अवैध खनन मामला: झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की जमानत याचिका खारिज की

Amir Ahmad

12 Feb 2024 7:41 AM GMT

  • अवैध खनन मामला: झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की जमानत याचिका खारिज की

    झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की जमानत याचिका खारिज की।

    जस्टिस गौतम कुमार चौधरी ने कहा,

    “तत्कालीन मुख्यमंत्री का राजनीतिक प्रतिनिधि होने के नाते याचिकाकर्ता को राजनीतिक और प्रशासनिक संबंध प्राप्त हैं। मामले में बड़े पैमाने पर की जा रही अवैध खनन गतिविधि से उत्पन्न होने वाला अपराध शामिल है और याचिकाकर्ता किंग पिन प्रतीत होता है। अवैध खनन गतिविधि में उत्पन्न अपराध की कार्यवाही को वैध बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का सुझाव देने के लिए प्रथम दृष्टया सामग्रियां हैं। 03-03-2023 को आरोप तय होने के साथ मुकदमा अपने शुरुआती चरण में है और 42 में से केवल 10 गवाहों से पूछताछ की गई। याचिकाकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी जेल के डॉक्टरों द्वारा की जा रही है और उन्हें दिल्ली के हायर सेंटर में रेफर किया गया और इलाज किया गया।''

    जस्टिस चौधरी ने आगे कहा,

    "मुझे याचिकाकर्ता को नियमित जमानत पर बढ़ाने के लिए परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं मिला। तदनुसार इसे फिर से खारिज किया गया। हालांकि ट्रायल कोर्ट को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया गया।”

    सोरेन के करीबी सहयोगी पंकज मिश्रा को जुलाई, 2022 में संथाल परगना क्षेत्र में 1000 करोड़ रुपये के अवैध खनन अभियान में शामिल होने के संदेह में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था।

    सोरेन के साथ अच्छे संबंध रखने वाले मिश्रा पर खनन निविदाओं और अन्य कॉन्ट्रैक्ट्स में कथित रूप से हेरफेर करने के लिए जांच की जा रही है, जिसके कारण पिछले वर्ष ED ने उनकी संपत्ति जब्त कर ली।

    जांच के दौरान ED ने साहिबगंज, बरहेट, राजमहल, मिर्जा चौकी और बरहरवा में मिश्रा और उनके सहयोगियों की संपत्तियों पर छापेमारी की। इन छापों में विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और 5.34 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की गई। इसके अतिरिक्त तलाशी अभियान के दौरान अवैध रूप से संचालित पांच स्टोन क्रशर और शॉटगन कारतूस जब्त किए गए।

    ED ने बिजली व्यापारी प्रेम प्रकाश स्थानीय अपराधी साहिबगंज बच्चू यादव और पंकज मिश्रा के खिलाफ भी आरोप लगाए। बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मार्च, 2023 में अभियोजन आरोप दायर किया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि मिश्रा ने अवैध रूप से अपने नाम पर पर्याप्त संपत्ति अर्जित की या जमा की।

    ED की चार्जशीट के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री के साथ करीबी संबंधों के बावजूद मिश्रा कथित तौर पर हेमंत सोरेन की देखरेख में गैरकानूनी खनन गतिविधियों और बड़ी रकम के गबन में सक्रिय रूप से शामिल थे।

    जवाब में पंकज मिश्रा ने ED के सहायक निदेशक के खिलाफ पीएमएलए अदालत में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन पर बरहरवा टेंडर मामले से संबंधित तथ्यों को अपनी अदालती फाइलिंग में छिपाने का आरोप लगाया गया। संभू नंदन कुमार द्वारा दायर शिकायत में कहा गया कि मिश्रा ने कथित तौर पर कुमार को बोली प्रक्रिया में भाग लेने के खिलाफ धमकी दी। जब कुमार ने इनकार किया तो उन्हें कथित तौर पर मिश्रा द्वारा आयोजित भीड़ के हमले का सामना करना पड़ा।

