निर्देशों के बावजूद कथित बंधुआ मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहे DCP, हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया

Shahadat

27 Jan 2024 6:49 AM GMT

  • निर्देशों के बावजूद कथित बंधुआ मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहे DCP, हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करने के अपने निर्देश का पालन नहीं करने पर हिसार के पुलिस उपायुक्त (DCP) को अवमानना नोटिस जारी किया। इसमें आरोप लगाया गया कि कई मजदूरों को ईंट भट्टे में बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

    जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने यह देखते हुए कि DCP की प्रतिक्रिया "न केवल असंतोषजनक है, बल्कि इसे बहुत ही अनौपचारिक और लापरवाहीपूर्ण तरीके से दिया गया", कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित अधिकारी को न्याय की महिमा और कानूनी प्रतिशोध की कोई परवाह नहीं है।"

    03 जनवरी को DCP को एक सप्ताह की अवधि के भीतर बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 के तहत आरोपों पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए नोटिस जारी किया गया था।

    अदालत ने निर्देश दिया,

    "प्रतिवादी नंबर 2 (DCP, हिसार) को यह बताने के लिए नोटिस जारी किया जाए कि 03.01.2024 के आदेश के तहत इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।"

    जस्टिस बराड़ ने रजिस्ट्री को उन स्थानों का दौरा करने के लिए वारंट अधिकारी नियुक्त करने का भी निर्देश दिया, जहां मजदूरों को कथित तौर पर कस्टडी में लिया गया है।

    अदालत ने कहा,

    यदि वारंट अधिकारी को पता चलता है कि मेसर्स भारत ब्रिक्स कंपनी के मालिकों द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों को अवैध रूप से कैद में रखा गया है तो वह उन्हें "तुरंत" मुक्त करने के लिए आगे बढ़ेगा और बंदियों के बयान दर्ज करेगा।

    अदालत कथित बंदी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो कथित तौर पर ईंट भट्ठा मालिक के चंगुल से भाग गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी पत्नी, नाबालिग बेटा और नाबालिग बेटियां अभी भी प्रतिवादियों की अवैध कैद में हैं।

    कंपनी के मालिक और उनके लोग बंधुआ मजदूर प्रणाली उन्मूलन अधिनियम 1976 के अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं और उन पर अधिनियम की धारा 3, 6, 9 और 17 और अवैध कारावास के लिए आईपीसी की धारा 345 और धारा 374 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। याचिका में कहा गया कि बंदियों को बिना किसी भुगतान के अवैध रूप से बंधुआ मजदूर के रूप में रखा गया है।

    मामले को 09 फरवरी के लिए स्थगित करते हुए पीठ ने वारंट अधिकारी को न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सर्वेश कुमार गुप्ता व राम बिलास गुप्ता ने पक्ष रखा।

    विकास भारद्वाज, एएजी हरियाणा।

    केस टाइटल: रवि बनाम, हरियाणा राज्य और अन्य।

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