उन्नाव बलात्कार मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता के पिता की मौत के लिए दोषी कुकदीप सिंह सेंगर के भाई की सजा निलंबित करने से इनकार किया

Shahadat

26 Jan 2024 10:02 AM

  • उन्नाव बलात्कार मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता के पिता की मौत के लिए दोषी कुकदीप सिंह सेंगर के भाई की सजा निलंबित करने से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 के उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की मौत के लिए दोषी ठहराए गए निष्कासित BJP विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई की सजा निलंबित करने से इनकार किया।

    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने जयदीप सिंह सेंगर द्वारा मार्च 2020 में दी गई उनकी 10 साल की सजा निलंबित करने की मांग करने वाला आवेदन खारिज कर दिया, जबकि इसके खिलाफ उनकी अपील लंबित है।

    जयदीप सिंह, कुलदीप सिंह सेंगर और पांच अन्य को 2020 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था।

    सिंह का मामला यह है कि हिरासत में उन्हें मुंह के कैंसर का पता चला और वह एम्स में डॉक्टरों की निगरानी में हैं। उनकी मेडिकल स्थितियों पर विचार करने के बाद नवंबर, 2020 में उन्हें अंतरिम जमानत दी गई और तब से उक्त अंतरिम जमानत को समय-समय पर पिछले साल 18 जनवरी तक बढ़ा दिया गया।

    पिछले साल जून में उनकी नाजुक मेडिकलक स्थिति को देखते हुए अंतरिम उपाय के रूप में उनकी सजा 8 सप्ताह के लिए निलंबित कर दी गई थी, जिसे बढ़ा भी दिया गया। उसके बाद सिंह जेल से बाहर है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि चूंकि पांच सह-अभियुक्तों की सजा निलंबित कर दी गई, इसलिए उन्हें भी समानता के आधार पर राहत दी जानी चाहिए।

    दूसरी ओर, सीबीआई ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि सिंह ने अपनी सजा का लगभग 30% यानी दस साल में से केवल तीन साल ही काटे हैं।

    जस्टिस सिंह ने सजा निलंबित करने की मांग करने वाली सिंह की याचिका में कोई योग्यता नहीं पाई और तदनुसार, इसे खारिज कर दिया।

    अदालत ने ऐसा सिंह की हिरासत की अवधि, उसकी मेडिकल स्थिति, उसके द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता तथा सजा के निलंबन के लिए उसके आवेदन पर निर्णय लेने के उद्देश्य से अदालतों में जनता के विश्वास के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए किया।

    अदालत ने कहा,

    “यहां अपीलकर्ता लगभग तीन साल की अवधि के लिए न्यायिक हिरासत में रहा, जो अपीलकर्ता को दी गई कुल सजा के आधे से भी कम है, यानी दस साल के कठोर कारावास से। इस प्रकार, वर्तमान अपीलकर्ता समता के आधार पर कोई राहत नहीं मांग सकता।”

    इसने एम्स द्वारा प्रस्तुत मेडिकल रिपोर्ट का भी अवलोकन किया, जिसमें कहा गया कि सिंह के ऊपरी अंगों और गर्दन की गतिविधियां क्रियाशील हैं। इस प्रकार, उन्हें अपनी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में किसी भी सहायता की आवश्यकता नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    “इसलिए इस अदालत की राय है कि मेडिकल रिपोर्ट इस बिंदु पर स्पष्ट है कि अपीलकर्ता की मेडिकल स्थिति ऐसी नहीं है कि वह उसे दी गई सजा जेल में नहीं काट सके।”

    हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि टिप्पणियों को मामले की योग्यता पर एक राय के रूप में नहीं माना जाएगा।

    अदालत ने सजा और दोषसिद्धि के खिलाफ सिंह की अपील को अब 05 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    पीड़िता के साथ 2017 में सेंगर और उसके साथियों द्वारा बार-बार सामूहिक बलात्कार किया गया था, जब वह नाबालिग थी।

    सेंगर को उसके साथ बलात्कार करने और उन्नाव जिले के गांव माखी के पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर उसके पिता की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

    ट्रांसफर याचिका में मामले की सुनवाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीस हजारी अदालतों में स्थानांतरित कर दी गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई रंजन गोगोई को लिखे गए बलात्कार पीड़िता के पत्र का संज्ञान लेते हुए घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को उत्तर प्रदेश की लखनऊ अदालत से दिल्ली की अदालत में सुनवाई के निर्देश के साथ ट्रांसफर कर दिया था।

    याचिकाकर्ता के वकील: प्रमोद कुमार दुबे, हेमंत शाह, एस.पी.एम. त्रिपाठी, अक्षय राणा और दीपांशु नैनवाल।

    प्रतिवादी के वकील: निखिल गोयल, सीबीआई के एसपीपी, कार्तिक कौशल, वकील के साथ; महमूद प्राचा और मो. शमीम, शिकायतकर्ता के वकील।

    केस टाइठल: जयदीप सिंह सेंगर@अतुल सिंह बनाम सीबीआई

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