झारखंड हाइकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को अनधिकृत मांस की दुकानों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए

Amir Ahmad

8 April 2024 8:32 AM GMT

  • झारखंड हाइकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को अनधिकृत मांस की दुकानों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए

    झारखंड हाइकोर्ट ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में संचालित अनधिकृत मांस की दुकानों के खिलाफ अपनी कार्रवाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह घटनाक्रम श्यामानंद पांडे द्वारा शुरू की गई जनहित याचिका से उपजा है, जिन्होंने खुले क्षेत्रों में मांस की बिक्री की ओर ध्यान आकर्षित किया।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जानवरों को खुलेआम खासकर सड़कों के पास जहां वे सभी को दिखाई देते हैं, वध करने की ऐसी प्रथाएं उचित नहीं हैं। हालांकि याचिकाकर्ता ने बताया कि स्थानीय नगर निकायों और राज्य के खाद्य आयुक्त, जो स्वास्थ्य सचिव के रूप में भी कार्य करते हैं, ने इस मामले को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया।

    जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने निर्देश दिया,

    "यह तर्क दिया गया कि यदि SSP और संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक ने संबंधित पुलिस थानों को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सूचित किया और यहां तक ​​कि यदि दुकानों को चलने दिया जा रहा है तो यह इस न्यायालय द्वारा इस संबंध में पारित विशिष्ट निर्देश के बावजूद संबंधित पुलिस थानों की कर्तव्यहीनता है।"

    खंडपीठ ने आगे निर्देश दिया,

    "रांची के SSP और संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को अगली सुनवाई की तारीख तक या उससे पहले हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है कि संबंधित पुलिस थानों के दोषी अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।"

    भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर रिट याचिका में प्रतिवादी को रांची की सड़कों पर जानवरों (मुर्गी पक्षियों सहित) की अवैध हत्या और आम जनता के लिए शवों को प्रदर्शित करने पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई।

    याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी को खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसाय का लाइसेंस और पंजीकरण), विनियम 2011, विशेष रूप से विनियम 2.1.2 (5) भाग IV के साथ लागू करने का निर्देश देने की मांग की, जिसके तहत दुकान परिसर के अंदर पशु/पक्षियों का वध सख्ती से प्रतिबंधित है और खुदरा मांस की दुकानों के लिए विशिष्ट स्वच्छता और स्वास्थ्यकर आवश्यकताओं को निर्धारित किया गया, जिसमें मांस की दुकानों के स्थान का प्रावधान भी शामिल है।

    अंत में याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी को पशु क्रूरता निवारण (वधशाला) नियम, 2001, विशेष रूप से नियम 6 के प्रावधानों को लागू करने का निर्देश देने की मांग की, जिसके तहत अन्य जानवरों की दृष्टि में जानवरों का वध प्रतिबंधित किया गया।

    11 मार्च, 2024 को पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने राज्य में विशेष रूप से राजधानी रांची में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से पशुओं को मारने और उनके शवों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की घटना पर प्रकाश डाला। वकील ने तर्क दिया कि यह प्रथा खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य व्यवसाय का लाइसेंस एवं पंजीकरण) विनियम 2011 तथा पशु क्रूरता निवारण (वधशाला) नियम 2001 दोनों का उल्लंघन करती है।

    याचिकाकर्ता के वकील ने इस बात पर भी जोर दिया कि रांची नगर निगम के प्रशासक द्वारा पहले किए गए प्रयासों के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। हालांकि जिला एवं पुलिस प्रशासन की सहायता से कुछ उपाय किए गए लेकिन याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह प्रथा अब भी जारी है।

    इसके बाद राज्य के वकील और रांची नगर निगम के वकील ने अपने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा।

    इस बीच न्यायालय ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों, सीनियर पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों और स्थानीय अधिकारियों को ऐसी गतिविधियों में शामिल दुकानों वाले क्षेत्रों का व्यापक निरीक्षण करने का निर्देश दिया।

    इसके अलावा, संबंधित जिलों के सीनियर SSP/SP को संबंधित पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी को जवाबदेह ठहराने का काम सौंपा गया। यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से पशुओं का वध करते या बिना उचित लाइसेंस के संचालन करते पाया जाता है तो उन्हें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

    इसके बाद मामले की सुनवाई 3 अप्रैल 2024 को निर्धारित की गई। इस सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने बताया कि व्यापक सर्वेक्षण किया गया। उन्होंने अदालत को बताया कि बिना उचित लाइसेंस के संचालित दुकानों का विवरण जिला अधिकारियों और पुलिस को उपलब्ध कराया गया।

    हालांकि, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष पेपर प्रकाशन प्रस्तुत किए, जिसमें दिखाया गया कि जिला अधिकारियों या पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने चिंता व्यक्त की कि समाचार पत्रों में व्यापक कवरेज के बावजूद, ये अवैध दुकानें अभी भी सड़क के किनारे चल रही हैं।

    मामला अब आगे की सुनवाई के लिए 23.04.2024 को सूचीबद्ध है।

    केस टाइटल-श्यामानंद पांडे बनाम झारखंड राज्य और अन्य।

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