धर्मस्थल मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने वकील को भेजे समन पर रोक लगाई
Praveen Mishra
9 Sept 2025 5:24 PM IST

कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे उस अधिवक्ता के खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाएँ, जो एक महिला का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उस महिला ने दावा किया था कि उसकी बेटी 2003 में धर्मस्थल से लापता हो गई थी। वकील ने इस मामले की जाँच में हुई प्रगति के बारे में प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी।
हाईकोर्ट ने वकील को भेजे गए 1 सितंबर के समन को अगली सुनवाई तक स्थगित रखा है।
जस्टिस सचिन शंकर मागडुम ने आदेश में कहा कि फिलहाल जाँच एजेंसी कोई कठोर कार्रवाई न करे। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि वकीलों को उनके पेशेवर कार्य या क्लाइंट से जुड़ी जानकारी को लेकर तलब करना उचित नहीं है, क्योंकि यह वकालत की आज़ादी पर असर डालता है।
कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के 20.06.2025 के सर्कुलर का भी उल्लेख किया, जिसके अनुसार किसी वकील को उसके क्लाइंट की पेशेवर बातचीत उजागर करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता और पेशेवर सेवाओं के लिए वकील को समन जारी नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी है कि उसके खिलाफ दर्ज केस पूरी तरह गलत, कानूनन असंगत और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह केस BNS की धारा 353(1)(b) और 353(2) (सार्वजनिक उपद्रव से संबंधित अपराध) के तहत दर्ज किया गया है।
धारा 353(1)(b) के अनुसार झूठी सूचना या अफवाह फैलाकर जनता में भय या अशांति पैदा करने वाले को सज़ा दी जा सकती है।
धारा 353(2) के अनुसार झूठी या भड़काऊ सूचना फैलाकर धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर वैमनस्य या नफ़रत फैलाने वालों को दंडित किया जाएगा।
याचिका में कहा गया कि अधिवक्ता, जो कर्नाटक राज्य बार काउंसिल में पंजीकृत हैं, ने सिर्फ अपने मुवक्किल (सुजाता भट्ट) की ओर से पेशेवर कर्तव्यों का निर्वहन किया। सुजाता भट्ट का आरोप है कि उसकी बेटी 2003 में धर्मस्थल से गायब हुई थी और उसके साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी गई।
30 जुलाई 2025 को वकील ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसका टाइटल था – “धर्मस्थल उत्खनन जारी रहने पर सुश्री सुजाता भट्ट का अडिग संकल्प”। इसका उद्देश्य केवल जांच की प्रगति से जनता को अवगत कराना और मुवक्किल के न्याय की लड़ाई को सामने लाना था।
लेकिन शिकायत के आधार पर बिना प्राथमिक जाँच किए अधिवक्ता पर झूठी सूचना फैलाने और जनता में भय पैदा करने का आरोप लगाकर FIR दर्ज कर दी गई।
मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।

