निर्दोषों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रोकने के लिए जिम्मेदार न्यायालयों को दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के आरोप में सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

Shahadat

12 Jun 2024 6:05 AM GMT

  • निर्दोषों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रोकने के लिए जिम्मेदार न्यायालयों को दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के आरोप में सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट ने दुर्भावनापूर्ण रूप से दायर किए गए मामले में आपराधिक कार्यवाही रद्द की। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जब कोई मामला दुर्भावनापूर्ण इरादे से दायर किया जाता है और बाद में हाईकोर्ट में चुनौती दी जाती है तो निर्दोष व्यक्ति के गलत अभियोजन को रोकने के लिए मामले की सावधानीपूर्वक जांच करने की अधिक जिम्मेदारी होती है।

    जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने टिप्पणी की,

    "इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि कोई मामला बनता है तो हाईकोर्ट को कार्यवाही रद्द करने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता होती है, जैसा कि ओ.पी. संख्या 2 के वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया। साथ ही, यदि दुर्भावनापूर्ण रूप से मामला दायर किया जाता है और उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जाती है तो हाईकोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह सावधानी के साथ इसकी जांच करे, जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति पर आपराधिक मामले में मुकदमा न चलाया जा सके।"

    जस्टिस द्विवेदी ने कहा,

    "यदि कोई व्यक्ति दुर्भावनापूर्ण मामला दर्ज करने का निर्णय लेता है तो शिकायत याचिका के प्रारूपण के साथ-साथ एफआईआर की विषय-वस्तु में भी हरसंभव सावधानी बरती जाती है, जिससे धाराओं के तत्वों को स्पष्ट किया जा सके। यदि ऐसी स्थिति है तो न्यायालय को पंक्तियों के बीच की बातों को पढ़ना आवश्यक है।"

    विचाराधीन मामले में शिकायत शामिल थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि पैतृक संपत्ति के बंटवारे की शिकायतकर्ता की मांग से आरोपी व्यक्ति नाराज हो गए, जिसके कारण घटना हुई। उक्त घटना में आरोपी ने शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी पर कथित रूप से हमला किया और पैसे और कीमती सामान चुरा लिए।

    याचिकाकर्ता ने पूरी आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग करते हुए तर्क दिया कि दिल्ली और नोएडा में रहने वाले व्यक्तियों को भी बिना किसी आधार के फंसाया गया। यह विवाद मूल रूप से संपत्ति का मुद्दा है, जिसमें कोई चोट रिपोर्ट नहीं है।

    प्रतिवादी नंबर 2 ने तर्क दिया कि विभिन्न अधिकार क्षेत्रों में पक्षकारों के बीच मामले चल रहे हैं। उसने आग्रह किया कि यदि मामला बनता है तो हाईकोर्ट को याचिका रद्द करने में धीमी गति से काम करना चाहिए।

    तथ्यों की समीक्षा करने पर न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला,

    "वर्तमान मामले के तथ्यों पर आते हुए, जो कुछ भी यहां दर्ज किया गया है, उससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण रूप से वर्तमान मामला दायर किया गया।"

    न्यायालय ने आगे टिप्पणी की,

    "उपर्युक्त के मद्देनजर, वर्तमान कार्यवाही को आगे जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।"

    बाद में संज्ञान लेने के आदेश सहित पूरी आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी। इस प्रकार आपराधिक विविध याचिका को अनुमति दी।

    केस टाइटल: अवध किशोर लाल बनाम झारखंड राज्य और अन्य

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