व्हाट्सएप ग्रुप में बलात्कार पीड़िता की पहचान का खुलासा भी प्रतिबंधित: झारखंड हाईकोर्ट ने जामताड़ा विधायक के खिलाफ आरोप बरकरार रखे
Amir Ahmad
12 Sept 2024 12:24 PM IST
झारखंड हाईकोर्ट ने जामताड़ा विधायक और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के खिलाफ आरोपों को खारिज करने से इनकार किया। उन पर व्हाट्सएप से मीडिया को नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान प्रसारित करने का आरोप है।
जस्टिस अरुण कुमार राय की एकल पीठ ने आईपीसी की धारा 228ए का उल्लेख किया, जो किसी भी मामले में बलात्कार पीड़िता का नाम या पहचान छापने या प्रकाशित करने पर रोक लगाती है। इसने आगे कहा कि PCOSO Act की धारा 23, जो किसी भी प्रकार के मीडिया या स्टूडियो या फोटोग्राफिक सुविधाओं में नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान प्रकट करने पर रोक लगाती है में व्हाट्सएप ग्रुप शामिल हैं।
इसमें कहा गया,
"जहां तक POCSO Act, 2012 की धारा 23 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 (JJ Act) की धारा 74 (1) (3) का सवाल है, उपरोक्त तथ्यों और चर्चा के साथ दोनों धाराओं की सामग्री स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रथम दृष्टया नाला न्यूज के नाम से व्हाट्सएप न्यूज ग्रुप, जिसमें पीड़िता की पहचान और उसकी तस्वीर के बारे में संदेश भेजा गया, वह किसी भी तरह के मीडिया और ऑडियो-विजुअल मीडिया के दायरे में आता है।
अंसारी ने सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उनकी रिहाई की याचिका खारिज कर दी थी। यह मामला 2018 की एक घटना से जुड़ा है, जब अंसारी अपने समर्थकों के साथ जामताड़ा के सदर अस्पताल में भर्ती नाबालिग बलात्कार पीड़िता से मिलने गए। आरोप है कि मुलाकात के दौरान पीड़िता का नाम, पता और तस्वीर ली गई और बाद में व्हाट्सएप ग्रुप पर मीडिया आउटलेट और अन्य संगठनों के साथ साझा की गई।
न्यायालय ने सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद पाया कि प्रथम दृष्टया IPC की धारा 228ए के तहत मामला बनता है, यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने यह स्वीकार किया कि पीड़िता के मैसेज और तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भेजी गईं। इसकी पुष्टि गवाह सुमन भट्टाचार्य ने की, जिन्होंने गवाही दी कि उन्होंने 2016 में नाला न्यूज नामक व्हाट्सएप न्यूज ग्रुप बनाया। भट्टाचार्य ने आगे कहा कि इस ग्रुप में जिले के प्रतिनिधि, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी, साथ ही बुद्धिजीवी और पत्रकार शामिल थे। उन्होंने ज़ी मीडिया के साथ अपने पिछले जुड़ाव और न्यूज़ फ्लैश - द फेस ऑफ़ इंडिया के लिए एक सक्रिय रिपोर्टर के रूप में अपनी वर्तमान भूमिका का भी उल्लेख किया।
न्यायालय ने भट्टाचार्य द्वारा जांच अधिकारी (IO) को दिए गए बयान पर भी प्रकाश डाला, जिसमें पता चला कि अंसारी के फोन से एक किशोरी की तस्वीर और मैसेज व्हाट्सएप ग्रुप में पोस्ट किया गया। मैसेज की सामग्री से संकेत मिलता है कि किशोरी बलात्कार की शिकार थी और पोस्ट में उसका नाम बताया गया।
हालांकि अंसारी ने दावा किया कि यह संदेश उनके सचिव द्वारा पोस्ट किया गया लेकिन न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया व्हाट्सएप के माध्यम से सोशल मीडिया पर पीड़िता की तस्वीरों सहित पहचान का खुलासा करने में याचिकाकर्ता की संलिप्तता स्थापित होती है।
केस टाइटल- डॉ. इरफान अंसारी बनाम झारखंड राज्य