प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नौकरी | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति रद्द की, राज्य सरकार को 6 सप्ताह में चयन सूची को रिअरेंज करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

9 April 2024 7:43 AM GMT

  • प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नौकरी | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति रद्द की, राज्य सरकार को 6 सप्ताह में चयन सूची को रिअरेंज करने का निर्देश दिया

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शिक्षा प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती और पदोन्नति नियम, 2019 की धारा 8 में संलग्न अनुसूची-III के अनुलग्नक - I (i) को, उस सीमा तक, जहां तक ‌कि इसने बीएड डिग्री धारकों को सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी है, को संविधान के अनुच्छेद 21-ए के अधिकार क्षेत्र के बाहर घोषित किया।

    इसके साथ ही कोर्ट ने सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में बीएड अभ्यर्थियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर संशोधित चयन सूची जारी करने का भी निर्देश दिया है. आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा है कि संशोधित चयन सूची में बीएलएड पास अभ्यर्थियों को पर्याप्त अवसर दिया जाए।

    58 पेज के फैसले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि राज्य ने बीएड क्वालिफाइड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के लिए शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देकर गलती की है।

    खंडपीठ ने कहा, “राज्य ने 04.05.2019 के विज्ञापन के माध्यम से शुरू की गई चयन प्रक्रिया में बीएड क्वालिफाइड उम्मीदवारों को अनुमति देकर अवैधता की है, आरटीई एक्ट 2009 की क़ानूनी किताब में उक्त योग्यता मौजूद नहीं है, जिस एक्ट को राजस्थान हाईकोर्ट ने 25.11.2021 ने रद्द कर दिया था।"

    हाईकोर्ट ने यह निर्णय देवेश शर्मा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया 2023 लाइव लॉ (एससी) 633 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले के आलोक में पारित किया है, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि बीएड डिग्री धारकों ने प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिए आवश्यक बुनियादी शैक्षणिक सीमा को पार नहीं किया और इस प्रकार प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को 'गुणवत्तापूर्ण' शिक्षा प्रदान नहीं कर सके।

    प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति को लेकर विवाद तब खड़ा हो गया जब राज्य शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक शिक्षा के लिए डीएलएड पाठ्यक्रम में दिए जाने वाले विशेष प्रशिक्षण को नजरअंदाज कर दिया और इसके बजाय बीएड योग्यता वाले उम्मीदवारों को नियुक्त करने का विकल्प चुना।

    Next Story