    ED ने दावा किया कि मिश्रा की कार्रवाइयों के पीछे प्राथमिक उद्देश्य खनन स्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर बरहरवा नगर पंचायत द्वारा प्रबंधित सभी छह टोल प्लाजा पर नियंत्रण हासिल करना है।

    विशेष रूप से मिश्रा ने पहले जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे 28-02–2023 को हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की लेकिन बाद में छह महीने बाद नई जमानत याचिका दायर करने के लिए इसे वापस ले लिया।

    सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति आवेदन को वापस लेते हुए खारिज की, जिससे मिश्रा को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत के लिए आवेदन करने की अनुमति मिल गई।

    इसके बाद मिश्रा ने ट्रायल कोर्ट से जमानत मांगी, जिसे अस्वीकार किया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की।

    हाइकोर्ट के समक्ष अपने नए आवेदन में मिश्रा ने धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) की धारा 3 और 4 के तहत दर्ज ECIR मामले के संबंध में नियमित जमानत की मांग की, जो विशेष न्यायाधीश सीबीआई सह विशेष न्यायाधीश रांची पीएमएल अधिनियम की अदालत में लंबित है।

    जमानत आवेदन को नवीनीकृत करने के लिए प्राथमिक तर्क यह था कि समान स्थिति वाले सह-अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट दोनों द्वारा जमानत दी गई। सह-अभियुक्त बच्चू यादव को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जमानत का विशेष उल्लेख किया गया, जिसमें उनकी एक साल की कैद आरोप पत्र दाखिल करने और गवाहों की जांच का हवाला दिया गया। इसके अतिरिक्त कृष्ण कुमार साहा की जमानत याचिका पर प्रकाश डाला गया, जिसे हाइकोर्ट ने अनुमति दे दी।

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि आरोप तय किए जा चुके हैं और ट्रायल कोर्ट द्वारा दस गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है। आगे यह तर्क दिया गया कि मिश्रा 20-07-2022 से हिरासत में हैं और PMLA Act के तहत अपराध के लिए अधिकतम सजा छह साल थी। अंत में यह तर्क दिया गया कि जवाबी हलफनामे में मिश्रा के खिलाफ कोई नया सबूत सामने नहीं आया। अन्य मामलों में शामिल होने के आरोपों के संबंध में यह दावा किया गया कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए मिश्रा से कोई अपराध आय नहीं जुड़ी है।

    याचिकाकर्ता के मेडिकल आधार पर यह आग्रह किया गया कि याचिकाकर्ता ब्लड प्रेशर और टाइप -2 मधुमेह के अलावा पुरानी अग्नाशय की बीमारी से पीड़ित है और उन्हें इलाज के लिए भेजा गया। पिछले साल सितंबर में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

    दोनों पक्षकारों की ओर से दी गई प्रतिद्वंद्वी दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने कहा,

    ''यह स्पष्ट है कि इस याचिकाकर्ता के मामले को सह-अभियुक्त बच्चू यादव या सह-अभियुक्त कृष्ण कुमार साहा के साथ नहीं जोड़ा जा सकता, जिन्हें जमानत दी गई है।”

    अदालत ने पंकज मिश्रा की याचिका को खारिज करते हुए कहा,

    “अभियोजन पक्ष के अनुसार याचिकाकर्ता मुख्य आरोपी है और बच्चू यादव उसका गुर्गा है। आरोपी कृष्ण कुमार साहा का नाम पहले की दो अभियोजन शिकायतों में नहीं है और उसका नाम ED द्वारा प्रस्तुत तीसरी पूरक अभियोजन शिकायत में आया।”

    अपीयरेंस

    याचिकाकर्ता के लिए वकील- एस नागानुथु, विकास पांडे, अरुणागिरी, सृष्टि, जे. केआर मिश्रा।

    ED के लिए वकील- अनिल कुमार, चंदना कुमारी, एसी टू एएसजीआई।

    केस नंबर- बी.ए. नंबर 10861 ऑफ़ 2023

    केस टाइटल- पंकज मिश्रा बनाम प्रवर्तन निदेशालय, भारत सरकार के माध्यम से भारत संघ

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