रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए आरक्षण समग्र क्षैतिज, न कि खंडित: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
Amir Ahmad
24 Oct 2025 1:08 PM IST

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने रक्षा कर्मियों के बच्चों (CDP) को दिए गए 3% आरक्षण की प्रकृति को स्पष्ट करते हुए फैसला सुनाया है कि यह समग्र क्षैतिज आरक्षण है, न कि खंडित।
जस्टिस संजय धर ने याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा,
"रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए प्रदान किया गया तीन प्रतिशत (3%) आरक्षण एक समग्र क्षैतिज आरक्षण है, खंडित क्षैतिज आरक्षण नहीं। यह ऊर्ध्वाधर आरक्षण को काटता है और CDP कोटे के तहत चुने गए व्यक्ति को उचित श्रेणी में रखा जाना चाहिए।"
याचिकाकर्ता रवनित कौर ने NEET-UG 2025 परीक्षा दी और ST-2 (अनुसूचित जनजाति-2) श्रेणी से संबंधित होने के साथ-साथ CDP (प्राथमिकता-IV) कोटे के तहत पात्रता का दावा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू और कश्मीर व्यावसायिक प्रवेश परीक्षा बोर्ड (BOPEE) ने उच्च प्राथमिकता की स्थिति के बावजूद उनकी उम्मीदवारी की अनदेखी की। उन्होंने मांग की थी कि BOPEE को CDP कोटे के तहत ST-2 श्रेणी में उनकी उम्मीदवारी पर विचार करने और NEET-UG 2025 के लिए काउंसलिंग सूची को फिर से बनाने का निर्देश दिया जाए।
याचिका का विरोध करते हुए BOPEE ने बताया कि CDP श्रेणी (महिला) के उम्मीदवारों के लिए 3% क्षैतिज आरक्षण ऑनलाइन काउंसलिंग के दौरान पहले ही पूरी तरह से उपयोग किया जा चुका है। कुल 14 सीटों के निर्धारित कोटे के बावजूद 21 महिला एमबीबीएस और 3 महिला बीडीएस उम्मीदवार को उनकी योग्यता के आधार पर सीटें आवंटित की गईं, जिससे यह कोटा पार हो गया था। BOPEE ने तर्क दिया कि जब कोटा योग्यता के आधार पर समाप्त हो चुका है तो किसी अन्य उम्मीदवार को समायोजित करने के लिए किसी भी उम्मीदवार को हटाने की कोई आवश्यकता नहीं है और ऐसे में आपसी प्राथमिकता लागू करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
जस्टिस धर ने याचिकाकर्ता के दावे में कोई दम नहीं पाया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अपने आवेदन में यह बताने में विफल रही कि किन विशिष्ट, कम प्राथमिकता वाले उम्मीदवारों का चयन किया गया। ऐसे किसी भी चयनित उम्मीदवार को याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया।
कोर्ट ने BOPEE के रुख को सही ठहराया कि एक बार जब महिला CDP उम्मीदवारों के लिए 3% क्षैतिज आरक्षण योग्यता के आधार पर समाप्त हो जाता है तो उम्मीदवारों की प्राथमिकता पर विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
एक महत्वपूर्ण कानूनी स्पष्टीकरण में जस्टिस धर ने दोहराया कि क्षैतिज आरक्षण ऊर्ध्वाधर आरक्षण को काटता है। उन्होंने कहा कि J&K आरक्षण नियम, 2005 के तहत रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए आरक्षण समग्र क्षैतिज आरक्षण है खंडित नहीं।
कोर्ट ने समझाते हुए कहा कि यदि कोई CDP उम्मीदवार किसी विशेष ऊर्ध्वाधर श्रेणी (जैसे, ओपन मेरिट, अनुसूचित जाति, या अनुसूचित जनजाति) से संबंधित है तो उसे उस श्रेणी के भीतर ही समायोजित किया जाना चाहिए अलग से उप-कोटा खंड बनाए बिना।
कोर्ट ने अनंतिम चयन सूची के डेटा का विश्लेषण करते हुए पाया कि 24 महिला CDP उम्मीदवारों को पहले ही उनकी संबंधित ऊर्ध्वाधर श्रेणियों में (ओपन मेरिट, अनुसूचित जाति, और अनुसूचित जनजाति) उनकी अपनी योग्यता के आधार पर चुना जा चुका था। कोर्ट ने रेखांकित किया कि जब चयनित उम्मीदवारों की संख्या निर्धारित कोटे से अधिक हो गई तो BOPEE के पास केवल इसलिए किसी मौजूदा उम्मीदवार को हटाने का कोई अवसर नहीं था, क्योंकि किसी अन्य उम्मीदवार ने उसी श्रेणी में उच्च प्राथमिकता का दावा किया।
न्यायालय ने फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता का दावा तभी प्रासंगिक होता, जब CDP श्रेणी की सीटें खाली रह जातीं। चूंकि BOPEE की प्रवेश प्रक्रिया में कोई अवैधता या आरक्षण नीति का उल्लंघन नहीं पाया गया, कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

