पहली पत्नी की मृत्यु के बाद सरकारी कर्मचारी के पेंशन रिकॉर्ड में दूसरी पत्नी शामिल होगी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Shahadat

23 Sept 2025 11:18 AM IST

  • पहली पत्नी की मृत्यु के बाद सरकारी कर्मचारी के पेंशन रिकॉर्ड में दूसरी पत्नी शामिल होगी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि रिटायरमेंट सरकारी कर्मचारी की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उसकी दूसरी पत्नी को पेंशन देने से इनकार नहीं किया जा सकता, भले ही हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के तहत विवाह तकनीकी रूप से अमान्य हो।

    अदालत ने श्रीरामबाई बनाम कैप्टन रिकॉर्ड ऑफिसर, 2023 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि "यदि एक पुरुष और एक महिला लंबे समय तक लगातार साथ रहते हैं तो विवाह के वैध होने का अनुमान लगाया जा सकता है"।

    जस्टिस संदीप शर्मा ने कहा:

    "यह सच है कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार, याचिकाकर्ता का कमलेश देवी के साथ अपने पहले विवाह के दौरान ज्वाला देवी (दूसरी पत्नी) के साथ विवाह अवैध कहा जा सकता है। हालांकि, मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए... प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के मामले को खारिज नहीं करना चाहिए था।"

    अदालत ने टिप्पणी की कि चूंकि याचिकाकर्ता के सभी कानूनी प्रतिनिधि वयस्क हो चुके हैं और उन्हें नामांकित व्यक्ति के परिवर्तन पर कोई आपत्ति नहीं है, इसलिए नाम परिवर्तन की प्रार्थना स्वीकार होने पर किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा।

    मामले के तथ्य:

    1973 में याचिकाकर्ता को प्रतिवादी विभाग में नियमित आधार पर बढ़ई के पद पर नियुक्त किया गया था। बाद में 1994 में उन्होंने विवाह कर लिया। हालांकि, विवाह से कोई संतान नहीं हुई और याचिकाकर्ता ने बाद में अपनी पहली पत्नी की छोटी बहन से विवाह कर लिया।

    याचिकाकर्ता वर्ष 2003 में रिटायर हुए और तब से पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। 2020 में अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता ने पेंशन रिकॉर्ड में नामांकित व्यक्ति का नाम बदलने और अपनी पहली पत्नी के स्थान पर दूसरी पत्नी का नाम दर्ज करने के लिए एक अभ्यावेदन दायर किया।

    हालांकि, याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को इस आधार पर अस्वीकार किया गया कि याचिकाकर्ता की दूसरी पत्नी फैमिली पेंशन के लिए पात्र नहीं है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    जवाब में विभाग ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने अपनी पिछली शादी के रहते हुए दूसरी शादी कर ली, जिससे हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 के तहत उसकी दूसरी शादी अमान्य हो गई।

    इसमें आगे तर्क दिया गया कि केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम, 1972 के नियम 54 के अनुसार, यदि पहली पत्नी के जीवनकाल में दूसरी पत्नी का विवाह हुआ है तो वह पेंशन की हकदार नहीं है।

    हालांकि, इन दलीलों को खारिज करते हुए अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली।

    Case Name: Mahesh Ram V/s State of Himachal Pradesh & Others.

    Next Story