संदेशखाली हिंसा| गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं, शाहजहां शेख को गिरफ्तार करें: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा

LiveLaw News Network

26 Feb 2024 10:07 AM GMT

  • संदेशखाली हिंसा| गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं, शाहजहां शेख को गिरफ्तार करें: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल स्थित संदेशखाली में हुए कथित अत्याचारों पर सिंगल जज की ओर से दर्ज स्वत: संज्ञान मामले को उठाया।

    ऐसे आरोप हैं कि संदेशखाली में बंदूक की नोक पर महिलाओं के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और आदिवासियों की जमीनों हड़प गया। इन कृत्यों में सत्तारूढ़ दल के सदस्य शामिल रहे, जिसमें जिला परिषद प्रधान शाहजहाँ शेख का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।

    चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    पीठ ने राज्य, सीबीआई और ईडी समेत विभिन्न प्राधिकारियों के साथ-साथ खुद शेख को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाया। इसके अलावा, उन्होंने रजिस्ट्री को शेख के फरार होने के कारण मामले में प्रतिवादी के रूप में शामिल किए जाने के संबंध में समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया।

    अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि शेख की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का कोई आदेश नहीं है और पुलिस को उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में उसे पकड़ना होगा।

    एडवोकेट प्रियंका टिबरेवाल ने पीठ बताया कि क्षेत्र की महिलाएं पुलिस से संपर्क करने में आश्वस्त नहीं हैं, क्योंकि पुलिस की आरोपियों के साथ सांठगांठ है। उन्होंने अदालत ने सुझाव दिया कि उनकी शिकायतें जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) द्वारा दर्ज की जा सकती हैं।

    मामले में एमिकस क्यूरी को क्षेत्र में घटनाओं के संबंध में एकत्रित जानकारी पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की भी अनुमति दी गई है।

    पृष्ठभूमि

    संदेशखाली में मामला तब शुरू हुआ जब करोड़ों रुपये के राशन घोटाले की जांच कर रहे ईडी अधिकारियों की एक टीम पर उस समय हमला किया गया जब वे एसके शाहजहां के आवास पर छापेमारी करने जा रहे थे।

    अदालत ने अपने पहले के आदेश में इस तथ्य पर न्यायिक संज्ञान लिया था कि ईडी द्वारा एसके शाहजहां के परिसर में तलाशी अभियान चलाने के बाद समस्या खड़ी हो गई थी। इसमें कहा गया कि समस्या का एकमात्र कारण फरार होना और पता न चल पाना था।

    विशेष रूप से, न्यायालय ने पहले उस याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था जिसमें संदेशखाली में कथित हिंसा से प्रभावित महिलाओं की 'सुरक्षा' के लिए दावा किया गया था।

    मामला: कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

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