नागरिकों के सामाजिक बहिष्कार का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं, प्रशासन को इससे सख्ती से निपटना चाहिए: कलकत्ता हाईकोर्ट

Shahadat

1 Jan 2024 4:54 AM GMT

  • नागरिकों के सामाजिक बहिष्कार का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं, प्रशासन को इससे सख्ती से निपटना चाहिए: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने कहा कि किसी नागरिक या उसके परिवार के सदस्य के सामाजिक बहिष्कार से प्रशासन को सख्ती से निपटना होगा। सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं है। कोर्ट ने उक्त टिप्पणी ऐसे मामले में की, जिसमें एक व्यक्ति और उसके परिवार का उनके पड़ोस ने बहिष्कार कर दिया था, क्योंकि उन्होंने आपत्ति जताते हुए मंदिर निर्माण के खिलाफ निषेधाज्ञा का अंतरिम आदेश प्राप्त किया था।

    जस्टिस जय सेनगुप्ता की एकल पीठ ने स्थानीय निवासियों द्वारा याचिकाकर्ताओं पर लगाए गए सामाजिक बहिष्कार पर आपत्ति जताई और कहा,

    पुलिस अधिकारियों को इलाके पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया जाता है। पुलिस यह सुनिश्चित करें कि कोई शांति भंग न हो और सिविल कोर्ट के किसी आदेश का उल्लंघन न हो। निगरानी में पुलिस गश्त द्वारा क्षेत्र का बार-बार दौरा शामिल होगा।

    याचिकाकर्ताओं द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि प्रतिवादी कथित तौर पर अपने घर के सामने भूखंड पर अवैध रूप से एक मंदिर का निर्माण कर रहे थे। ऐसा करके उनके शांतिपूर्ण कब्जे को परेशान कर रहे थे।

    याचिकाकर्ताओं ने इसके खिलाफ सिविल वाद दायर किया और मंदिर के निर्माण के खिलाफ निषेधाज्ञा का अंतरिम आदेश प्राप्त किया, जिसकी भूमि विवादित है। राज्य ने प्रतिवादियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 107 के तहत कार्यवाही शुरू की।

    याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि जब उन्होंने प्रतिवादी की गतिविधियों पर आपत्ति जताई तो स्थानीय लोगों और उत्तरदाताओं द्वारा उन पर सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।

    तदनुसार, अदालत ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देकर याचिका का निपटारा किया कि निषेधाज्ञा के आदेश का उल्लंघन नहीं हुआ और क्षेत्र में शांति भंग नहीं हुई।

    केस टाइटल: रणजीत मंडल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।

    केस नंबर: डब्ल्यू.पी.ए. 11715/2023

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