माँ की पेंशन पर निर्भर नहीं रह सकते: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बेदखली की अनुमति दी, कहा- मकान मालिक अपनी दुकान का उपयोग आजीविका के लिए कर सकता है
Shahadat
19 Nov 2025 8:42 AM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि जब मकान मालिक के पास अपनी दुकान उपलब्ध हो और उसकी ज़रूरत वास्तविक हो तो उसे किराए की दुकान से अपना व्यवसाय जारी रखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि मकान मालिक की माँ की पेंशन आजीविका का स्थायी स्रोत नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि मकान मालिक का कहीं और किरायेदार होना उसकी दुकान चलाने के लिए अपनी संपत्ति वापस लेने की वास्तविक आवश्यकता को स्थापित करता है।
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने टिप्पणी की:
"याचिकाकर्ता अपनी माँ के वेतन या पेंशन पर निर्भर नहीं रह सकता, जो आजीविका का स्थायी स्रोत नहीं है। यह तथ्य कि मकान मालिक किराए के परिसर में दुकान चला रहा था, उसकी अपनी दुकान चलाने के लिए पट्टे पर दिए गए परिसर की वास्तविक आवश्यकता को स्थापित करने के लिए पर्याप्त से अधिक है।"
2009 में मकान मालिक ने मुख्य बाजार में अपने परिसर में रहने वाले दो किरायेदारों के खिलाफ बेदखली की कार्यवाही शुरू की। उन्होंने दलील दी कि रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय शुरू करने के लिए उन्हें इस परिसर की ज़रूरत थी क्योंकि उनके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था। उन्हें आजीविका तथा अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए आय की आवश्यकता थी।
हालांकि, उनकी याचिका को किराया नियंत्रक और अपीलीय प्राधिकारी, दोनों ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 14 में 2012 में संशोधन से पहले मकान मालिकों को व्यक्तिगत आवश्यकता के आधार पर गैर-आवासीय परिसर से बेदखली की मांग करने का कोई अधिकार नहीं था।
व्यथित होकर मकान मालिक ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने पाया कि मकान मालिक को परिसर की वास्तविक आवश्यकता थी, क्योंकि शिक्षित होने के बावजूद, वह बेरोजगार था और उसे किराए के परिसर में व्यवसाय चलाना पड़ता था, वह भी मुख्य बाजार में अपनी दुकान होने के बावजूद, जो कि बहुत व्यस्त क्षेत्र नहीं था।
इस प्रकार, कोर्ट ने किराया नियंत्रक और अपीलीय प्राधिकारी के आदेशों को रद्द कर दिया और दोनों किरायेदारों को परिसर खाली करने का आदेश दिया।
Case Name: Vineet v/s Vishal Sohal, Vineet v/s Dinesh Kapoor

