जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में बनेगी तीन जजों की विशेष पीठ, 25 किताबों की जब्ती के खिलाफ होगी सुनवाई

Amir Ahmad

30 Sept 2025 3:31 PM IST

  • जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में बनेगी तीन जजों की विशेष पीठ, 25 किताबों की जब्ती के खिलाफ होगी सुनवाई

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट 25 पुस्तकों की जब्ती के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए तीन जजों की विशेष पीठ गठित करेगी।

    ये किताबें कश्मीर के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास पर आधारित हैं, जिन्हें सरकार ने अलगाववाद फैलाने के आरोप में धारा 98 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 के तहत जब्त घोषित किया है।

    चीफ जस्टिस अरुण पाली ने मंगलवार को कहा कि क़ानून के तहत ऐसी याचिकाओं की सुनवाई विशेष पीठ द्वारा ही की जानी चाहिए और इस संबंध में आदेश जल्द पारित किए जाएंगे।

    सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने चीफ जस्टिस के समक्ष दलील दी कि याचिकाकर्ता BNNS की धारा 99(1) के तहत सरकार की अधिसूचना रद्द कराने की मांग कर रहे हैं।

    पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक, लेखक डॉ. सुमंत्रा बोस शांति शोधक डॉ. राधा कुमार और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला सहित अन्य हस्तियों ने यह याचिका दायर की।

    उनका कहना है कि सरकार का आदेश मनमाना और बिना आधार का है। अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि पुस्तकों के कौन-से हिस्से अलगाववादी नैरेटिव फैलाते हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि केवल कानूनी भाषा को दोहराना पर्याप्त नहीं है बल्कि आदेश में ठोस आधार और कारण भी दिखने चाहिए।

    गृह विभाग की 5 अगस्त 2025 की अधिसूचना (S.O. 203) में कहा गया कि इन पुस्तकों के जरिए गलत नैरेटिव और अलगाववादी साहित्य फैलाया गया, जिसने युवाओं में उग्रवाद को बढ़ावा दिया।

    अधिसूचना के अनुसार किताबें आतंकवाद को महिमामंडित करती हैं, सुरक्षा बलों को बदनाम करती हैं और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती हैं।

    अधिसूचना ने इन्हें BNNS की धारा 98 के तहत जब्त घोषित किया और कहा कि ये पुस्तकें भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालती हैं।

    जब्त पुस्तकों की सूची में सुमंत्रा बोस, ए.जी. नूरानी, अरुंधति रॉय, सीमा काजी हफसा कंजवाल और विक्टोरिया स्कोफील्ड जैसे लेखकों की कृतियां शामिल हैं। ये किताबें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस और रूटलेज जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित हैं।

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