'फार्मासिस्ट के कर्तव्यों में खड़े रहना और चलना शामिल है': हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 50% गति-बाधित आवेदक की याचिका खारिज की
Shahadat
18 Nov 2025 8:42 AM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने फार्मासिस्ट के पद पर अन्य उम्मीदवार के चयन को चुनौती देने वाली 50% गति-बाधित उम्मीदवार की याचिका खारिज की।
राज्य का फैसला बरकरार रखते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि उम्मीदवार आवश्यक दिव्यांगता प्रमाण पत्र होने के बावजूद, खड़े होने और चलने में असमर्थ होने के कारण फार्मासिस्ट के कर्तव्यों के लिए मेडिकल रूप से अयोग्य था।
जस्टिस संदीप शर्मा ने टिप्पणी की:
"याचिकाकर्ता, जो 50% गति-बाधित है, को ठीक से खड़े न होने और न चलने के कारण फार्मासिस्ट के पद के लिए अयोग्य पाया गया। फार्मासिस्ट के काम में प्राथमिक उपचार देना, आपातकालीन कार्य करना और कभी-कभी यात्रा करना जैसे शारीरिक कार्य शामिल होते हैं..."
मामले की पृष्ठभूमि:
2020 में हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न दिव्यांगजन श्रेणियों के अंतर्गत फार्मासिस्ट के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया, जिसमें से 7 पद अस्थि-बाधित श्रेणी के लिए थे।
याचिकाकर्ता फार्मेसी काउंसिल में रजिस्टर्ड था और उसने अस्थि-बाधित श्रेणी के अंतर्गत आवेदन किया। उसने 2020 में और उसके बाद 2022 में भी काउंसलिंग में भाग लिया, लेकिन उसका चयन नहीं हुआ। हालांकि, एक अन्य उम्मीदवार को नियुक्त किया गया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसके पास वैध दिव्यांगता प्रमाण पत्र होने के बावजूद उसे नियुक्त नहीं किया गया। उसने आगे तर्क दिया कि दिव्यांग व्यक्ति के मामले को संवेदनशीलता से संभाला जाना चाहिए, न कि नौकरशाही की उदासीनता से।
जवाब में राज्य ने तर्क दिया कि यद्यपि याचिकाकर्ता के पास वैध दिव्यांगता प्रमाण पत्र था। फिर भी वह सरकारी अधिसूचना के अनुसार फार्मासिस्ट के पद के लिए शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता था।
Case Name: Sajil Kumar v/s State of H.P. and others

