी के साथ समझौता किया और इसके बाद तंज़ानिया में निर्यात पर प्रतिबंध लग गया। उसने दावा किया कि उसने उस सोसायटी को 2.5 मिलियन डॉलर का भुगतान किया, जो प्रतिबंध के कारण डूब गया। फिर भी उन्होंने कुछ मात्रा में काजू की आपूर्ति की, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
बाद में ED ने 2021 में याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया। उन्हें ED ऑफिस में बुलाया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार, 2021 से 2024 तक कोई संपर्क नहीं हुआ। अक्टूबर, 2024 में उसे कार्यालय में बुलाया गया और धमकी दी गई कि यदि सारे दस्तावेज़ नहीं दिए गए तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार इसके बाद विल्सन वर्गीज़ नामक एक व्यक्ति जो खुद को ED अधिकारी द्वारा भेजा हुआ बता रहा था, ने मामला सुलझाने के लिए 2 करोड़ की रिश्वत मांगी।
याचिकाकर्ता के अनुसार अपनी पहचान साबित करने के लिए विल्सन ने बताया कि 14 मई को ED का समन आएगा। बाद में याचिकाकर्ता को ED कार्यालय से ईमेल और कॉल भी आई। इसके बाद सतर्कता विभाग ने जाल बिछाकर विल्सन को 2 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। याचिकाकर्ता ने उसके बाद सतर्कता विभाग में मामला दर्ज कराया और अब इस मामले में सहायक निदेशक समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।
केस टाइटल: अनीश बाबू बनाम सहायक निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय

