शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने के स्पीकर के इनकार को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Shahadat

16 Jan 2024 7:46 AM GMT

  • शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने के स्पीकर के इनकार को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

    सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के गुट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर द्वारा उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करने को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    पिछले हफ्ते स्पीकर राहुल नार्वेकर ने घोषणा की कि 22 जून, 2022 को पार्टी विभाजित होने पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। हालांकि, उन्होंने दूसरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली दोनों गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

    स्पीकर नार्वेकर ने शिंदे गुट के भरत गोगावले को वैध व्हिप घोषित किया, लेकिन व्हिप का उल्लंघन करने के लिए उद्धव ठाकरे गुट के सदस्यों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि शिंदे का गुट यह साबित करने में विफल रहा कि विश्वास मत के लिए व्हिप यूबीटी गुट के विधायकों को दिया गया।

    याचिका में कहा गया,

    "रिकॉर्डों से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता ने इस बात का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत रिकॉर्ड पर रखे कि व्हिप न केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रतिवादियों को दिया गया, बल्कि इसकी कॉपी याचिकाकर्ता द्वारा स्वयं विधानसभा कार्यालय में उत्तरदाताओं का कार्यालय 'पिजन हॉल' के माध्यम से वितरित किया गया।

    याचिका में कहा गया कि यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि व्हिप की यह भौतिक डिलीवरी महाराष्ट्र विधान नियम, 1960 के नियम 19 के तहत माननीय स्पीकर से उचित अनुमति लेने के बाद ही की गई।

    एडवोकेट चिराग शाह और उत्सव त्रिवेदी के माध्यम से दायर रिट याचिकाओं में भरत गोगावले ने यूबीटी गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की। याचिका में कहा गया कि विधायकों को अयोग्य ठहराया गया, क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ दी और एनसीपी और कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर शिंदे सरकार को गिराने के लिए विश्वास मत में उनके खिलाफ मतदान किया।

    याचिका पर 22 जनवरी 2024 को सुनवाई होने की संभावना है।

    गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने स्पीकर के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, क्योंकि इसने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी और संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार दलबदल के लिए शिंदे गुट के सदस्यों को अयोग्य ठहराने से इनकार किया।

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