हाईकोर्ट ने अंबेडकर और दलितों का अपमान करने के आरोप वाले प्ले पर दर्ज FIR खारिज की

Shahadat

1 March 2025 2:26 PM IST

  • हाईकोर्ट ने अंबेडकर और दलितों का अपमान करने के आरोप वाले प्ले पर दर्ज FIR खारिज की

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में जैन सेंटर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के स्टूडेंट और फैकल्टी मेंबर्स के खिलाफ दर्ज मामला खारिज कर दिया, जिन पर एक नाटक का मंचन करने के लिए मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कथित तौर पर डॉ. बी.आर. अंबेडकर और दलितों को अपमानजनक तरीके से संदर्भित किया गया था।

    जस्टिस एस.आर. कृष्ण कुमार ने दिनेश नीलकांत बोरकर और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार किया और उनके खिलाफ शुरू किए गए अभियोजन को खारिज कर दिया।

    इसमें कहा गया,

    "याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत नाटक/लघु नाटक व्यंग्य/मनोरंजन की प्रकृति का था, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत संवैधानिक रूप से संरक्षित किया गया, जो भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। आरोपित FIR स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए अपराधों के मूल तत्वों को पूरा नहीं करता है या संतुष्ट नहीं करता है।"

    विश्वविद्यालय ने निमहंस कन्वेंशन सेंटर में जैन यूनिवर्सिटी यूथ फेस्ट-2023 का आयोजन किया था, जिसमें स्टूडेंट ने कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनमें याचिकाकर्ता स्टूडेंट ने नाटक/लघु नाटक का मंचन किया।

    पुलिस ने आईपीसी की धारा 153-ए, 149 और 295-ए तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(आर)(एस) और (वी) के तहत मामला दर्ज किया था।

    रिकॉर्ड देखने के बाद पीठ ने कहा,

    "आरोपित FIR किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दर्ज नहीं की गई, जो SC/ST समुदाय का सदस्य है। ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि याचिकाकर्ताओं का किसी सार्वजनिक स्थान पर SC/ST समुदाय के सदस्य को अपमानित करने या डराने का कोई विशेष इरादा था।"

    न्यायालय ने शिकायत, FIR के साथ-साथ लघु नाटक/नाटक की प्रतिलिपि का अवलोकन किया और कहा कि यह "इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पर्याप्त है कि अपराध के लिए आवश्यक तत्व स्पष्ट रूप से अनुपस्थित हैं, खासकर जब उक्त नाट्य/लघु नाटक केवल/विशुद्ध मनोरंजन के उद्देश्य से किया गया और किसी समुदाय या जाति को नुकसान पहुंचाने या अपमानित करने या किसी विशेष धर्म या धार्मिक विश्वास का संदर्भ देने के इरादे से नहीं किया गया।"

    पीठ ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों का हवाला दिया और कहा,

    "मेरा विचार है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ़ आरोपित कार्यवाही को जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, जिसके लिए वर्तमान याचिका में इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप किया जाना चाहिए।"

    केस टाइटल: दिनेश बोरकर और अन्य तथा कर्नाटक राज्य और अन्य

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