अपील प्राधिकारी को मामले को पुनः विचार हेतु भेजते समय दोषपूर्ण आदेश रद्द करना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट
Amir Ahmad
26 April 2025 7:44 AM

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि जब कोई अपीलीय प्राधिकारी किसी मामले को पुनः निर्णय के लिए निचली अदालत को भेजता है तो उसे दोषपूर्ण आदेश (Impugned Order) को स्पष्ट रूप से रद्द करना चाहिए और मामले के निपटारे के लिए निश्चित समयसीमा भी तय करनी चाहिए ताकि अनावश्यक विलंब से बचा जा सके।
जस्टिस गौतम कुमार चौधरी ने मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की,
"जब किसी मामले को पुनः विचार के लिए भेजा जाता है तो अपीलीय न्यायालय का यह कर्तव्य बनता है कि वह दोषपूर्ण आदेश को निरस्त करे जो कि इस मामले में नहीं किया गया।"
कोर्ट ने आगे यह भी कहा,
"जब भी किसी मामले को रिमांड किया जाता है तो निचली अदालत के समक्ष पक्षकारों की उपस्थिति के लिए एक तारीख तय करनी चाहिए और एक निश्चित समयसीमा भी निर्धारित करनी चाहिए जिसके भीतर मामला निपटाया जाए।"
इसके अतिरिक्त कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि वाद को सर्किल अधिकारी के पास पुनः भेजने से अनावश्यक देरी हुई।
कोर्ट ने कहा,
"बजाय सर्किल अधिकारी को भेजने के भूमि सुधार उप समाहर्ता (Land Reforms Deputy Collector) गिरिडीह स्वयं दस्तावेज लेकर म्यूटेशन (Mutation) का आदेश पारित कर सकते थे।"
यह फैसला एक रिट याचिका में आया, जो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर की गई। याचिकाकर्ता मोहम्मद सफराज मिर्जा ने सर्किल अधिकारी, गिरिडीह के खिलाफ आदेश मांगा कि उनकी भूमि का म्यूटेशन क्यों नहीं किया गया।
मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता की म्यूटेशन अर्जी को सर्किल अधिकारी ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि उन्होंने जरूरी भूमि दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए। इसके विरुद्ध उन्होंने भूमि सुधार उप समाहर्ता, गिरिडीह के समक्ष अपील की, जिसने मामला पुनः सर्किल अधिकारी को सुनवाई कर आदेश पारित करने के लिए भेज दिया। इसके बावजूद कार्यवाही में देरी होने के कारण याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा।
हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से यह तर्क दिया गया कि भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा पारित आदेश में न तो कोई तारीख थी और न ही यह उल्लेख था कि सर्किल अधिकारी का आदेश रद्द किया गया।
कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा,
"भूमि सुधार उप समाहर्ता, गिरिडीह द्वारा पारित आदेश अत्यंत संक्षिप्त और त्रुटिपूर्ण है, यहां तक कि उसमें तारीख भी अंकित नहीं है।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि आदेश में केस नंबर को लेकर भी विसंगतियां थीं।
अतः हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए भूमि सुधार उप समाहर्ता, गिरिडीह को निर्देश दिया,
"मामला नंबर R 804/2023-2024 में आदेश की प्रति प्राप्त होने या प्रस्तुत किए जाने की तारीख से चार सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करें।"
केस टाइटल: मोहम्मद सफराज मिर्जा बनाम झारखंड राज्य व अन्य