HP Land Revenue Act | वित्त आयुक्त, जिला कलेक्टर द्वारा रद्द किए गए आदेश को अवैध घोषित किए बिना उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते: हाईकोर्ट

Shahadat

2 Aug 2025 10:53 AM IST

  • HP Land Revenue Act | वित्त आयुक्त, जिला कलेक्टर द्वारा रद्द किए गए आदेश को अवैध घोषित किए बिना उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते: हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वित्त आयुक्त द्वारा पारित आदेश यह कहते हुए रद्द कर दिया कि उन्होंने अप्रासंगिक और गैर-मौजूद सामग्री का सहारा लेकर और कलेक्टर के निर्णय में बिना कोई कानूनी दोष या विकृति घोषित किए हस्तक्षेप करके अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया।

    वित्त आयुक्त का निर्णय रद्द करते हुए जस्टिस सत्येन वैद्य ने कहा,

    "वित्त आयुक्त ने विवादित आदेश पारित करते समय अप्रासंगिक और गैर-मौजूद सामग्री पर अपनी राय आधारित करके और जिला कलेक्टर के आदेश को अवैध या विकृत घोषित किए बिना उसमें हस्तक्षेप करके अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया।"

    याचिकाकर्ता ने पहले से कार्यरत राजस्व कलेक्टर की मृत्यु के बाद ऊना जिले के जनकौर गाँव में भू-राजस्व कलेक्टर के पद के लिए आवेदन किया। हालांकि, 2004 में ज़िला कलेक्टर ने इस पद के लिए एक अन्य उम्मीदवार कमल सिंह को नियुक्त किया था।

    याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1954 की धारा 14 के तहत कांगड़ा के संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील दायर करके इस नियुक्ति को चुनौती दी। 2006 में अपील स्वीकार कर ली गई और मामला पुनर्विचार के लिए ज़िला कलेक्टर के पास वापस भेज दिया गया।

    पुनर्विचार के बाद 2008 में याचिकाकर्ता को यह पद दे दिया गया और कमल सिंह ने कांगड़ा के संभागीय आयुक्त के समक्ष उनकी नियुक्ति को चुनौती दी, जिन्होंने अपील स्वीकार कर ली। हालांकि, हाईकोर्ट ने कांगड़ा के संभागीय आयुक्त का निर्णय रद्द कर दिया और मामले की सुनवाई और निर्णय मंडी के संभागीय आयुक्त द्वारा करने का निर्देश दिया।

    इसके बाद 2011 में संभागीय आयुक्त ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति बरकरार रखी। इसके बाद कमल सिंह ने हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम, 1954 की धारा 17 के तहत पुनर्विचार याचिका दायर करके हिमाचल प्रदेश के वित्त आयुक्त के समक्ष इस आदेश को चुनौती दी।

    2012 में वित्त आयुक्त ने पुनर्विचार याचिका स्वीकार की और जिला कलेक्टर द्वारा 2004 में पारित उस आदेश को बहाल कर दिया, जिसमें कमल सिंह की नियुक्ति की गई थी।

    व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने एक रिट याचिका दायर करके हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    वित्त आयुक्त की पुनर्विचार शक्तियों के दायरे की जांच करते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की कि हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम, 1954 की धारा 17 के अनुसार, वित्त आयुक्त को किसी भी मामले के अभिलेख मंगवाने और आदेश पारित करने का अधिकार है।

    हालांकि, न्यायालय ने कहा कि ऐसी शक्ति सामान्य कानून के तहत पुनर्विचार शक्ति के मूल सिद्धांतों के अंतर्गत निर्धारित की जानी चाहिए, जिसमें अधीनस्थ प्राधिकारी के आदेश की वैधता और औचित्य के बारे में पुनर्विचार प्राधिकारी की संतुष्टि शामिल है। पुनर्विचार शक्ति का उपयोग अधीनस्थ प्राधिकारियों के आदेशों में अवैधता या विकृति के तत्व को समाप्त करके न्याय के हित में किया जाना है।

    न्यायालय ने पाया कि वित्त आयुक्त ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति करने वाले 2008 के आदेश में हस्तक्षेप को उचित नहीं ठहराया। 2008 के आदेश का मूल्यांकन करने के बजाय वित्त आयुक्त ने जिला कलेक्टर द्वारा पारित 2004 के एक पूर्व-रद्द आदेश पर भरोसा किया, जिसे पहले ही रद्द कर दिया गया और जो अंतिम रूप ले चुका था।

    न्यायालय ने टिप्पणी की कि एक बार जब जिला कलेक्टर का 2004 का आदेश रद्द कर दिया गया और उसे आगे चुनौती नहीं दी गई, तो उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इस प्रकार, न्यायालय ने याचिका स्वीकार की और माना कि वित्त आयुक्त ने अपना निर्णय अप्रासंगिक और अस्तित्वहीन सामग्री पर आधारित किया था।

    Case Name: Sanjay Kumar v/s State of H.P. & Others.

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