कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जुड़े MUDA मामले की जांच CBI को सौंपने से इनकार किया
Avanish Pathak
7 Feb 2025 7:06 AM

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार (7 फरवरी) को कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) "घोटाले" की लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने से इनकार कर दिया, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शामिल होने की बात कही गई है।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने आदेश सुनाते हुए कहा,
"रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से यह संकेत नहीं मिलता है कि लोकायुक्त द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण या घटिया है, जिसके कारण यह अदालत मामले को आगे की जांच या फिर से जांच के लिए सीबीआई को भेज सकती है। याचिका खारिज की जाती है।"
अदालत ने पिछले महीने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दरमियान याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने दलील दी कि संभावित आरोपी को इस समय सुनवाई का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि एक आरोपी या संदिग्ध आरोपी यह नहीं कह सकता कि किस जांच एजेंसी को जांच करनी चाहिए।
मूल भूमि मालिक देवराजू जे, जिनसे सिद्धारमैया के साले ने संपत्ति खरीदी थी, की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा था, "मौजूदा याचिका खारिज की जानी चाहिए। दिए गए उद्धरण वर्तमान मामले पर लागू नहीं होते। वर्तमान याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।"
वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत को उन परिदृश्यों के बारे में बताया था, जिनमें हाईकोर्ट किसी मामले में जांच को किसी स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दे सकता है। उन्होंने कहा, "हर मामले में जहां जांच दूषित या दुर्भावनापूर्ण होती है, दोनों पक्षों को चल रही जांच के बारे में पता होता है और दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही अदालत यह तय करती है कि इसे स्थानांतरित किया जाना चाहिए या नहीं। इस मामले में कोई नहीं जानता कि क्या हुआ है।"
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि यदि आरोपी जांच एजेंसी का चयन नहीं कर सकता तो शिकायतकर्ता इसकी मांग कैसे कर सकता है?
मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने तर्क दिया था कि सीबीआई प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन आती है, जिन्होंने घोषणा की है कि उनका इरादा भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने का है। लोकायुक्त से जांच हटाने का एकमात्र आधार राजनीतिक है। सीबीआई स्वतंत्र नहीं है।"
वहीं, सिद्धारमैया के साढू मल्लिकार्जुन स्वामी की ओर से सीनियर एडवोकेट आदित्य सोंधी ने दलील दी कि शिकायतकर्ता ने काल्पनिक दलील दी है कि जांच निष्पक्ष नहीं होगी।
केस टाइटल: स्नेहमयी कृष्णा और यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य | WP 27484/2024