महिला Congress नेता के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार BJP MLA को मिली अंतरिम जमानत
Shahadat
21 Dec 2024 9:55 AM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार (20 दिसंबर) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक सीटी रवि को अंतरिम जमानत दी। हिरासत से तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया, जिन्हें बेलगावी में राज्य परिषद के अंदर Congress विधायक लक्ष्मी हेब्बलकर के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जस्टिस एमजी उमा ने रवि द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई की और आदेश पारित किया।
इसने कहा,
"मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता द्वारा जमानत पर रिहा किए जाने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है। बेशक याचिकाकर्ता विपक्षी पार्टी का विधायक है। उसके फरार होने या जांच अधिकारी के पास जांच के लिए उपलब्ध न होने का कोई सवाल ही नहीं उठता।"
पुलिस ने आरोपी पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 75 और 79 के तहत आरोप लगाए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट संदेश जे चौटा ने तर्क दिया कि आरोपित अपराध के तहत सजा सात साल तक है। इसलिए गिरफ्तार करने से पहले पुलिस को उन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35 के तहत नोटिस जारी करना चाहिए था। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी के आधार और कारण उपलब्ध नहीं कराए गए और उसे हिरासत में ले लिया गया।
यह दावा किया गया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
अभियोजन पक्ष ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि चूंकि आपराधिक मामला दर्ज किया गया, इसलिए पुलिस ने याचिकाकर्ता को सही तरीके से गिरफ्तार किया। हालांकि, वह यह निर्देश प्राप्त करने में सक्षम नहीं था कि याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया या गिरफ्तारी के आधार प्रदान किए गए या नहीं। चूंकि याचिकाकर्ता ने सक्षम न्यायालय के समक्ष जमानत याचिका दायर की, इसलिए वह हाईकोर्ट से किसी भी राहत का हकदार नहीं है, क्योंकि उसने पहले ही उपाय का लाभ उठा लिया।
न्यायालय ने रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि दोनों विधायक हैं और विचाराधीन घटना सुवर्णा सौडा, बेलगावी में परिषद के अंदर हुई थी।
इसने कहा,
“यहां तक कि अगर याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी अपराध 7 साल से कम कारावास से दंडनीय है। पुलिस को BNSS के तहत परिकल्पित प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता है। इसके अलावा गिरफ्तारी के आधारों पर प्रकाश डालते हुए ज्ञापन प्रस्तुत किया जाना है। गिरफ्तारी के कारण प्रस्तुत किए जाने हैं। प्रथम दृष्टया अदालत के समक्ष ऐसा कुछ भी नहीं रखा गया, जिससे यह संतुष्टि हो कि इसका अनुपालन किया गया।
इसके बाद अदालत ने कहा,
"भले ही कथित घटना हुई हो, जो कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है। पुलिस ने BNSS के तहत परिकल्पित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसे (याचिकाकर्ता को) गिरफ्तार नहीं किया होगा।"
इसके बाद अदालत ने कहा,
"इस पर विचार करते हुए मेरी राय है कि याचिका अंतरिम जमानत के लिए हकदार है। तदनुसार, याचिका को तत्काल हिरासत से रिहा करने की अनुमति दी जाती है। इस शर्त के अधीन कि वह आवश्यकता पड़ने पर जांच अधिकारी के लिए उपलब्ध रहेगा।"