नियमों/विनियमों के अभाव में सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ कोई कारण बताओ नोटिस/विभागीय कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
12 April 2024 9:32 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि उत्तर प्रदेश सहकारी समिति कर्मचारी सेवा नियमावली, 1975 और उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक कर्मचारी सेवा नियमावली, 1976 में किसी नियम या विनियम के अभाव में किसी कर्मचारी के खिलाफ उसकी सेवानिवृत्ति के बाद न तो कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है और न ही विभागीय कार्यवाही की जा सकती है।
सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करते हुए जस्टिस नीरज तिवारी ने कहा कि "नियमों और विनियमों में प्रावधानों के अभाव में सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई कारण बताओ नोटिस या विभागीय कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।"
न्यायालय ने आगे कहा कि एक बार कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है और लंबे समय तक अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, तो उसी कार्रवाई के लिए एक नया कारण बताओ नोटिस बहुत देर से जारी नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि देव प्रकाश तिवारी बनाम यूपी सहकारी संस्थागत सेवा बोर्ड में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद, नियोक्ता के पास सेवानिवृत्ति लाभों में कटौती के उद्देश्य से भी अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखने का कोई अधिकार नहीं है।
इसके अलावा, ब्रह्मनाद त्यागी बनाम यूपी राज्य और अन्य में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना “सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ इस कोर्ट के निर्णयों के अवलोकन से यह बहुत स्पष्ट है कि एक बार सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए किसी नियम के नियम के अभाव में सेवानिवृत्ति के बाद शुरू की गई या जारी रखी गई कार्यवाही टिकाऊ नहीं है क्योंकि यह नियमों का उल्लंघन करता है और रद्द किये जाने योग्य है।”
न्यायालय ने माना कि कर्मचारी की सेवाओं को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों में प्रावधानों की कमी के कारण, किसी भी राशि की वसूली के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी को कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है।
कमल स्वरूप टंडन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अलग करते हुए, कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से पहले जांच शुरू की गई थी, जबकि हाईकोर्ट के समक्ष मामले में एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस दिया गया था।
न्यायालय ने माना कि 1976 के नियमों और 1975 के विनियमों के तहत अधिकारियों को किसी कर्मचारी को उसकी सेवानिवृत्ति के बाद कारण बताओ नोटिस जारी करने या उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का अधिकार देने का कोई प्रावधान नहीं है।
तदनुसार, कारण बताओ नोटिस रद्द कर दिया गया और रिट याचिका की अनुमति दी गई।
केस टाइटलः प्रेम कुमार त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [रिट - ए नंबर - 19256/2023]