कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ऐसे क्लिनिकों की पहचान करने और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया, जिन्हें फर्जी डॉक्टर चला रहे हैं

Avanish Pathak

16 April 2025 2:46 PM IST

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ऐसे क्लिनिकों की पहचान करने और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया, जिन्हें फर्जी डॉक्टर चला रहे हैं

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने ‌हाल ही में राज्य सरकार को उन क्लिनिकों की पहचान करने और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया, ‌जिनका संचालन फर्जी डॉक्‍टर द्वारा किया जा रहा है।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा,

    "ये झोलाछाप डॉक्टर हैं, जो खुद को डॉक्टर बताते हैं और दूरदराज के इलाकों में क्लीनिक खोलकर और निर्दोष ग्रामीणों को धोखा देकर, उनकी जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं। ऐसे मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप हर जगह ऐसे क्लीनिकों की भरमार हो गई है, जिन्हें खुद को डॉक्टर बताने वाले लोग खोल रहे हैं। यह समझ से परे है कि राज्य सरकार बिना कोई कार्रवाई किए ऐसे क्लीनिकों के प्रसार के प्रति कैसे अनभिज्ञ बनी हुई है। इसलिए, राज्य को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ऐसे क्लीनिकों की पहचान करनी चाहिए और उन क्लीनिकों को बंद करना चाहिए, जो इस मामले की तरह झूटे डॉक्टरों द्वारा चलाए जा रहे हैं, और यह सब कानून के अनुसार करना चाहिए।"

    न्यायालय ने रजिस्ट्री को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव को आदेश प्रेषित करने का निर्देश दिया है, ताकि उन क्लीनिकों पर उचित कार्रवाई की जा सके, जो ऐसे व्यक्तियों द्वारा चलाए जा रहे हैं, जो चिकित्सा की किसी भी शाखा में योग्य नहीं हैं। कार्रवाई रिपोर्ट इस न्यायालय में रजिस्ट्री के समक्ष दाखिल की जानी है।

    पीठ ने डॉ. एए मुरलीधरस्वामी की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया, जिनके पास SSLC की योग्यता है। उन्होंने कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 के तहत अपने क्लिनिक के पंजीकरण के लिए 25.03.2024 को अपने आवेदन को स्वीकार करने के लिए न्यायालय से अनुरोध किया था।

    याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनके पास सभी अधिकारों, सम्मानों और विशेषाधिकारों के साथ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का प्रैक्टिस करने के लिए आवश्यक योग्यताएं हैं। उन्होंने भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा बोर्ड का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। इसके अलावा, उन्होंने आवश्यक दवाओं के साथ सामुदायिक चिकित्सा सेवाओं में डिप्लोमा हासिल किया है और मांड्या जिले में श्री लक्ष्मी क्लिनिक नामक एक क्लिनिक स्थापित किया है और कहा जाता है कि वे कई वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे हैं।

    निष्कर्ष

    आवेदन पर गौर करने पर पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता खुद को डॉक्टर बताता है। वह लक्ष्मी क्लिनिक का मालिक है, वही उस क्लिनिक का प्रशासक है और वही उसका पूर्णकालिक कर्मचारी है। क्लिनिक में कोई अन्य कर्मचारी नहीं है। इसलिए, याचिकाकर्ता एक ऐसा क्लिनिक चला रहा है, जिसमें एक ही व्यक्ति काम करता है।

    सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहा, जो चिकित्सा की किसी भी शाखा में प्रैक्टिस करने की उसकी योग्यता को दर्शाता हो। अदालत के एक स्पष्ट प्रश्न पर, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता केवल एसएसएलसी है और उसने आयुर्वेद, एलोपैथी या यूनानी में से किसी भी शाखा में योग्यता हासिल नहीं की है, जो उसे अधिनियम या नियमों के तहत पंजीकरण का अधिकार देती हो।

    जिसके बाद अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता के पास एकमात्र प्रमाण पत्र है, जिसे भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा बोर्ड द्वारा 09.01.2001 को जारी किया गया है। यह प्रमाण पत्र किसी भी तरह का भरोसा नहीं जगाता है, क्योंकि प्रमाण पत्र में कोई योग्यता नहीं बताई गई है।"

    इसके बाद अदालत ने कहा, "यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता एसएसएलसी होने के नाते खुद को डॉक्टर नहीं कह सकता है, और न ही डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस कर सकता है। इसलिए, याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई किसी भी तरह की राहत नहीं दी जा सकती। उपरोक्त अवलोकन के साथ याचिका को अनिवार्य रूप से खारिज किया जाना चाहिए।"


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