कलकत्ता हाइकोर्ट ने 'डार्क वेब' के माध्यम से MDMA और LSD की डिलीवरी की सुविधा देने वाले यूएई निवासी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट बरकरार रखा
Amir Ahmad
16 Jan 2024 11:53 AM IST
कलकत्ता हाइकोर्ट ने हाल ही में याचिकाकर्ता के खिलाफ NDPS मामले में जारी गिरफ्तारी और घोषणा और कुर्की के वारंट को बरकरार रखा। उक्त याचिकाकर्ता केरल का रहने वाला है, लेकिन रोजगार के लिए संयुक्त अरब अमीरात में रह रहा है।
याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया कि उसने 2017 में डार्क वेब पर सह-अभियुक्तों के माध्यम से कलकत्ता में अपने सहयोगियों को MDMA और LSD ब्लॉट की डिलीवरी कराई।
जस्टिस शंपा दत्त (पॉल) की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा,
याचिकाकर्ता ने नासिक में उपलब्ध दवाओं के अपने डार्कवेब विक्रेता से MDMA, LSD की डिलीवरी की और नासिक के विक्रेता ने डीटीडीसी कूरियर सेवा के माध्यम से खेप को कलकत्ता भेज दिया। अन्य आरोपी ने कबूल किया कि याचिकाकर्ता के निर्देश पर उसने कोलकाता में नशीले पदार्थ भेजे। उसने आगे कहा कि वह और याचिकाकर्ता डार्कवेब की एन्क्रिप्टेड चैट के माध्यम से बातचीत करते थे और याचिकाकर्ता "बिटकॉइन" के माध्यम से पैसे भेजते थे। ऐसी परिस्थितियों में न्यायालय को अपराध की गंभीरता और अभियुक्त द्वारा निभाई गई भूमिका पर विचार करना होगा। आचरण को ध्यान में रखते हुए ऐसे मामलों में दिखाई गई कोई भी कृपा स्पष्ट रूप से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगी।
याचिकाकर्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि उसके खिलाफ कार्यवाही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा शुरू की गई, जिसने पाया कि उसने डार्क वेब और भुगतान के लिए क्रिप्टोकरेंसी जैसी एन्क्रिप्टेड तकनीक का उपयोग करके दवाओं की खेप पहुंचाने के लिए सह-अभियुक्तों के नेटवर्क को शामिल किया।
यह तर्क दिया गया कि NCB ने उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया और उसे एलओसी से पहले सुनवाई का उचित मौका नहीं दिया गया। उसके खिलाफ निषेधाज्ञा आदेश पारित किया गया था, जिसने उसे जांच में भाग लेने से रोक दिया।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत की प्रार्थना खारिज कर दी गई और गिरफ्तारी वारंट पर अमल न करने पर ट्रायल कोर्ट ने उसके खिलाफ उद्घोषणा और कुर्की का वारंट भी जारी किया।
यह भी पाया गया कि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की और फिर वापस ले ली गई। LOC वापस लेने की उसकी याचिका भी सत्र अदालत ने खारिज कर दी।
NCB के वकील ने वर्तमान पुनर्विचार याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इतने बड़े मामले में याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को मंजूरी देना न्याय के हितों के खिलाफ होगा।
गिरफ्तारी वारंट की पर चर्चा करते हुए न्यायालय ने कहा,
वारंट केवल किसी भी भागे हुए अपराधी घोषित अपराधी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जारी किया जा सकता है या जब गैर-जमानती अपराध का आरोपी व्यक्ति गिरफ्तारी से बच रहा हो। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 73 में प्रयुक्त भाषा के आलोक में इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा सकता है कि अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने का कोई अन्य तरीका नहीं है।
इसने दोहराया कि वारंट वापस लेते समय ध्यान में रखे जाने वाले कारक जमानत देने से पहले विचार किए जाने वाले कारकों के समान होंगे।
ऐसा मानते हुए यह नोट किया गया कि वर्तमान मामले में अपराध गंभीर है। याचिकाकर्ता द्वारा निभाई गई भूमिका रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्रियों द्वारा समर्थित है। फिर याचिकाकर्ता देश के बाहर रहता है, इसलिए उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता आज गिरफ्तारी के डर से किसी अदालत या कानून प्रवर्तन एजेंसी के सामने पेश नही हुए।
तदनुसार यह देखते हुए कि अभी तक कोई प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू नहीं हुई, अदालत ने ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी वारंट बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दी।
साइटेशन- लाइवलॉ (कैल) 15 2023
केस- सरन गोपाल कृष्णन बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, कलकत्ता।
केस नंबर: सीआरआर 75 का 2022