चित्तापुर में पथसंचलन की अनुमति मिलने पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने RSS संयोजक की याचिका बंद की
Praveen Mishra
13 Nov 2025 5:10 PM IST

कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को RSS कलबुर्गी के संयोजक द्वारा चित्तापुर टाउन में प्रस्तावित पथसंचलन (मार्च) आयोजित करने की अनुमति संबंधी याचिका का निस्तारण कर दिया।
जस्टिस एम.जी.एस. कमल ने चित्तापुर तहसीलदार द्वारा 16 नवंबर को पथसंचलन की अनुमति देते हुए कुछ शर्तें लागू करने वाले आदेश को रिकॉर्ड में लिया। पिछली सुनवाई में राज्य ने कोर्ट को बताया था कि वह रूट मार्च प्रस्ताव पर सकारात्मक रूप से विचार करेगा।
संयोजक की ओर से संख्या बढ़ाने का अनुरोध
सीनियर एडवोकेट अरुणा श्याम ने कहा कि अनुमति देने के लिए प्रशासन का आभार है, लेकिन उन्होंने शर्तों में संशोधन की मांग की—
• प्रतिभागियों की संख्या 300 से बढ़ाकर 600 करने
• बैंड सदस्यों की संख्या 25 से बढ़ाकर 50 करने
राज्य का पक्ष
एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने कहा कि 300 की संख्या पूर्व में आसपास के क्षेत्रों में हुए आयोजनों के आधार पर तय की गई है, जहाँ 100–150 लोग ही शामिल हुए थे।
श्याम ने कहा कि आयोजन संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष अवसर पर किया जा रहा है, इसलिए यह अनुरोध एक बार के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कम से कम बैंड सदस्यों की संख्या 25 से बढ़ाकर 50 करने का आग्रह किया, जिस पर AG ने कोई आपत्ति नहीं की।
कोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने तहसीलदार आदेश की दूसरी शर्त में संशोधन करते हुए बैंड सदस्यों की संख्या 25 से बढ़ाकर 50 कर दी। प्रतिभागियों की संख्या 300 ही रखी गई।
कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा:
“12.11.2025 के तहसीलदार आदेश को रिकॉर्ड में लिया जाता है। याचिकाकर्ता की ओर से प्रतिभागी संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया गया था, लेकिन राज्य ने कहा कि 300 की संख्या आसपास के क्षेत्रों के डाटा के आधार पर तय की गई है। हालांकि, बैंड सदस्यों की संख्या 50 करने पर राज्य की सहमति है। इसके अलावा आदेश की शेष शर्तें यथावत रहेंगी।”
16 नवंबर को 300 प्रतिभागियों और 50 बैंड सदस्यों के साथ पथसंचलन की अनुमति
इस प्रकार कोर्ट ने 16 नवंबर को 300 सदस्यों और 50 बैंड सदस्यों के साथ रूट मार्च की अनुमति दी।
मामले की पृष्ठभूमि:
18 अक्टूबर को कर्नाटक सरकार ने एक सरकारी आदेश (GO) जारी किया था, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर 10 या उससे अधिक लोगों की शांतिपूर्ण सभा को अवैध घोषित किया गया था। यह GO राजनीतिक दलों के ऐसे रूट मार्च को रोक देता।
हालांकि, हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए स्थगित कर दिया था।
सरकार की अपील भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।

