जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने गंदेरबल के डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ न्यायालय के समक्ष झूठी याचिका दायर करने के लिए आपराधिक कार्यवाही का निर्देश दिया
Amir Ahmad
24 Feb 2025 8:37 AM

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि गंदेरबल के पूर्व डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष झूठी याचिका दायर करने के लिए उचित आपराधिक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि सरकार के एक जिम्मेदार अधिकारी का यह आचरण निंदनीय है। यह दर्शाता है कि उक्त अधिकारी को कानून के शासन का कोई सम्मान नहीं है। न्यायालय ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारी ने याचिकाकर्ता के दावे को विफल करने के उद्देश्य से विद्वान निचली अदालत के समक्ष झूठा लिखित बयान दाखिल करने से पहले दो बार भी नहीं सोचा।
जस्टिस संजय धर की पीठ गंदेरबल के जिला प्रशासन द्वारा अनधिकृत कब्जे के लिए किराए और मुआवजे के भुगतान की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। गंदेरबल के उप आयुक्त ने झूठा दावा किया कि प्रशासन के पास इमारत का कब्जा नहीं है, जिसका बाद में जिला जज द्वारा नियुक्त आयुक्त की रिपोर्ट द्वारा खंडन किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि इमारत पर गंदेरबल जिला प्रशासन का कब्जा है।
अदालत ने कहा कि अदालतें आम तौर पर सरकारी अधिकारियों द्वारा अपनी दलीलों में दिए गए बयानों पर भरोसा करती हैं, क्योंकि सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान दायर की गई दलीलों में सत्यता की धारणा जुड़ी होती है। हालांकि, मौजूदा मामला सरकारी अधिकारी द्वारा अदालत के समक्ष भ्रामक दलीलें दायर करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिससे वादी के उचित दावे को नकारा जा सके।
अदालत ने यह भी कहा कि जिस तरह से जिला प्रशासन ने याचिकाकर्ता की अनुमति के बिना इमारत पर कब्जा कर लिया उससे साफ पता चलता है कि उन्होंने याचिकाकर्ता को इमारत पर कब्जा देने से इनकार करते समय कानून की उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई।
अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में प्रतिवादी एकतरफा तरीके से किराए की राशि तय नहीं कर सकता। इसे याचिकाकर्ता के साथ उस संबंध में बातचीत के बाद ही निर्धारित किया जाना चाहिए।
अदालत ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को संबंधित इमारत के उपयोग और कब्जे के लिए 12 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से बिजली शुल्क के साथ किराया दें।
केस-टाइटल: अब्दुल मजीद सोफी बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश, 2025