'जज को मामले की नब्ज को गहराई से महसूस करना होगा': एमपी हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की से शादी करने करने वाले बलात्कार के आरोपी के खिलाफ एफआईआर रद्द की
Shahadat
25 Dec 2023 6:17 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (ग्वालियर बेंच) ने पिछले हफ्ते उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी, जिस पर नाबालिग लड़की से बलात्कार का आरोप था। कथित पीड़िता ने अदालत में कहा कि वह स्वेच्छा से भाग गई थी और अब दोनों शादीशुदा हैं और उनके तीन बच्चे हैं।
अदालत ने आरोपी के खिलाफ मामला रद्द करते हुए कहा,
"प्रतिशोधात्मक होना नियमित और आसान है, लेकिन साथ ही न्यायाधीश को मामले की नब्ज को गहराई से महसूस करना होता है। कोई यह नहीं भूल सकता कि समान अक्षर वाली प्रत्येक 'फ़ाइल' में एक 'जीवन' होता है... यहां 'फ़ाइल' है, इससे पहले कि अदालत न केवल 'जीवन' बल्कि कई 'जीवन' लेकर आती है।''
मामला संक्षेप में
अदालत ऐसे मामले से निपट रही थी, जहां याचिकाकर्ता (अभियुक्त) और प्रतिवादी नंबर 2 (कथित पीड़ित लड़की) ने भावनात्मक और शारीरिक निकटता साझा की और मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363, 366, 376 और POCSO Act की धारा 5/6 के तहत एफआईआर आरोपी के खिलाफ पीड़िता के पिता के कहने पर दर्ज की गई।
सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में कथित पीड़िता ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच नजदीकियां थीं और उसने अपनी मर्जी से फरवरी 2017 में अपना मायके छोड़ दिया।
हालांकि, प्रासंगिक समय पर पीड़िता नाबालिग थी और वयस्क होने के कगार पर है, क्योंकि उसकी उम्र 16 वर्ष थी। बाद में वह वयस्क हो गई और उसके बाद पीड़िता और आरोपी ने विवाह कर लिया और उनके तीन बच्चे हुए।
दोनों पक्षों ने इस मामले को सुलझाने की इच्छा व्यक्त की, क्योंकि लड़की और लड़का विवाहित जोड़े के रूप में रह रहे हैं। इसलिए एफआईआर के साथ-साथ इससे उत्पन्न होने वाली परिणामी आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत तत्काल याचिका दायर की गई।
कोर्ट की टिप्पणियां
मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने कहा कि वह निम्नलिखित कारणों से सुधारात्मक या कम से कम प्रतिशोधात्मक मार्ग पर चलने का इरादा रखता है: -
1. करीब 16-17 साल की कम उम्र की लड़की को 23 साल के लड़के से प्यार हो गया और हार्मोन के कारण उन्होंने भावनात्मक और शारीरिक निकटता साझा की और सामाजिक/कानूनी सीमाओं से बाहर चले गए।
2. लड़की का लगातार मानना है कि उसने अपनी इच्छा से भावनात्मक/शारीरिक निकटता साझा की और उसने स्वेच्छा से अपना मायका छोड़ा। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उसके बयान ऐसा इंगित करते हैं।
3. याचिकाकर्ता और अभियोजक ने विवाह कर लिया और उनके तीन बच्चे हैं। लड़की/पीड़िता अपने पति के साथ शांति से रह रही है। किसी भी सजा के मामले में याचिकाकर्ता को जेल जाना पड़ सकता है। इससे परिवार हमेशा के लिए परेशान हो जाएगा।
4. उन्होंने मामले को सुलझाने की इच्छा जताई।
इसलिए मामले के संचयी तथ्यों और परिस्थितियों में न्यायालय ने न्याय के हित में इस मामले की बंद की और फिर आरोपी के खिलाफ एफआईआर रद्द कर दी।
इसे देखते हुए याचिकाकर्ता-अभियुक्त को मुक्त कर दिया गया। हालांकि, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता/अभियुक्त और अभियोजक शांति से रहेंगे और वैवाहिक आनंद प्राप्त करने का प्रयास करेंगे, जिससे पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव बनाए रखा जा सके।
केस टाइटल- जी बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य
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