सिर्फ 'तेज़ रफ़्तार' शब्द कहना लापरवाही साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
Praveen Mishra
18 Sept 2025 4:33 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि केवल गवाह का यह कहना कि आरोपी “तेज़ रफ़्तार” से गाड़ी चला रहा था, लापरवाही साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। जस्टिस राकेश काइंथला ने स्पष्ट किया कि अभियोजन को आरोपी की विशेष लापरवाही साबित करनी होगी।
मामला जुलाई 2009 का है जब सूचक ने ऊना में अपनी कार सड़क के किनारे खड़ी की थी। आरोप था कि एचआरटीसी बस चालक ने पीछे से तेज़ रफ़्तार में टक्कर मारी। ट्रायल कोर्ट ने चालक को दोषी ठहराया था और कहा था कि सड़क सीधी थी और बस रोकी जा सकती थी। परंतु अपीलीय अदालत ने चालक को बरी कर दिया, यह मानते हुए कि पर्याप्त सबूत नहीं हैं और सूचक द्वारा अचानक ब्रेक लगाने की संभावना भी थी।
राज्य की अपील पर हाईकोर्ट ने पाया कि सूचक ने खुद माना कि कार हाईवे पर खड़ी थी। यह Rules of the Road Regulations, 1989 के नियम 15 का उल्लंघन है, जो मुख्य सड़क पर पार्किंग को मना करता है। साथ ही उसने पार्किंग लाइट या इंडिकेटर भी नहीं जलाए थे। इसलिए सूचक की भी लापरवाही मानी गई।
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ “तेज़ रफ़्तार” कहना पर्याप्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के Mohanta Lal बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल मामले में भी यही कहा गया था कि गवाह से यह स्पष्ट कराना ज़रूरी है कि उसके अनुसार “तेज़ रफ़्तार” का क्या मतलब है।

