करंट अकाउंट से धन की हेराफेरी के लिए बैंक के विरुद्ध वसूली का मुकदमा कॉमर्शियल कोर्ट में सुनवाई योग्य: कर्नाटक हाईकोर्ट

Shahadat

14 July 2025 11:19 AM IST

  • करंट अकाउंट से धन की हेराफेरी के लिए बैंक के विरुद्ध वसूली का मुकदमा कॉमर्शियल कोर्ट में सुनवाई योग्य: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि किसी बैंकिंग संस्थान द्वारा संचालित ग्राहक के 'करंट अकाउंट' से धन की हेराफेरी या धन की हानि वाणिज्यिक विवाद है। ग्राहक द्वारा बैंक के विरुद्ध वसूली का मुकदमा कॉमर्शियल कोर्ट में सुनवाई योग्य है।

    जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने मेसर्स विश्वास टेक्सटाइल प्रोसेसर्स द्वारा दायर याचिका स्वीकार करते हुए यह निर्णय दिया। याचिकाकर्ता ने कॉमर्शियल कोर्ट द्वारा 30 अगस्त, 2022 को पारित आदेश के विरुद्ध न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता का वसूली का मुकदमा उसके समक्ष सुनवाई योग्य नहीं है।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    “प्रतिवादी नंबर 3 द्वारा जाली चेक भुनाकर धन निकालने के आधार पर बैंकिंग संस्थान द्वारा संचालित करंट अकाउंट से धन की हेराफेरी या हानि के लिए याचिकाकर्ता-वादी द्वारा दायर किया गया मुकदमा, एक कॉमर्शियल विवाद का विषय बन जाएगा, क्योंकि यह याचिकाकर्ता-वादी और प्रतिवादी नंबर 1 - बैंकिंग संस्थान के बीच हुए सामान्य लेन-देन से उत्पन्न हुआ है।”

    निचली अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता-वादी परिधान प्रसंस्करण और विनिर्माण के व्यवसाय में एक साझेदारी फर्म है। ICICI Bank लिमिटेड प्रतिवादी बैंकिंग संस्थान है।

    याचिकाकर्ता ने 01.07.2017 से ICICI Bank के एक कर्मचारी को अपना लेखाकार नियुक्त किया और अन्य प्रतिवादी कर्मचारी उसके सहयोगी हैं।

    ICICI Bank की शाखा में कई वर्षों से करंट अकाउंट संचालित है। दिसंबर, 2019 में उक्त खाते में कई अनियमितताएं पाई गईं। आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता फर्म के साझेदारों के कथित रूप से जाली हस्ताक्षर करके याचिकाकर्ता के चालू खाते से चेक के माध्यम से भारी मात्रा में नकद धनराशि निकाली गई। आरोप लगाया गया कि सभी चेक ICICI Bank द्वारा बिना उचित सत्यापन के जारी कर दिए गए।

    याचिकाकर्ता ने बैंक और उसके कर्मचारियों को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उनसे संयुक्त रूप से और अलग-अलग 18% वार्षिक ब्याज के साथ 4,58,75,000 रुपये का भुगतान करने का अनुरोध किया गया। याचिकाकर्ता ने एक वाद दायर किया; इसके बाद उसने यह दावा करते हुए कि विवाद वाणिज्यिक है, वाद को कॉमर्शियल कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए एक आवेदन दायर किया।

    वाद 16.04.2022 को ट्रांसफर कर दिया गया और वाणिज्यिक वाद के रूप में रजिस्टर्ड किया गया। हालांकि, कॉमर्शियल कोर्ट ने प्रारंभिक मुद्दा बनाया कि क्या कॉमर्शियल ओएस स्वीकार्य है और स्वीकार्यता के आधार पर वाद को खारिज कर दिया। इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    याचिका स्वीकार करते हुए और कॉमर्शियल कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा,

    "यह घोषित किया जाता है कि कॉमर्शियल कोर्ट को इस मुकदमे की सुनवाई का अधिकार है। वह इसे कॉमर्शियल ओएस के रूप में सुनेगी। अदालत कानून के अनुसार अपनी प्रक्रिया को विनियमित करेगी।"

    Case Title: M/S. VISWAS TEXTILE PROCESSORS AND ICICI BANK LIMITED & Others

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