पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भागे हुए जोड़ों की सुरक्षा याचिकाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए महाधिवक्ता से सहायता मांगी

LiveLaw News Network

23 Jan 2024 5:49 PM IST

  • पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भागे हुए जोड़ों की सुरक्षा याचिकाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए महाधिवक्ता से सहायता मांगी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भागे हुए जोड़ों की ओर से दायर सुरक्षा याचिकाओं सुव्यवस्थित करने के लिए पंजाब, हरियाणा के महाधिवक्ता और चंडीगढ़ यूटी के स्थायी वकील से सहायता मांगी है।

    जस्टिस संदीप मोदगिल ने कहा,"पंजाब और हरियाणा के महाधिवक्ता और चंडीगढ़ यूटी के स्थायी वकील से अनुरोध है कि वे विशेष रूप से समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दे में अदालत की सहायता करें... समाज के सार्वजनिक हित में, क्या भागे हुए जोड़ों की हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए संचालन मानक तैयार किया जा सकता है..."

    कोर्ट ने लगभग प्रतिदिन सुरक्षा याचिकाएं दायर होने पर चिंता जताते हुए मौखिक रूप से राज्य और कानूनी सहायता वकील से सवाल किया कि क्या इसे सुव्यवस्थित करने के लिए कोई तंत्र बनाया जा सकता है क्योंकि जोड़े अपनी शादी के अगले दिन सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगा रहे हैं।

    कोर्ट ने उक्त टिप्पण‌ियां तब कि जब एक समलैंगिक साथी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हो रही थी। याचिका में उसने अपने साथी के परिवार से सुरक्षा की मांग की थी, जिन्होंने कथित तौर पर उनके समान-लिंग संबंध का विरोध करते हुए उसे डिटेल कर लिया था।

    दायर याचिका में कहा गया था कि कथित बंदी के परिवार के सदस्य उसे अपनी पसंद के किसी व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर कर सकते हैं, क्योंकि वे पहले ही ऐसा करने की धमकी दे चुके हैं या उसे घातक शारीरिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

    इससे पहले, अदालत ने सवाल किया था कि "क्या माता-पिता को अपनी ही बेटी को अवैध हिरासत में रखने वाला कहा जा सकता है, क्योंकि कथित बंदी स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार नाबालिग है और अदालत ने उसके माता-पिता को आश्वासन के साथ ताकि उसे कोई नुकसान न हो, उसे कस्टडी में लेने की अनुमति दी थी।"

    पीठ ने कथित बंदी के नाम पर दो आधार कार्ड पेश करने के मुद्दे को भी उठाया। एक आधार कार्ड याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया था, जिसमें कथित बंदी को बालिग दर्शाया गया था, और दूसरा आधार कार्ड कथित बंदी के माता-पिता ने प्रस्तुत किया था, जिसमें उसे नाबालिग दिखाया गया था।

    कोर्ट ने कहा, "प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता की ओर से गलत जन्मतिथि पेश करके इस कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।"

    न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में आज यूआईडीएआई ने सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज जमा किये जिसके आधार पर याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आधार कार्ड को अपडेट किया गया। दस्तावेज़ का अध्ययन करते हुए जस्टिस मौदगिल ने कहा, "दस्तावेज़ में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे सील करने की आवश्यकता है, इसलिए इसे याचिकाकर्ता के साथ-साथ एमिकस क्यूरी के साथ भी साझा किया जा सकता है।"

    यह मानते हुए कि याचिकाकर्ता के बहस करने वाले वकील ने स्थगन की मांग की थी, अदालत ने मामले को 29 जनवरी तक के लिए टाल दिया।

    केस टाइटलः एक्स बनाम हरियाणा राज्य और अन्य।

    Next Story