HP Co-Operative Societies Rules | केवल चुनाव प्रस्ताव पारित करना चुनावी प्रक्रिया शुरू करने के बराबर नहीं: हाईकोर्ट
Shahadat
4 Sept 2025 9:48 AM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति नियम, 1971 के नियम 38 के अनुसार, समिति की निवर्तमान प्रबंध समिति अपने कार्यकाल की समाप्ति से कम से कम 90 दिन पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के लिए बाध्य है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि केवल प्रस्ताव पारित करना चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के बराबर नहीं है।
जस्टिस अजय मोहन गोयल ने टिप्पणी की:
"निवर्तमान प्रबंध समिति का कार्यकाल समाप्त होने से 90 दिन पहले इस प्रस्ताव को पारित करना किसी भी तरह से चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के बराबर नहीं कहा जा सकता।"
याचिकाकर्ता साईं कोऑपरेटिव नॉन-एग्रीकल्चरल थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड के संस्थापक सदस्य और निर्वाचित अध्यक्ष हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की।
उन्होंने उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें सोसाइटी लिमिटेड की प्रबंध समिति के गठन के लिए हुए चुनाव को अमान्य घोषित किया गया। प्राधिकरण ने पाया कि प्रबंध समिति ने हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति नियम, 1971 के नियम 38(3) का उल्लंघन किया और पिछली समिति का कार्यकाल समाप्त होने से 90 दिन पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं की थी।
याचिका में तर्क दिया गया कि यह आदेश कानून की दृष्टि से टिकने योग्य नहीं है, क्योंकि पिछली प्रबंध समिति ने समय रहते प्रक्रिया शुरू की और प्रस्ताव पारित कर दिया गया।
उन्होंने आगे दलील दी कि राज्य भर में कई सहकारी समितियां नियमों का कड़ाई से पालन नहीं करती हैं और पिछला चुनाव भी इसी तरह हुआ था।
हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति नियम के नियम 37 और 38 की जांच करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निवर्तमान प्रबंध समिति को नियमों के अनुसार ही चुनाव प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। हालांकि, न्यायालय ने पाया कि इस मामले में समिति ने ऐसा नहीं किया।
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने स्वयं स्वीकार किया कि उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया। इसलिए प्राधिकरण का यह निर्णय कि कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं की गई, सही है।
इसलिए न्यायालय ने रिट याचिका खारिज की और कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि अन्य सहकारी समितियां नियमों का पालन नहीं कर रही थीं, इसका मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता समिति द्वारा नियमों का पालन न करने को प्राधिकरण द्वारा माफ कर दिया जाएगा।
यह निष्कर्ष निकाला गया कि चुनाव एक अवैध प्रक्रिया के आधार पर आयोजित किए गए और प्राधिकरण द्वारा चुनावों को रद्द करना सही था।
Case Name: Raj Kumar & another V/s State of H.P. & Ors.

