'राजनीतिक निहितार्थ से भरी अनुचित अभिव्यक्तियां': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ वाली यूपी कोर्ट की टिप्पणियों को एक्सपंज किया
LiveLaw News Network
21 March 2024 2:24 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मंगलवार को 2010 के बरेली दंगा मामले संबंधित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, बरेली, रवि कुमार दिवाकर की ओर से दिए गए एक आदेश में उनकी ओर से की गई उन टिप्पणियों को एक्सपंज कर दिया, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की थी और कहा था कि "सत्ता में बैठा धार्मिक व्यक्ति अच्छे परिणाम देता है।''
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ न जज दिवाकर की "अनुचित" टिप्पणियों को "राजनीतिक निहितार्थ और व्यक्तिगत विचारों से युक्त" माना और उन्हें एक्सपंज करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारी से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह अपनी व्यक्तिगत या पूर्वकल्पित धारणाओं या झुकावों को मामले में व्यक्त या चित्रित करे।
उल्लेखनीय है कि 5 मार्च, 2024 के अपने आदेश में जस्टिस दिवाकर ने अन्य बातों के साथ-साथ एक विवादास्पद बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में दंगों का मुख्य कारण यह है कि देश के राजनीतिक दल एक विशेष धर्म के "तुष्टीकरण" में लगे हुए हैं। इसके अलावा, उन्होंने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की तुलना 'दार्शनिक राजा' के विचार से भी की थी, जैसा कि प्लेटो ने अपनी किताब रिपब्लिक में उल्लिखित किया था।
जस्टिस दिवाकर ने ये टिप्पणियां वर्ष 2010 में बरेली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में 'हत्या के प्रयास' सहित गंभीर आपराधिक आरोपों के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए एक मुस्लिम मौलवी और राजनेता मौलाना तौकीर रज़ा खान को तलब करते हुए कीं।
अपने आदेश में, बरेली कोर्ट ने खान के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए यह भी रेखांकित किया था कि अगर राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार नहीं होती तो आरोपी मौलाना तौकीर बरेली में एक और दंगा भड़का देता।
केस साइटेशन: 2024 लाइव लॉ (एबी) 184