जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग में लंबित RTI अपीलों के समयबद्ध निपटारे की याचिका पर नोटिस जारी किया

Amir Ahmad

11 July 2025 11:00 AM

  • जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग में लंबित RTI अपीलों के समयबद्ध निपटारे की याचिका पर नोटिस जारी किया

    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) पर नोटिस जारी किया, जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग (CIC), नई दिल्ली के समक्ष सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act) के तहत दायर द्वितीय अपीलों के समयबद्ध निपटारे की मांग की गई, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित मामलों में।

    यह याचिका जुनैद जाविद 28 वर्षीय RTI और सोशल एक्टिविस्ट द्वारा दायर की गई, जो बारामुला के निवासी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ी दूसरी अपीलों को सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई में व्यवस्थित देरी हो रही है। याचिका में 45 दिनों की समय-सीमा में निपटारा करने की मांग की गई, जो RTI कानून की समयबद्ध प्रक्रिया की भावना के अनुरूप है।

    चीफ जस्टिस अरुण पाली और जस्टिस रजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद संघ सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया और याचिका में उठाए गए मुद्दों पर जवाब मांगा।

    याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में कई सार्वजनिक अधिकारियों को RTI आवेदन दिए लेकिन जब उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उन्होंने एक्ट धारा 19(1) के तहत प्रथम अपीलें और बाद में CIC के समक्ष दूसरी अपीलें दायर कीं।

    इनमें PDD विभाग के कार्यकारी अभियंता, समाज कल्याण विभाग और तहसीलदार उरी के खिलाफ दायर अपीलें शामिल हैं जो दिसंबर, 2024 से लंबित हैं और जिन पर अब तक कोई सुनवाई तक निर्धारित नहीं हुई।

    PIL में यह भी कहा गया कि RTI कानून का उद्देश्य सूचना तक समयबद्ध पहुंच सुनिश्चित करना है। हालांकि कानून में दूसरी अपील के निपटारे की समय-सीमा स्पष्ट नहीं है, फिर भी पूर्व जम्मू-कश्मीर RTI कानून, 2009 की मिसाल दी गई, जिसमें 60–120 दिन के भीतर अपीलों के निपटारे का प्रावधान था।

    याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि CIC की निष्क्रियता संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि CIC अपीलों पर सोया हुआ है और अभी तक न सुनवाई की तारीख तय की गई और न ही कोई अंतरिम आदेश जारी हुआ।

    PIL में अन्य नागरिकों की समस्याओं का भी उल्लेख है, जैसे कि एडवोकेट मुरीद उल इस्लाम, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थानों को RTI आवेदन दिए लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला।

    इन दलीलों पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में 29 जुलाई, 2025 से पहले केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    Next Story