'अप्रत्याशित, पेशेवर कदाचार के बराबर': जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने मुवक्किल की मुआवजा राशि से हिस्सा मांगने पर वकील को फटकार लगाई

Shahadat

30 March 2024 7:07 AM GMT

  • अप्रत्याशित, पेशेवर कदाचार के बराबर: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने मुवक्किल की मुआवजा राशि से हिस्सा मांगने पर वकील को फटकार लगाई

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने अपने मुवक्किल की मुआवजा राशि में हिस्सेदारी का दावा करने का प्रयास करने पर वकील को कड़ी फटकार लगाई।

    जस्टिस संजय धर की पीठ ने ज़ोर देकर कहा,

    “वकील अपने मुवक्किल से शुल्क के रूप में मुकदमेबाजी के फल में से किसी भी हिस्से का दावा नहीं कर सकता। यदि ऐसा कुछ हुआ है तो यह वकील की ओर से पेशेवर कदाचार का मामला है। कानूनी पेशे से जुड़े व्यक्ति से इस तरह के आचरण की उम्मीद नहीं की जाती।”

    रिट याचिका के माध्यम से अदालत के समक्ष लाए गए इस मामले में मुन्नी नामक याचिकाकर्ता शामिल है, जिसे मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, कठुआ द्वारा उसे 13,50,000/- रुपये का मुआवजा दिया गया। हालांकि, विवाद तब पैदा हुआ, जब मुन्नी के वकील ने पेशेवर शुल्क के रूप में मुआवजे का प्रतिशत मांगा, जिससे धन जारी करने में गतिरोध पैदा हो गया।

    मुवक्किल की मुआवज़े की राशि में से एक प्रतिशत मांगने की वकीलों की इस प्रथा की निंदा करते हुए जस्टिस धर ने इसे कानूनी पेशे के लिए अशोभनीय "पेशेवर कदाचार" करार दिया। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि अदालतों और न्यायाधिकरणों को वकील-मुवक्किल फीस विवादों में शामिल नहीं होना चाहिए और सही दावेदार को मुआवजा जारी करना चाहिए।

    जस्टिस धर ने टिप्पणी की,

    “यदि पेशेवर शुल्क के संबंध में दावेदार और उसके वकील के बीच विवाद के कारण ट्रिब्यूनल लोक अदालत के फैसले के अनुसार जमा की गई राशि को सही दावेदारों के पक्ष में जारी नहीं कर रहा है तो यह बेहद आपत्तिजनक है। किसी अदालत या न्यायाधिकरण से किसी वादी और उसके वकील के बीच परामर्श शुल्क के विवाद में एक पक्ष बनने की उम्मीद नहीं की जाती है।”

    हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, कठुआ को निर्देश दिया कि अवार्ड के तहत जमा की गई राशि को बिना किसी देरी के और कानून के अनुसार सही दावेदारों को जारी किया जाए।

    केस टाइटल: मुन्नी बनाम पीठासीन अधिकारी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण कठुआ

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