किसी व्यक्ति को जंगली जानवर समझकर गलती से गोली मारना लापरवाही है, हत्या नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
Shahadat
23 Sept 2025 11:24 AM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को जंगली जानवर समझकर गलती से गोली मारना भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 के तहत लापरवाही से हुई मौत है, न कि BNS की धारा 103 के तहत हत्या का अपराध।
जस्टिस राकेश कैंथला ने टिप्पणी की:
"...उनका सोम दत्त की मृत्यु का इरादा नहीं था और उन्हें प्रथम दृष्टया BNS की धारा 103 के तहत दंडनीय अपराध के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि, वह BNS की धारा 106 के तहत दंडनीय अपराध के लिए उत्तरदायी होंगे, जो प्रकृति में जमानती है।"
याचिकाकर्ता ने BNS, 2023 की धारा 3(5) (सामान्य आशय) के साथ धारा 103 (हत्या) और 238 (अपराध के साक्ष्य को मिटाना या झूठी सूचना देना) तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और 27 (अवैध हथियार रखना और उसका उपयोग करना) के तहत नियमित जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जनवरी, 2025 में मृतक सोमदत्त के लापता होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि मृतक और याचिकाकर्ता एक अन्य व्यक्ति संदीप के साथ बंदूक लेकर जंगल गए थे।
बाद में पुलिस ने जंगल से आंशिक रूप से जला हुआ, बिना सिर वाला शव बरामद किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मौत का कारण सीने और सिर में कई गोलियों के घाव के कारण रक्तस्राव और सदमा था।
याचिकाकर्ता 'जंगल' में लगे एक पंप में पंप ऑपरेटर था। मृतक ही पहले बंदूकों से लैस होकर जंगल में गया। उसके बाद याचिकाकर्ता और संदीप भी एक जंगली जानवर की तलाश में गए। याचिकाकर्ता और संदीप ने मृतक को जंगली जानवर समझकर गोली मार दी, क्योंकि मृतक झाड़ियों के पीछे छिपा हुआ था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसे केवल कॉल डिटेल के आधार पर झूठा फंसाया जा रहा है, जो उसे अपराध से जोड़ने के लिए पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने आगे तर्क दिया कि यदि अभियोजन पक्ष के मामले को सही मान भी लिया जाए तो भी यह BNS की धारा 103 के तहत हत्या नहीं मानी जाएगी। अधिक से अधिक यह BNS की धारा 106 के तहत लापरवाही से मृत्यु का कारण बनने का अपराध माना जाएगा, जो एक ज़मानती अपराध है।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने स्वयं स्वीकार किया है कि सह-अभियुक्त ने पक्षी का शिकार करने की गलतफहमी में गोली चलाई। न्यायालय ने कहा कि यह BNS की धारा 299 और धारा 100 के दृष्टांत (ग) के अंतर्गत आता है, जब कोई व्यक्ति किसी पक्षी पर गोली चलाता है। हालांकि, गलती से झाड़ियों के पीछे छिपे किसी व्यक्ति को मार देता है।
अदालत ने टिप्पणी की कि ऐसे मामले में कृत्य लापरवाही का है। हालांकि, जानबूझकर की गई हत्या का नहीं। इस प्रकार, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता को गैर-जमानती अपराध के लिए दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है।
Case Name: Bhutto Ram V/s State of H.P.

