BJP सांसद द्वारा IAS से मदद मांगने पर दर्ज FIR कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज की
Praveen Mishra
3 Oct 2025 4:30 PM IST

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में भाजपा सांसद डॉ. के. सुधाकर के खिलाफ एक आपराधिक मामले को खारिज कर दिया। यह मामला उनके द्वारा एक IAS अधिकारी को मदद के लिए मैसेज करने के आरोप में दर्ज किया गया था, जबकि चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 से एक दिन पहले सह-आरोपी के घर से ₹4.8 करोड़ नकद जब्त किया था।
जस्टिस एम. आई. अरुण ने IPC की धारा 171B (रिश्वत), 171C (चुनाव में अनुचित प्रभाव) और 511 (जीवन कारावास या अन्य सजा के योग्य अपराध करने का प्रयास) तथा प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 123 (भ्रष्ट प्रथाएँ) के तहत दर्ज मामले को खारिज किया।
अदालत ने कहा, “मदद करने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता के खिलाफ यह कोई allegation नहीं है कि आरोपी नंबर 2 के घर से जब्त ₹4.8 करोड़ पैसे याचिकाकर्ता के चुनाव के लिए या किसी को रिश्वत देने के लिए रखे गए थे। अतः, यदि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप सच भी मान लिए जाएँ, तो वे आईपीसी की धारा 171B, 171C और 511 के तहत अपराध सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।"
न्यायालय ने यह भी नोट किया कि मजिस्ट्रेट ने अपराधों को संज्ञान में लिया और मामले का पंजीकरण किया तथा याचिकाकर्ता और सह-आरोपी को समन जारी किया। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में गया।
चुनाव आयोग की फ्लाइंग स्क्वॉड ने चिक्काबल्लापुर क्षेत्र के गोविंदप्पा के घर से ₹4.8 करोड़ नकद जब्त किए थे। उस समय सुधाकर, जो चिक्काबल्लापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे, ने IAS अधिकारी (CW2) को व्हाट्सएप पर मैसेज किया था:
"Madhavara Govindappa IT Team" और "Pls help I will be very grateful to you. Regards"।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यदि शिकायत, FIR और चार्जशीट में किए गए आरोप सच भी माने जाएँ, तो उन्हें आरोपित अपराधों का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
बेंच ने नोट किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई और allegation नहीं है कि यह पैसे याचिकाकर्ता के थे और उन्हें मतदाताओं को लुभाने के लिए बांटा जाना था।
इसके अलावा, सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उक्त व्हाट्सएप संदेश के अलावा IAS अधिकारी की स्टेटमेंट में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अन्य allegation नहीं है।
अतः हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए मामले को खारिज कर दिया।

